फॉल आर्मी वर्म कीट से मक्के की फसल को खतरा, कृषि वैज्ञानिकों ने दी सतर्क रहने की सलाह, ऐसे करें बचाव…
खेती-किसानी, मक्का किसान अपनी फसल बचाने के लिए सतर्क हो जाएं, क्योंकि कृषि वैज्ञानिकों ने फॉल आर्मी वर्म कीट के प्रकोप से फसल को नुकसान होने का अंदेशा जताया है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मक्के की फसल बचाने के लिए फॉल आर्मी वर्म कीट के प्रकोप से सतर्क रहने की सलाह दी है। अनुकुल जलवायु वाले इलाकों में ये कीट दस्तक दे सकते हैं। इसलिए सतर्कता और निगरानी कर करके फसल को बचाने का बेहतर उपाय है।
यूपी के जनपद देवरिया के जिला कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा ने बताया है कि जनपद की जलवायु कुछ हद तक फॉल आर्मी वर्म कीट के लिए अनुकूल है। वर्तमान में जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में बोई गयी मक्के की फसल पर फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप हो सकता है। यह एक बहुभोजीय (Polyphagous) कीट है, जिसके कारण अन्य फसलों जैसे-मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं, गन्ना आदि फसलों को भी हानि पहुंचा सकता है। इस कीट की पहचान एवं प्रबंधन की सही जानकारी कृषकों को होना अत्यन्त आवश्यक है।
जानें पहचान एवं लक्षण
पहचान एवं लक्षण के संबंध में बताया कि इस कीट की मादा ज्यादातर पत्तियों की निचले स्तह पर अण्डे देती हैं। कभी-कभी पत्तियों की ऊपरी सतह एवं तनों पर भी अण्डे देती हैं। इसकी मादा एक से ज्यादा पर्त में अण्डे देकर सफदे झाग से ढक देती है। अण्डे क्रीमिस से हरे व भूरे रंग के होते हैं। उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम फाल आर्मी वर्म और सामान्य सैनिक कीट में अन्तर को कृषकों को समझना अत्यन्त आवश्यक है। फॉल आर्मी वर्म का लार्वा भूरा, धूसर रंग का होता है, जिसके शरीर के साथ अलग से टयूबरकल दिखता है। इस कीट के लार्वा अवस्था में पीठ के नीचे तीन पतली सफेद धारियां और सिर पर एक अलग सफेद उल्टा अंग्रेजी शब्द का वाई (Y) दिखता है व इसके शरीर के दूसरे अंतिम खण्ड पर वर्गाकार चार बिन्दु दिखाई देते हैं और अन्य खण्ड पर चार छोट-छोटे बिन्दु समलंम्ब आकार में व्यवस्थित होते हैं। यह कीट फसल की लगभग सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाता है, लेकिन मक्का इस कीट की रूचिकर फसल है। यह कीट मक्का के पत्तों के साथ-साथ बाली को विशेष रूप से प्रभावित करता है। इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधे के डन्ठल आदि के अन्दर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं। इस कीट की प्रकोप की पहचान फसल की बढ़वार की अवस्था में जैसे पत्तियों के छिद्र एवं कीट के मल-मूत्र एवं बाहरी किनारों की पत्तियों पर मल-मूत्र से पहचाना जा सकता है। मल महीन भूसे के बुरादे जैसा दिखाई देता है।
ऐसे करें फसल की निगरानी एवं सर्वेक्षण
- प्रबन्धन के संबंध में बताया कि फसल की निगरानी एवं सर्वेक्षण करें। अण्ड परजीवी 2 से 5 ट्राइकोग्रामा कार्ड एवं टेलोनोमस रेमस का प्रयोग अंडा देने की अवस्था में करने से इनकी संख्या की बढ़ोत्तरी में रोक लगायी जा सकती है।
- एनपीवी 250 एलई मेटाराइजियम एनिप्सोली एवं नोमेरिया रिलाई अन्य जैविक कीटनाशकों का समय से प्रयोग अत्यन्त प्रभावशाली है।
- यांत्रिक विधि के तौर पर सांयकाल (7 से 9 बजे तक) में 3 से 4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच एवं 6 से 8 की संख्या में बर्ड पर्चर प्रति एकड़ लगाना चाहिए।
- रासायनिक उपचार हेतु फसल में जमाव से अगेती अवस्था (Earty worl) में सूंडी द्वारा 05 प्रतिशत नुकसान या पत्तियों पर अण्डे दिखाई दे तो एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 1500 PPM की 02 मिली/लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें।
- मध्य से अन्त तक तीन रसायनों का 7-9 दिन पर बदल-बदल कर छिड़काव करें। स्पाईनोटोरम 11.7 प्रतिशत एससी की 0.3 मिली/लीटर पानी, क्लोरनट्रानिलि प्रोल 18.5 प्रति० एससी की 0.4 मिली मात्रा/लीटर पानी, थायोमेथाक्सम 12.6 प्रति०+ लैम्बडा साइहैलोथ्रिन 9.5 प्रति एससी की 0.5 मिली मात्रा/लीटर पानी या एसीफेट 50 प्रतिशत+इमिडाक्लोरोपिड 1.8 प्रतिशत एसपी के साथ इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रति 05 जी मिलाकर स्प्रे करें। फसल की बाली मूट्टे की अवस्था में सूड़ियों को पकड़कर नष्ट करने, बर्ड पर्चर लगाने व इस प्रकार की यांत्रिक विधियों द्वारा ही नियंत्रण उचित व कम खर्चीला होता है।
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