November 22, 2024

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नए भारत के नए उत्तर प्रदेश का प्रतीक उत्सव होगा महाकुंभ 2025: मुख्यमंत्री

अब खुद से है प्रतिस्पर्धा, महाकुंभ को भव्य-दिव्य बनाने में न हो कोई कसर: मुख्यमंत्री

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रयागराज कुंभ 2019 के भव्य और दिव्य आयोजन ने उत्तर प्रदेश को वैश्विक पटल पर एक विशिष्ट पहचान दी है। यूनेस्को ने इसे ‘विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ घोषित किया है। आगामी महाकुंभ 2025 से दुनिया भर की अपेक्षाएं जुड़ी हैं, इसलिए महाकुंभ 2025 प्रदेश की 24 करोड़ जनता के लिए पूरी दुनिया के समक्ष उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक क्षमता सांस्कृतिक समृद्धि एवं पर्यटन की सुविधाओं को प्रदर्शित करते हुए इस आयोजन को नए भारत के नए उत्तर प्रदेश के प्रतीक चिन्ह के रूप प्रस्तुत करने का एक अवसर है। इस अवसर को पहचानते हुए अगले 02 वर्ष में टीमवर्क, अनुकरणीय प्रोजेक्ट मैनेजमेन्ट परियोजनाओं के क्रियान्वयन की उत्कृष्ट क्षमता का परिचय देते हुए सभी विभाग टीम बनकर किया जाना चाहिए।

गुरुवार को प्रयागराज पहुंचे मुख्यमंत्री ने महाकुंभ 2025 की तैयारियों के संबंध में पहली औपचारिक बैठक की। महाकुंभ मेले की निविदाओं में कार्यों की गुणवत्ता एवं समयबद्धता पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सम्बन्ध में शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिए कि मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाए और प्रत्येक सप्ताह परियोजनाओं की मॉनीटरिंग की जाए। सभी परियोजनाओं को ऑनलाइन व्यवस्था से जोड़ा जाए।

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार द्वारा प्रयागराज कुंभ-2019 का सफल आयोजन दिव्य और भव्य कुम्भ के रूप में किया गया, जिसमें स्वच्छता, सुरक्षा सुव्यवस्था के मानक स्थापित हुए थे। प्रयागराज कुंभ-2019 कई मायनों में अभूतपूर्व था। 200 वर्षों में प्रथम बार किसी भी दुर्घटना के बिना कुंभ मेले का आयोजन किया गया। प्रयागराज शहर को एक आधुनिक स्मार्ट सिटी के रूप में कायाकल्पित किया गया। आयोजन से जुड़ी सभी परियोजनाओं को गुणवत्ता के साथ ससमय पूरा किया गया। भारत सरकार और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा अन्तर्विभागीय समन्वय स्थापित कर स्वच्छता, सुरक्षा, भव्यता, सुव्यवस्था से जुड़े सभी पहलुओं पर सराहनीय कार्य किया गया। पहली बार कुंभ को एक नया ‘लोगो’ दिया गया। 450 वर्षो से बंद अक्षयवट व सरस्वती कूप को दर्शन के लिए खोला गया। 24 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं और तीर्थ यात्रियों ने गंगा जी के स्वच्छ और निर्मल जल में स्नान किया। प्रयागराज कुंभ-2019 में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री एवं अन्य गणमान्य अतिथियों सहित 70 देशों के राजदूत तथा 3,200 से अधिक अप्रवासी भारतीय आए। इस दौरान स्वच्छता, परिवहन एवं सामुदायिक सहभागिता के क्षेत्र में 03 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित हुए। यही नहीं, शासन और प्रशासन के बीच सामंजस्य एवं टीमवर्क, उत्कृष्ट प्लॉनिंग, अखाड़ा, आचार्य बाड़ा, दंडी बाड़ा, खाक चौक, प्रयागवाल एवं कल्पवासियों के साथ निरन्तर संवाद, जनप्रतिनिधियों के सहयोग तथा मेले के विभिन्न आयामों में आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए पुरानी सभी परम्पराओं को आगे बढ़ाने के कारण कुम्भ मेला सकुशल सम्पन्न हुआ। धार्मिक संस्थानों के साथ अच्छे सामन्जस्य का परिचय दिया गया। सभी विभागों के मंत्रीगणों व अधिकारीगणों ने सही मंशा से मां गंगा की सेवा की। देश-विदेश की मीडिया मेले में सक्रिय रही। आगामी आयोजन की तैयारी करते समय हमें पिछले कुंभ की इस गरिमा का ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि महाकुंभ 2025 को संपूर्ण भारत की सांस्कृतिक धरोहर तथा प्रदेश की प्रशासनिक क्षमता का प्रदर्शन करने वाली एक उत्कृष्ट परियोजना के रूप में प्रस्तुत किया जाए।

स्वच्छता-सुव्यवस्था का मानक हो महाकुंभ

तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुंभ मेले के सम्बन्ध में जो कार्य योजना का प्रस्तुतीकरण किया गया, इसमें आवश्यक है कि समस्त कार्यदायी संस्थाएं तथा मेला प्रशासन, सभी योजनाओं के बारे में भ्रमण करके अपनी योजना को सुदृढ़ बनाएं। इसका तकनीकी परीक्षण करें और पूरी पारदर्शिता के साथ यह सुनिश्चित करें कि यह शासन को अगले 15 दिन में प्रेषित की जा सके। शासन के सभी विभाग मेले की परियोजनाओं की समयबद्धता एवं कार्य की महत्ता को देखते हुए तत्काल प्रभाव से स्वीकृतियों के लिए आवश्यक कार्यवाही करें। वित्त पोषण हेतु वित्त विभाग के साथ समन्वय स्थापित करते हुए बिना किसी विलम्ब एवं अनावश्यक पत्राचार के कार्य सुनिश्चित करें किसी स्तर पर यदि कोई समस्या आती है, तो बैठक कर उसका निदान निकालें। स्वच्छता और सैनिटाइजेशन पर फोकस करते हुए सीएम ने कहा कि स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाए। शौचालयों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए। सफाई कर्मचारियों की विशेष रूप से व्यवस्था करनी चाहिए, उनके लिए रुकने की व्यवस्था, उनके पारिश्रमिक को उनके बैंक खाते में भेजने की व्यवस्था की जाए। सफाई कर्मचारियों का विशेष रूप से ख्याल रखा जाए। मेले से पूर्व एवं मेले के पश्चात उनका सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया जाए। सफल आयोजन के लिए सामुदायिक सहभागिता पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि घाटों की संख्या एवं घाटों की लम्बाई में भी वृद्धि की जाए। उन्होंने कहा कि गंगा जी को अविरल और निर्मल रखने के लिए शीर्ष स्तर पर बैठक करते हुए बिजनौर से लेकर प्रयागराज तक सभी जनपदों में निर्मल गंगा को मेन्टेन करने के लिए परियोजनाओं को ससमय पूरा करने की कार्य योजना बनाई जाए। वहीं पुलिस विभाग की कार्ययोजना पर चर्चा करते हुए सीएम ने कहा कि आग से बचाव, आपदा प्रबन्धन आदि हेतु पर्याप्त सुरक्षा प्रबन्ध किए जाएं। पुलिस को आपदा प्रबन्धन हेतु फायर इक्विपमेन्ट, एंटी टेररिस्ट सर्विलांस, बैगेज चेकिंग इक्विपमेन्ट, ड्राउनिंग से बचाव हेतु रिवर बैरीकेडिंग आदि उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था हेतु प्रयागराज के सभी सम्मानित नगरवासियों, मेला क्षेत्र में स्थापित होने वाले सभी कैम्पों के साथ सामन्जस्य स्थापित किया जाए। इसके लिए पुलिस ट्रेनिंग पर विशेष बल दिया जाए, ताकि लोगों को उनका व्यवहार अच्छा लगे। सभी पुलिस कर्मियों को रुकने के लिए कुंभ-2019 की तरह ही अच्छे कैंप उपलब्ध कराए जाएं।

माघ मेले में कल्पवासियों की सुविधा का रखें खास ख्याल

माघ मेला तैयारियों की समीक्षा करते हुए सीएम ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि माघ मेले में कल्पवासियों को सुविधाओं में किसी प्रकार की कोई कमी न रहे। श्रद्धालुओं के लिए सभी उत्कृष्ट सेवाएं एवं सुविधाएं जो कुंभ-2019 के बाद से लगातार माघ मेलों में दी जा रही हैं, उन्हें सुनिश्चित करा लिया जाए। आगामी माघ मेलों को प्रयागराज महाकुंभ- 2025 की तैयारी की दृष्टि से आयोजित किया जाए। माघ मेले के दौरान गंगा जी में अविरल एवं निर्मल जल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए शासन स्तर पर सभी जनपदों को निर्देशित किया जाए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस-प्रशासन सामन्जस्य से अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करें। स्वच्छता एवं सुरक्षा के साथ माघ मेला सम्पन्न कराएं। सीएम ने निर्देश दिए कि प्रमुख सचिव नगर विकास, मंडलायुक्त और मेले की टीम स्थानीय जनप्रतिनिधियों से संवाद कर उनसे प्राप्त सुझावों को समाहित करते हुए अपनी कार्य योजना विकसित करें। उन्होंने कहा कि प्रथम स्नान से पूर्व सभी श्रद्धालुओं को उत्कृष्ट व्यवस्था देने के लिए मिशन मोड पर कार्य किया जाए। प्रयागराज महाकुम्भ 2025 विश्व का सर्वाधिक अभूतपूर्व एवं अविस्मरणीय आयोजन सिद्ध हो, इस लक्ष्य के साथ योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाए।

 

भव्य-दिव्य महाकुंभ के लिए मुख्यमंत्री के प्रमुख दिशा-निर्देश

  • ऐसी परियोजनाएं जिन पर 02 वर्ष से अधिक समय लगने की सम्भावना है, उनके सम्बन्ध में तत्काल शासनादेश जारी कराने की कार्यवाही की जाए। निविदा आमंत्रित की जाए और इसी वित्तीय वर्ष में कार्य प्रारम्भ कराना सुनिश्चित किया जाए।
  • एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों पर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों। पार्किंग क्षेत्र की वृद्धि की जाए। सभी स्थानों पर हेल्थ एटीएम, वॉटर एटीएम व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
  • यातायात योजनाओं में यह सुनिश्चित किया जाए कि इस बार महाकुम्भ मेले में श्रद्धालुओं को नॉन पीक डेज में 02 किलोमीटर तथा पीक डेज में 05 किलोमीटर से ज्यादा पैदल न चलना पड़े। किसी भी तरह का यातायात अवरुद्ध न हो, विशेषकर मुख्य स्नान के दिनों में किसी भी रूट पर जाम न हो।
  • इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के माध्यम से मॉनीटरिंग की जाए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस , डाटा एनालिटिक्स का प्रयोग ट्रांसपोर्ट प्लानिंग एवं क्राउड मैनेजमेन्ट में किया जाए।
  • यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी घाटों पर महिलाओं सहित सभी श्रद्धालुओं को अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हों। सभी विद्युत पोलों में एलईडी लाइट का प्रयोग किया जाए।
  • विद्युत व्यवस्था में विद्युत सुरक्षा का विशेष ध्यान दिया जाए जिससे बिजली के शॉर्ट सर्किट से आगजनी आदि की घटनाएं न घटित हों।
  • पेयजल के लिए अधिक से अधिक वॉटर एटीएम तथा स्टैंड पोस्ट का उपयोग किया जाए। प्रत्येक कैम्प में पेयजल कनेक्शन ससमय उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए।
  • मेले के दौरान वर्षा होने पर जल निकासी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
  • सभी विभाग अपने उत्कृष्ट, दक्ष एवं समर्पित भाव से कार्य करने वाले अधिकारियों की तैनाती करें।
  • अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव प्रत्येक माह अपने-अपने विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करें तथा उनका मार्गदर्शन करने के साथ ही परियोजनाओं को ससमय स्वीकृति प्रदान करें।
  • विभागीय मंत्रिगण द्वारा भी प्राथमिकता के आधार पर अपने-अपने विभागों के कार्यों का नियमित अनुश्रवण किया जाए।

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