May 31, 2025

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आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला को अपना दल (एस) के उम्मीदवार हैदर अली खान देंगें चुनावी टक्कर

  • अपना दल (एस) ने की रामपुर के स्वार टांडा विधानसभा सीट से अधिकारिक घोषणा
  • हमजा मियां के आने से अपना दल (एस) यूपी के पूरब एवं मध्य से निकलकर पश्चिम में रूहेलखंड की ओर पांव फैलाना शुरू कर दिया है

KC NEWS| समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम के खिलाफ अपना दल (एस) के उम्मीदवार हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां चुनाव लड़ेंगे। अपना दल एस ने रविवार को इसकी अधिकारिक घोषणा कर दी। हमजा मियां रामपुर के राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। इनके पिता नावेद मियां उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री एवं विधायक रह चुके हैं एवं दादी नूर बानो रामपुर से सांसद एवं दादाजी जुल्फीकार अली खां उर्फ मिक्की मियां विधायक रह चुके हैं।

प्रदेश की रोजाना करवट लेती राजनीति को देखते हुए ऐसा ही लग रहा है। रामपुर के स्वार टांडा विधानसभा सीट के कांग्रेस प्रत्याशी हैदर अली खान ऊर्फ हमजा मियां ने चुनाव के ऐन वक्त पर पार्टी छोड़कर अपना दल एस की सदस्यता ले ली है। तीन दिन पहले उन्होंने अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल से नई दिल्ली में मुलाकात की थी।

भाजपा, अपना दल एस और निषाद पार्टी के गठबंधन के तहत रामपुर की स्वार-टांडा सीट अपना दल एस के कोटे में आयी है। हमजा मियां के आने से अपना दल (एस) उत्तर प्रदेश के पूरब एवं मध्य से निकलकर पश्चिम में रूहेलखंड की ओर पांव फैलाना शुरू कर दिया है।

हमजा मियां के पिता पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खान ऊर्फ नवेद मियां भी कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। वह रामपुर शहर विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी सांसद आजम खां के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। सपा ने यहां से आजम खां को प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा हमजा मियां की दादी बेगम नूर बानो कांग्रेस के टिकट पर रामपुर से सांसद रह चुकी हैं और दादा जुल्फीकार अली खां भी सांसद रह चुके हैं।

हमजा मियां का मुकाबला स्वार टांडा में आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम से है। मुस्लिम बहुल इस सीट पर हमजा मियां ने भाजपा में शामिल होने की बजाय अपना दल एस में शामिल होना राजनीतिक लाभ को देखते हुए दूरगामी निर्णय लिया है। एनडीए में रहते हुए वह अपने कार्यकर्ताओं व मुस्लिम मतदाताओं को चुनावी संदेश देने में सफल हो जाएंगे, जबकि भाजपा में शामिल होने पर उन्हें  मुस्लिम मतदाताओं को साधने में दिक्कत आती।

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