क्या अखिलेश व जयंत की दोस्ती रंग लाएगी?
लखनऊ : अखिलेश यादव ने पहले ही साफ कर दिया था कि इस बार वह बड़े दलों से गठबंधन नहीं करेंगे। सोमवार को समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन की गांठ बंध गई है। दोनों पार्टियों में हुए समझौते के मुताबिक सपा रालोद को विधानसभा की करीब 36 सीटें देगी। इनमें से जयंत 30 सीटों पर रालोद और छह सीटों पर सपा के सिंबल पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे।
सूत्रों के अनुसार जयंत और अखिलेश के बीच एक और दौर की बातचीत होगी। इसके बाद दोनों नेता पत्रकार वार्ता कर गठबंधन का ऐलान करेंगे। कुछ सीटों पर सहमति के आधार पर रालोद के नेता सपा के चुनाव चिह्न पर व सपा के नेता रालोद के निशान पर विधान सभा चुनाव लड़ सकते हैं।
गौरतलब है कि रालोद और सपा के बीच सीटों को लेकर खींचतान चल रही थी। दोनों दलों के बीच दो दौर की बातचीत के बाद भी सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन सकी थी। कई सीटें ऐसी थीं जिन्हें लेकर दोनों ही दलों की ओर से दावा किया जा रहा था। इस खींचतान के कारण गठबंधन का आधिकारिक ऐलान भी नहीं हो पा रहा था। मंगलवार को दोनों नेताओं की बातचीत के बाद अपने-अपने ट्विटर से तस्वीरें ट्विट करना इस बात का संकेत है कि दोनों दलों के बीच गठबंधन सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहा है।
2019 के लोस चुनाव में भी हुआ था सपा-रालाेद गठबंधन
यूपी की राजनीति में गठबंधन बनना और टूटना कोई नई बात नहीं है, लेकिन समय के साथ अखिलेश यादव की जयंत चौधरी के संग दोस्ती और गहराती जा रही है। विधानसभा चुनाव-2022 के लिए रालोद मुखिया जयंत चौधरी पर भले ही अन्य दलों ने डोरे डाले हों मगर उन्होंने सपा के साथ ही जाना मुनासिब समझा। सपा और रालोद के बीच चुनाव से पहले यह तीसरा गठबंधन है।
समाजवादी पार्टी और रालोद के बीच पहला गठबंधन लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में हुआ। वैसे तो इस चुनाव में मुख्य गठबंधन सपा और बसपा के बीच हुआ, लेकिन अखिलेश ने अपने कोटे की तीन सीटें बागपत, मुजफ्फरनगर और मथुरा रालोद को देकर इसकी शुरुआत की। लोकसभा चुनाव में करारी हार और बसपा से गठबंधन तोड़ने के बाद भी अखिलेश ने रालोद का साथ नहीं छोड़ा।
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