देवरिया में खिलाड़ियों के साथ हो रहा ‘खेल’, बगैर गुरु ले रहे हैं दीक्षा, स्टोर में धूल फांक रहा कबड्डी का सामान

गणेश धर द्विवेदी की रिपोर्ट
यूपी के पूर्वांचल में देवरिया की मिट्टी ने कई प्रतिभावान खिलाड़ियों को जन्म दिया। जिन्होंने अपने जौहर की बदौलत प्रदेश ही नहीं बल्कि देश-विदेश तक अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और जनपद का नाम रौशन किया। ताजा हालात यह है कि यहां खिलाड़यों के साथ ही अब खेल हो रहा है, प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं। इस खेल को कोई समझने वाला नहीं है। यह मामला स्वर्गीय रवींद्र किशोर शाही स्पोट्स स्टेडियम से जुड़ा है।
यहां बगैर गुरु यानी कोच के ही खिलाड़ी खेलों की दीक्षा ले रहे हैं। आधा दर्जन से अधिक खेलों के खिलाड़ी तो हैं, लेकिन कोच नहीं है। बीते मार्च माह में करीब साढ़े चार लाख रुपए का कबड्डी के 265 सेट खेल के सामान मंगा लिए गए, जो स्टोर रूम में धूल फांक रहे हैं। इसका इस्तेमाल आज तक नहीं हुआ।
जनपद में स्वर्गीय रविंद्र किशोर शाही स्टेडियम की स्थापना 15 जुलाई 1978 में हुई थी। इस स्टेडियम से बहुत से खिलाड़ियों ने अपने-अपने सपनों को साकार किया। इस खेल मैदान से हाकी खिलाड़ी आरपी सिंह, आनंदेश्वर पांडेय के अलावा कामनवेल्थ के खिलाड़ी निकले। इन खिलाड़ियों ने देश और विदेशों तक देवरिया जनपद का नाम गौरवांवित किया।
आज यह स्टेडियम अपनी बदहाली पर रो रहा है। कभी यहां खेल की हर विधाओं के अलग-अलग कोच हुआ रहा करते थे, लेकिन आज यह स्टेडियम कोचों की कमी का मार झेल रहा है। इस स्टेडियम में एथलेटिक्स, फुटबाल, बास्केटबाल, वालीबाल तैराकी, बैडमिंटन और कबड्डी के कोच नहीं हैं। खिलाड़ी जैसे-तैसे प्रैक्टिस कर रहे है। अब, उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है।
इस संबंध जब सहायक क्रीड़ाधिकारी रवि कुमार शर्मा ने बात की गई तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया। कहा कि मौजूदा समय में यहां कई खेलों के कोच नहीं है। पत्र के माध्यम से शासन को इस बात की जानकारी दे दी गई है।
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