पाकीजा की साहिब जान को चांद के पार ले जाना होगा मुमकिन

- चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को पूरा देश बधाई व शुभकामना दे रहा है
- भारतीय संस्कृति के अहम अंग चांद के रहस्यों से उठेगा पर्दा
- 23 अगस्त को चंदा मामा धरती के यान का कर सकते हैं स्वागत
- पूरी दुनिया ने माना भारत का लोहा, मिल रहीं बधाइयां
लेखक राजेश पटेल की कलम से…
चंद्रमा भारतीय संस्कृति में रचा-बसा है। यह बच्चों का प्यारा मामा है तो नायिका के मुखड़े का पर्याय। करवा चौथ के दिन यह सुहागिनों का हो जाता है। प्रेम के गीतकारों की जरूरत। कभी दूज का चांद हो जाता है, तो कभी पूर्णिमा का पूर्ण। इसकी रौशनी ‘अजोरिया’ जब इठला सकती है तो चांद के क्या कहने। वह तो चांद है ही।
हमेशा से कौतूहल का विषय बने इस चांद के रहस्यों से अब पर्दा उठने वाला है। फिल्म पाकीजा की साहेब जान को चांद के पार ले जाया जा सकता है। करीब 51 साल पहले बनी फिल्म पाकीजा में साहेब जान की भूमिका में मीना कुमारी थीं। नवाब के किरदार में थे राजकुमार। चांद इतना साफ है कि जमीन पर रखने से जिसके पांव गंदे हो जाते हों, उसे चांद के पार ले जाने की बात करते हैं। पाकीजा फिल्म में राजकुमार का यह डायलाग आज भी लोगों की जुबां पर है। आपके पांव देखे, बहुत हसीन हैं। इन्हें जमीन पर मत उतारिएगा। मैले हो जाएंगे।
आखिर क्या है इस चांद में। यही जानने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने शुक्रवार 14 जुलाई 2023 को चांद के सफर पर एक यान भेजा है। करीब 50 दिन की लंबी यात्रा के बाद 23 अगस्त को चांद की सतह पर उतरना है। यह भारत का मिशन चांद का तीसरा अभियान है।
चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो के वैज्ञानिकों को देश ही नहीं, दुनिया के तकरीबन सभी देशों से बधाइयों व शुभकामनाओं का तांता लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत सभी दलों के नेताओं ने बधाई देते हुए इसे अद्भुत सफलता करार दिया है। सभी ने कहा कि इससे भारत का माथा गर्व से तन गया है।
हमेशा से कौतूहल का विषय रहा है चांद
चंद्रमा हमेशा से इंसान के लिए कौतूहल का विषय रहा है। इसके बारे में जानने के लिए वैज्ञानिकों सहित पूरी मानव जाति में जिज्ञासा है। ब्रह्मांड में यह हमारा सबसे निकट का पड़ोसी है, जिस पर मनुष्य कदम रख चुका है। पृथ्वी के पास के के इस ग्रह पर जीवन की संभावना है, इसी कारण विश्व भर की अंतरिक्ष एजेंसियां इस पर अपने यान भेजती रहती हैं। भारत ने शुक्रवार 14 जुलाई को तीसरी बार चंद्रमा के लिए यान भेजा है। पहली बार 22 अक्टूबर 2008 को, दूसरी बार 22 जुलाई 2019 को। तीसरा यान 14 जुलाई 2023 को भेजा गया।
प्रेम के गीतकारों के लिए चांद काफी अहम
प्रेम के गीतकारों के लिए चांद और चांदनी बहुत महत्वपूर्ण है। कई फिल्मी गानों में तो इसे मुखड़े यानि पहली ही लाइन में गीतकारों ने लिया है।
- चांद जैसे मुखड़े पे बिंदिया सितारा, नहीं भूलेगा मेरी जान-येसूदास
- चांद को क्या मालूम चाहता है उसे कोई चकोर-मुकेश
- चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो-मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर
- चांद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था-मुकेश
- चौदवीं का चांद हो या आफताब हो-मोहम्मद रफी
- सोच के ये गगन झूमे अभी चांद निकल आएगा-मन्ना डे और लता मंगेशकर
- चांद मेरा दिल चांदनी हो तुम-मोहम्मद रफ़ी
- मैंने पूछा चांद से के देखा है कहीं-मोहम्मद रफ़ी
- आधा है चंद्रमा रात आधी-रामचंद्र चितलकर
- चंदा को ढूंढने सभी तारे निकल पड़े-???
- चांद आंहे भरेगा फूल दिल थाम लेंगे-मुकेश
- चंदा है तू मेरा सूरज है तू-लता मंगेशकर
- तुझे सूरज कहूं या चंदा-मन्ना डे
- वो चांद खिला वो तारे हसीं-लता मंगेशकर
- एक रात में दो दो चांद खिले-मुकेश और लता मंगेशकर
- चेहरा है या चांद खिला है-किशोर कुमार
- चांद खिला तारे खिले-महेन्द्र कपूर और उषा मंगेशकर
- खोया खोया चांद-मोहम्मद रफ़ी
- ये वादा करो चांद के सामने-मुकेश और लता मंगेशकर
- देखो वो चांद छुपके करता है क्या इशारे-हेमन्त कुमार और लता मंगेशकर
- चांद सिफारिश जो करता हमारी-शान
- संभल के बैठो चांद है तारे भी हैं-मोहम्मद रफ़ी और सुमन कल्याणपुर
- समझ कर चांद जिसको आसमां ने-अलका याज्ञीक और विनोद राठोड
- चांद हंसा तारे खिले-लता मंगेशकर
- गवाह हैं चांद तारे गवाह है-कुमार सानू और अलका याग्निक
- चांद छुपा बादल में-उदित नारायण
- चांद सितारे फूल और खुशबू-कुमार सानू
- रात हमारी तो चांद की सहेली है-चित्रा
इनके अलावा भी ढेर सारे फिल्मी गाने हैं, जिनमें चंदा, चांद, चांदनी शब्द का प्रयोग हुआ है। सौंदर्य का पर्याय जो ठहरा। लोकगीतों में भी चांद काफी लोकप्रिय है। इसकी रौशनी अजोरिया भी खास है। गोरिया चांद के अजोरिया नियन गोर बाटू हो, तोहार जोड़ कोई नइखे, बेजोड़ बाटू हो…
आखिर चांद में ऐसा क्या है, जो सभी का प्रिय है। उस पर तो अनुसंधान होना ही चाहिए। अब भारतीय वैज्ञानिक इसमें सफलता हासिल करके ही रहेंगे, लेकिन एक प्रमुख सवाल….
- चंद्रमा मानव चरण से चूर होता जा रहा है,
- विश्व का हर बिंदु कम दूर होता जा रहा है।
- क्या बता सकेगा आज का विज्ञान युग ?
- आदमी से आदमी क्यों दूर होता जा रहा है।
भारतीय वैज्ञानिकों को ढेर सारी बधाई व शुभकामनाएं।
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