October 23, 2025

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डीएम ने मूक-बधिर बच्चों संग बांटी स्वतंत्रता दिवस की खुशियां, छात्रों ने सांकेतिक भाषा में भारत माता के जयकारे लगाए

देवरिया। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मूक-बधिर बच्चों के संग स्वतंत्रता दिवस की खुशियां बांटी। विद्यालय के वर्तमान एवं पूर्व छात्रों ने साइन लैंग्वेज (सांकेतिक भाषा) में भारत माता के जयकारे लगाए तथा अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देकर आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न में अपनी सहभागिता निभाई।

डीएम सोमवार को सुबह करीब 11 बजे शहर के राघव नगर स्थित स्वर्गीय रामाज्ञा मूक-बधिर विद्यालय पहुंचे और मूक-बधिर बच्चों संग स्वतंत्रता दिवस मना कर बच्चों के चेहरों पर मुस्कुराहट बिखेर दीं। सर्वप्रथम उन्होंने वहां ध्वजारोहण किया। राष्ट्रगान गायन के उपरांत जिलाधिकारी ने मूक बधिर बच्चों के साथ संवाद भी किया, जिसमें वैष्णवी ने साइन लैंग्वेज की शाब्दिक व्याख्या की। बच्चे जिले के शीर्ष अधिकारी को अपने बीच पाकर काफी प्रसन्न दिख रहे थे।

विद्यालय के संचालक राजेश पांडेय ने बताया कि वर्ष 2005 से इस केंद्र के माध्यम से मूक बधिर बच्चों को शिक्षा दी जाती रही है। कोरोना की वजह से विद्यालय विगत दो वर्षों से बंद हो गया था। जिलाधिकारी के सक्रिय सहयोग एवं क्राउड फंडिंग के द्वारा प्राप्त धन से भवन को रिनोवेट करके मूक बधिर बच्चों को शिक्षा देने का कार्य पुनः शुरू हो गया है। विद्यालय में 17 बच्चों का नामांकन हो चुका है, जिन्हें साइन लैंग्वेज के साथ-साथ अक्षर ज्ञान से भी परिचित कराया जा रहा है।

डीएम ने बताया कि यह देखना सुखद है कि जो बच्चे बोल-सुन नहीं सकते, वे भी राष्ट्रभक्ति की भावना से परिपूर्ण हैं। उनमें भी राष्ट्रनायकों के प्रति सम्मान की वैसी ही भावना है, जैसी हम सब में है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पूर्व उनकी संज्ञान में आया कि ये विद्यालय धनाभाव के कारण कोरोना काल से ही बंद चल रहा था। जिसके चलते मूक-बधिर जैसे सुभेदय वर्ग के बच्चों को शिक्षा का बुनियादी अधिकार सुचारू रूप से उपलब्ध नहीं हो पा रहा था।

उन्होंने बताया कि विद्यालय बंद होने की जानकारी के बाद इसे चलाने के लिए गंभीरतापूर्वक प्रयास किया गया तथा जन सहयोग से इस विद्यालय को एक बार फिर से शुरू किया गया है। विद्यालय बंद हो जाने से मूक-बधिर बच्चे शिक्षा से कटते जा रहे थे। फिलहाल यह स्कूल क्राउड फंडिंग द्वारा पुनः संचालित हो पाया है। अब मूक-बधिर बच्चों को जनपद में ही शिक्षा का अवसर प्राप्त होने लगा है।

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