क्राइम फाइल में पढ़ें…14 साल तक चले पेशेवर अपराधी से लुका-छिपी के खेल को पुलिस ने कैसे खत्म किया
क्राइम फाइल से अमन की रिपोर्ट…
क्राइम फाइल में हम एक ऐसे दुर्दांत अपराधी की चर्चा कर रहे हैं, जिसका एक-एक पल अपराध की दुनिया से जुड़ा रहा है। जो शुटरों को पालता था। दिनदहाड़े गोलीबारी करवाकर दहशत फैलाना और फिर लेवी और रंगदारी वसूलना, हत्या की साजिश, शुपारी लेकर किसी की भी हत्या करा देना ही पेशा था।
ऐसे न जाने कितनी वारदातों के आरोपी को पकड़ने के लिए एसटीएफ भी कोशिश कर चुकी थी, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं आया। जब इसकी गिरफ्तारी को लेकर अपने जाल में पुलिस नाकाम हुई तो इसके ऊपर पुलिस ने 50 हजार का इनाम रखा। लगातार मिली नाकामियों के बावजूद पुलिस ने भी अपना हौसला नहीं खोया। पुलिस को जैसे ही कोई सुराग हाथ लगता पुलिस गिरफ्तारी को लेकर अर्लट मोड में आ जाती थी।
तकरीबन 14 साल तक चले लुका-छिपी के खेल को पुलिस ने 6 महिने की कड़ी मशक्कत के बाद टॉप-टू के श्रेणी के अपराधी को पकड़ने में कामयाब हो गई। पुलिस के जिस दिलेर टीम ने यह सफलता हासिल की है, उसकी चंहूओर तारीफ हो रही है। एक तरफ इलाके के लोग जहां राहत महशुश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वैसे सफेदपोश, कारोबारी और भूमाफियाओं की मुश्किलें बढ़ गईं हैं जिनसे कुख्यात का काफी गहरा रिश्ता था और इनके कहने पर न जाने कितनी हत्याओं के वारदात को अंजाम दे चुका है।
हम बात कर रहे हैं, बिहार के भागलपुर जिले के कुख्यात अपराधी टिंकु मियां की, जो करीब 13-14 साल से फरार था। सूत्रों की मानें तो अपराधियों व शुटरों के लिए बंगाल के वर्धमान जिले का मेटिया बुर्ज छिपने का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। इसे बंगाल का मिनी पाकिस्तान भी कहा जाता है। यहां आसपास के अधिकतर लोग अपराधियों के सहयोगी माने जाते हैं। जब भी इस इलाके में पुलिस पहुंचती, यहां के लोग पुलिस पर हमला कर देते हैं, इस डर से पुलिस वहां रेड करने से दूर भागती है। कुख्यात ने भी इसी इलाके को अपना ठिकाना बना रखा था। यहां के बाद उसका दूसरा सुरक्षित ठिकाना बीरभूम के सुरी थानाक्षेत्र के पाथरचुपरी में था। यह इलाका बिल्कुल ही सुदूर क्षेत्र में है।
पुलिस टीम को ऐसे मिली कामयाबी
कुख्यात टिंकु मियां को गिरफ्तार करने वाली दिलेर टीम को लीड कर रहे लॉ-एंड-ऑर्डर डीएसपी डॉ. गौरव कुमार को यह कामयाबी टिंकु मियां के उस मोबाइल नंबर से मिली, जिसे टिंकु मियां हमेशा पास रखता था। मोबाइल नंबर हासिल होने के बाद से डीएसपी ने अपने फुलप्रूफ प्लान के साथ अपने दो-तीन थानेदार और सिपाहियों के साथ बराबर उसकी निगरानी शुरू कर दी। जैसे जहां का लोकेशन मिलता पुलिस उस लोकेशन को ट्रेस करती रही। इसमें करीब 6 माह का वक्त गुजरा।
पुलिस को तकरीबन तीन रोज पहले यह सूचना मिली कि टिंकु मियां बर्धमान जिले के मोटिया बुर्ज से ट्रेन से पांच दिन पहले पाथरचुपरी के निकला है और वहां वह एक लॉज में रुका है। यहां से वह पाथरचुपरी में मजार पर मत्था टेकने के बाद अगली सुबह फिर मेटिया बुर्ज निकलने वाला है। इस सूचना के बाद पुलिस टीम वहां पहुंच गई और पुलिस का एक व्यक्ति लॉज के पास उसकी निगरानी करने लगा। पुलिस उस पर बराबर नजर रख रही थी। मंगलवार की रात करीब 8 बजे तक टिंकू बेफिक्र होकर लॉज के बाहर घूमता रहा। इस दौरान उसने गांजा पिया और रात करीब 10 बजे लॉज के अंदर चला गया। इसके बाद बगैर मौका गवाए पुलिस लॉज के अंदर प्रवेश कर गई। तीन मंजिले लॉज के किस कमरे में टिंकु मियां था, इससे पुलिस अनभिज्ञ थी। पुलिस ने कई कमरों का दरवाजा खुलवाया पर वह नहीं मिला। अंत में पुलिस ने लॉज के मैनजर को जगाया और पिस्टल सटा कर कहा हमलोग पुलिस हैं, फोटो दिखाकर कहा कि यहां एक अपराधी ठहरा है उसका पता बताओ। मैनेजर ने फोटो देखते ही टिंकू मियां को पहचान लिया और उसका कमरा नंबर 10 बताया। मैनेजर के साथ पुलिस वहां पहुंची और दरवाजा खटखटाया, जैसे ही उसने दरवाजा खोला कि पुलिस ने उसे संभलने का मौका न देते हुए उसे धर दबोचा।
सूत्रों कि मानें तो पूछताछ में टिंकू ने पुलिस के सामने जिन-जिन सफेदपोश, भूमाफियाओं और कारोबारियों से रिश्ते की बात को कबूला है, पुलिस उस मामले की भी जांच करेगी और फिर से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ के पुलिस टिंकु को जेल भेज चुकी है।, लेकिन दोबारा पूछताछ के लिए पुलिस टिंकु को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है।
टिंकु मियां की गिरफ्तारी के लिए पुलिस का ऑपरेशन आसान नहीं था
सूत्रों कि मानें तो टिंकु मियां की गिरफ्तारी के लिए तकरीबन 16 किलोमीटर भीतर एक विशेष समुदाय के इलाके में जाकर गिरफ्तारी करने का ऑपरेशन जोखिम भरा था। कहीं पुलिस की गाड़ी का तेल खत्म हुआ तो कहीं आंधी-पानी और बंगाल पुलिस ने रोका। दिलेर डीएसपी डॉ. गौरव कुमार तीन स्कार्पियो के साथ टिंकू को पकड़ने के लिए निकले थे। जब पुलिस झारखंड बॉडर पार कर बंगाल पहुंची तो तेज बारिश और आंधी आ गयी। बंगाल के मसानजोर से लेकर बीरभूम के पाथरचुपरी तक का रास्ता घुमावदार व पहाड़ों के बीच गाड़ी को चलाने में पुलिस को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पाथरचुपरी से 25 किलोमीटर पहले ही पुलिस के एक गाड़ी का फ्यूल खत्म हो गया। किसी तरह गाड़ी को पेट्रोल पंप तक ले जाया गया। वहां सभी गाड़ियों की टंकी फूल की गई। जब पुलिस आगे बढ़ी तो पता चला कि जिस पाथरचुपरी गांव में टिंकू रुका है वो एक विशेष समुदाय का इलाका है और मुख्य मार्ग से 16 किलोमीटर अंदर है। पुलिस को शुरुआत में वहां रेड करना थोड़ा जोखिम लग रहा था। पुलिस नहीं चाहती थी बंगाल पुलिस की मदद ली जाए, क्योंकि वहां कि पुलिस को सहयोग में लेने के बाद कानूनी पचड़े संभावना थी। इसलिए पुलिस की एक गाड़ी ने गांव का पहले रैकी किया। जब देख लिया कि गांववाले सो गये, तब पुलिस ने लॉज पर धाबा बोला। वहां से गिरफ्तार कर जैसे ही पुलिस निकलने लगी कि बंगाल पुलिस ने रोक लिया। बंगाल पुलिस पूछताछ करने लगी, दोनों पुलिस में नोकझोंक शुरू हो गई। जिस गाड़ी में टिंकू बैठा था उसमें डीएसपी खूद थे। उन्होंने अपनी गाड़ी को अचानक तेज गति से भगाना शुरू कर दिया। बंगाल पुलिस जब तक पीछा करती तब तक बिहार पुलिस काफी आगे निकल चुकी थी।
गाजीबाबा, जयकिशन शर्मा हत्याकांड सहित कई चर्चित काड़ों का है आरोपी
बताया जाता है कि टिंकू मियां से पुलिस ने कड़ी पूछताछ की है। इस पूछताछ में टिंकु ने कई चौकाने वाले खुलासे किया है। इस खुलासे में बड़े सफेदपोश, कारोबारी व भूमाफियाओं से टिंकू के गहरे रिश्ते की बात सामने आ रही है। इन लोगों के इशारे पर टिंकू ने अपने शुटरों से कई हत्या करायी है। शहर के कई चर्चित हत्याकांड का अबतक खुलासा नहीं हो सका है, जो करीब दो दशक बीत चुके हैं। इसमें चर्चित मामला पेट्रोल पंप मैनेजर जयकिशन शर्मा हत्याकांड, नाथनगर के गाजीबाबा हत्याकांड शामिल है। चुनिहारी टोला निवासी जयकिशन शर्मा कि हत्या 27 जनवरी 2014 को हुई थी। घटना के पीछे बेसकिमती जमीन का मामला था।
- गाजीबाबा कि हत्या 8 सितंबर 2014 को नाथनगर के मोमिनटोला में की गई थी। इस घटना के पीछे भी कबीरपुर की बेसकिमती जमीन का विवाद सामने आया था।
- 14 मई 2014 को पार्षद चमरु मिया पर बड़ी पोस्ट आफिस के साथ हत्या की नियत से गोली चलाई गई थी।
- 31 मई 2017 को आनंदमार्ग कॉलोनी के शास्वत वर्मा अपहरण कांड जैसे बड़ी-बड़ी घटनाएं घटीं। कहा जाता है कि इन सभी घटनाओं में टिंकू मियां का हाथ था। टिंकु ने मोटी रकम लेकर अपने शुटरों से हत्या व गुर्गो से अपहरण, रंगदारी की वारदात को अंजाम दिला था।
पुलिस सूत्रों कि मानें तो टिंकू ने जिन-जिन सफेदपोशों, भूमाफियाओं और कारोबारियों से रिश्ते की बात को कबूला है, पुलिस उस मामले की भी जांच करेगी और फिर से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ के पुलिस टिंकु को जेल भेज चुकी है।, लेकिन दोबारा पूछताछ के लिए पुलिस टिंकु को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है।
यहां देखें वह वीडियो, जिसमें पुलिस टिंकु मियां को गिरफ्तार कर ले जा रही है…
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