रामलीला : पांचवें दिन भरत मनौवल के भावपूर्ण राम-भरत संवाद का मंचन देख भावविभोर हुए लोग

देवरिया (यूपी)। रामलीला समिति के तत्वावधान में शहर के रामलीला मैदान में चल रहे रामलीला मंचन के पांचवें दिन राम-भरत संवाद का मंचन देख भावविभोर हुए लोग। भरत मनौवल रामलीला के भावपूर्ण मंचन में दशरथ जी के देह त्याग के बाद वशिष्ठ जी ने चंदन के नाव में तेल में दशरथ जी के पार्थिव शरीर को रख कैकय देश भरत को बुलाने दूत भेजते हैं। दूत जाकर बुलाकर लाते हैं, अयोध्या की दशा देखकर भरत दुःखी हो जाते हैं।
कैकेयी से पूछते हैं कि पिता जी की मृत्यु कैसे हुई तो कैकेयी बताती हैं कि राम, सीता, लक्ष्मण के वनवास जाने की वजह से हुई। यह सुन भरत कैकेयी का परित्याग कर देते हैं। गुरु वशिष्ठ जी, कौशल्या, सभी मंत्री भरत से अयोध्या का राजा बनने का अनुरोध करते हैं, जिस पर भरत कहते हैं कि यह राज्य तो राम का है, मैं सुबह होते ही वन में जाऊंगा और ये राज्य राम को ही अर्पण करुंगा।
अगले दिन प्रात: सब लोग भरत के साथ चित्रकूट राम से मिलने जाते हैं। राम जी भरत से अयोध्या वापस लौट जाने का निवेदन करते हैं। राम जी कहते हैं कि पिता की आज्ञा का पालन करना ही पुत्र का परम धर्म है। पिता ने मुझे चौदह वर्ष का वनवास दिया है और तुम्हें अयोध्या का राजा इसलिए भरत वही करो जिसमें धर्म का पालन हो।
भरत कहते हैं कि मैं भी राज्य का संचालन करुंगा पर राज्य सिंहासन पर नहीं बैठुंगा। तब प्रभु कर कृपा पांवरी दीन्हा सादर भरत शीश धर लिन्ही। राम की चरण पादुका सिर पर रख भरत वापस अयोध्या लौट आए।
इस अवसर पर रामलीला समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार बरनवाल, मंत्री निखिल सोनी, कमलेश मित्तल, विनय बरनवाल, हीरालाल बरनवाल, डा.सौरभ श्रीवास्तव, कपिल सोनी, गुड्डू बाबा, राजेन्द्र जायसवाल, श्याम मनोहर, कृष्ण मोहन गुप्ता राजकुमार सोनी, राजेश वर्मा, नरेन्द्र बरनवाल उपस्थित रहे।