धर्म और जाति के बीच जोर पकड़ी यूपी की राजनीति में कमरतोड़ महंगाई, खेती-किसानी, बेरोजगारी का मुद्दा भी हल्ला बोलने लगा है

सियासत
- आने वाला समय ही तय करेगा कि यूपी विधानसभा चुनाव-2022 किस करवट सेट होगा
- खास मुलाकात में रालोद नेता पूर्व एमएलसी रामाशीष राय ने कहा-यूपी में 2022 का मुख्य चुनावी मुद्दा किसान और नौजवान होगा
राजेश श्रीवास्तव
KC NEWS|लखनऊ
यूपी विधानसभा चुनाव-2022 किस करवट सेट होगा, इसका अनुमान लगाना अभी मुश्किल है, लेकिन राजनीतिक दल जिस तरीके से अंगड़ाई ले रहे हैं और हुंकार भर रहे हैं उससे यह तो साफ नजर आ रहा है कि धर्म और जाति के बीच जोर पकड़ी यूपी की राजनीति में कमरतोड़ महंगाई, खेती-किसानी, बेरोजगारी का मुद्दा भी हल्ला बोलने लगा है। यह सत्ताधारी दल का पीछा नहीं छोड़ेगा।
विपक्ष की बात करें तो प्रियंका गांधी के यूपी में दस्तक देने के बाद कांग्रेस चर्चे में है। प्रियंका की वाराणसी और गोरखपुर में हुई सभाओं की भीड़ की बात करें या सपा प्रमुख अखिलेश यादव की सभाओं में उमड़ रही भीड़ की चर्चा करें तो कमरतोड़ महंगाई, खेती-किसानी, बेरोजगारी का मुद्दा शुमार हो चला है।
उधर, राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया चौधरी जयन्त सिंह ने अपना चुनावी संकल्प पत्र जारी कर अपना एजेंडा सार्वजनिक करते हुए प्रदेश के एक करोड़ युवाओं को नौकरी देने का ऐलान करने के साथ ही जाति और धर्म से अलग हट कर किसान और नौजवानों के मुद्दे पर राजनीति को केंद्रित कर दिया है। अब यह तो आने वाला समय ही तय करेगा कि यूपी विधानसभा चुनाव-2022 किस करवट सेट होगा।
इन सब के बीच आइए जानते कि धर्म और जाति के बीच जोर पकड़ी यूपी की राजनीति में कमरतोड़ महंगाई, खेती-किसानी, बेरोजगारी का मुद्दा कितना असर डालेगा…
हम ऐसी सख्शियत से मुखातिब हैं, जो पहचान के मुहताज नहीं हैं। उनकी पहचान लोकतांत्रिक मूल्य, परंपराएं, किसानों के मुद्दे को लेकर मुखर रहने वाले व लड़ने वाले में से एक है। वे भाजपा युवा मोर्चा कभी राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और 2003 में उत्तर पद्रेश में मायावती की सरकार में विधायकों की उपेक्षा, लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन और सरकार के तानाशाहीपूर्ण रवैये के खिलाफ आवाज बुलंद करने में महति भूमिका का निर्वहन किया। परिणाम स्वरूप अंतत: मायावती की सरकार पद्रेश से हटी थी। आज वह किसानों के मुद्दे को लेकर आक्रामक तेवर रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयन्त सिंह के साथ हैं और पार्टी की 2022 संकल्प समिति में बतौर सदस्य के रूप में पार्टी की मुख्य धारा में अपना योगदान दे रहे हैं। हम बात कर रहे हैं पूर्व विधान परिषद सदस्य रामाशीष राय की।
एक खास मुलाकात में रामाशीष राय ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पहली बार चौधरी जयन्त सिंह ने जाति और धर्म से अलग हट कर किसान और नौजवानों के मुद्दे पर राजनीति को केंद्रित किया है। आने वाला 2022 का मुख्य चुनावी मुद्दा किसान और नौजवान होगा।
किसान की आय तो दोगुनी नहीं हुई पर किसान के उत्पादन की लागत दोगुनी से भी अधिक हो गई
रामाशीष राय ने कहा कि मोदी-योगी की सरकार में 2014 से 2019 तक यह ढिढोरा पिटता रहा कि किसान की आय 2022 तक दोगुनी हो जाएगी, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की बात कही गई। 2014 से 2019 के प्रारंभ में आधे-अधूरे फार्मूले को लागू करने की बात कही गई, लेकिन क्रियान्वित कुछ भी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि 2022 आने वाला है और 2021 अपने समाप्ति की तरफ है। किसान की आय दोगुनी तो नहीं हुई पर किसान के उत्पादन की लागत दोगुनी से भी अधिक हो गई। यहीं कारण है कि आज किसान की हालत सर्वाधिक खराब है, वह बदहाली की स्थिति में है। ऊपर से कमर तोड़ महंगाई ने उसका जीना दूभर कर दिया है। देश में किसान आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। किसान परिवार के लड़के जो शिक्षा प्राप्त किए हैं, वे सब कुंठा के शिकार हो रहे हैं। पारिवारिक कलह बढ़ रहे हैं और सामाजिक ताना-बाना छिन्न भिन्न हो रहा है। इन सब कारणों का असर 2022 के चुनाव में दिखेगा।
लखीमपुर की घटना शर्मशार करने वाली है, वैसी घटना तो अंग्रेजी हूकुमत में भी नहीं हुई
जब बात किसानों की हो रही है तो लखीमपुरखीरि घटना की चर्चा न हो तो यह बेमानी होगी। उन्होंने कहा कि लखीमपुर की घटना शर्मशार करने वाली है। किसानों के शांतिपूर्ण जुलूस पर जिस प्रकार से तेज रफ्तार गाड़ियों से किसानों को कूचला गया, वैसी घटना तो अंग्रेजी हूकुमत में भी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि लखीमपुर की घटना अमृतसर के जलियावाला बाग से कम नहीं है। यह घटना मोदी-योगी की सरकार पर ऐसा बदनुमा दाग है, जो भारतीय इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज रहेगा।
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