Farming@100 किलो गेहूं के बदले 50 किलो डीएपी
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खेती-किसानी
- इफको ने डीएपी की कीमत में की वृद्धि, किसानों पर दोहरी मार
- 58.33 फीसदी की वृद्धि के बाद 1900 रुपए हुई डीएपी की कीमत
KC NEWS। अब किसान 100 किलो गेंहू बेचेगा तो उसे 50 किलो की एक बोरी डीएपी मिलेगी। क्योंकि सहकारी क्षेत्र के इंडियन फाॅरमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव (इफको IFFCO) ने रासायनिक खाद डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) की कीमत में 58.33 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। किसानों को डीएपी की 50 किलो की बोरी 1200 रुपए की बजाय अब 1900 रुपए में मिलेगी। नया रेट 1 अप्रैल से लागू कर दिया गया है। बता दें कि निजी क्षेत्र की पारादीप फॉस्फेट लिमिटेड (पीपीएल) और गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स कॉरपोरेशन (सीएसएफसी) ने 50 केजी के डीएपी का प्रिंट रेट 1500 रुपए कर दिया था। अर्थात डीएपी की कीमत में 300 रुपए की वृद्धि की थी और अब इफको ने डीएपी की कीमत को 1900 रुपए कर दिया है। अब यह माना जा रहा है कि इफको के इस फैसले से निजी कंपनियां भी डीएपी के रेट में फिर से वृद्धि कर सकती हैं। इफको के अधिकारियों की दलील है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी में यूज होने वाले फॉस्फेरिक एसिड और रॉक फॉस्फेट की कीमत बढ़ने से डीएपी का रेट बढ़ाया गया है।
उधर, समाजवादी पार्टी ने डीएपी की कीमत में भारी उछाल की निंदा की है और इसे वापस लेने की मांग की है। सपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री रामप्रसाद चौधरी ने डीएपी रेट वृद्धि की निंदा करते हुए तत्काल इसे वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि किसान पहले ही नए कृषि कानूनों से परेशान है। ऐसे में सरकार का यह जनविरोधी फैसला पूरी तरह से निंदनीय है। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा कहते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की योगी सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी है। अब किसानों को 100 किलोग्राम गेंहू बेचने पर 50 किग्रा की डीएपी की एक बोरी खाद मिलेगी। वर्तमान में गेहूं का एमएसपी रेट 1975 रुपए निर्धारित किया गया है। केंद्र सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने का सबसे बड़ा मजाक कर रही है।