निकाय चुनाव में जनजातियों की भागीदारी सुनिश्चित कराने की उठी मांग, मंच ने बुलंद की आवाज
निकाय चुनाव में जनजातियों की भागीदारी सुनिश्चित कराने की आवाज यूपी के जनपद देवरिया में बुलंद की गई। प्रदेशीय जनजाति विकास मंच भारतवर्षीय गोंड़ आदिवासी महासभा ने इसकी मांग उठाते हुए एक मांग-पत्र एडीएम प्रशासन गौरव श्रीवास्तव को सौंपा। महासभा के बैनर तले जनपद मुख्यालय पर जुटे समर्थकों ने बुधवार को शहर के सुभाष चौक पर सांकेतिक प्रदर्शन करते हुए अपनी अवाज बुलंद की।
प्रदेशीय जनजाति विकास मंच के प्रदेश अध्यक्ष मुंशी प्रसाद गोंड ने कहा कि यूपी में होने वाले नगर निकाय चुनाव में आरक्षित सिटों में प्रदेश की जनजातियों को कहीं भी एक भी सीट आरक्षित नहीं की गई है, यह प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों के साथ अन्याय है। जबकि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में जनजातियों की आबादी लगभग 5 फीसद है। उन्होंने कहा कि सरकार जनजातियों के 5 फीसद आबादी को लोकतांत्रिक व्यवस्था से बाहर रख रही है, यह उचित नहीं है। कहा कि इन जातियों को भी उनका हक मिलना चाहिए।
दिए गए ज्ञापन में इस बात का उल्लेख किया गया है कि उत्तर प्रदेश में सन 2000 के पहले मात्र 5 जातियां जनजातियां सूची में सम्मिलित थीं, जिनकी कुल आबादी का 90% थी। 2002 में उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में 10 जातियों को जनजातियों की सूची में सम्मिलित कर लिया गया। वर्तमान में 24 दिसंबर 2022 को प्रदेश के 4 जिलों के गोंड जाति को जनजाति की सूची में सम्मिलित किया गया है। यदि वर्तमान में आबादी का सर्वे कराया जाए, तो करीब 4 से 5 फीसद की आबादी होगी। प्रदेश की 5 फीसद आबादी को लोकतांत्रिक व्यवस्था से बाहर किया जाना उचित नहीं है।
मौके पर रामधनी गोंड़, बैजनाथ गोंड़, उमेश चंद गोंड़, जयप्रकाश गोंड़, सूर्यदेव गोंड़, गुरुरज खरवार, अंबिका गोंड़, पप्पू गोंड़, रामदुलारे गोड़, रामस्नेही गोंड़, नवीन गोंड, विजय बहादुर गोंड, विशाल गोंड़, रामदुलारे गोंड़, ओमप्रकाश गोंड प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
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