जीआई टैग उत्पाद में उत्तर प्रदेश नंबर वन
यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में दुनिया देखेगी प्रदेश के उत्कृष्ट उत्पादों की प्रदर्शनी
UP: उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने में प्रदेश की बौद्धिक संपदा अहम भूमिका निभाएगी। प्रदेश की धरोहर को पूरे विश्व में पहुंचाने के लिए योगी सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार उपलब्ध करा रही है। सूबे की सरकार 25 से 29 सितम्बर तक इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा में यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो का आयोजन करने जा रही है।
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यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जीआई टैग वाले उत्पाद अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराएंगे। देश के धरोहर और विरासत वाले हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट और विशेष खाद्य उत्पादों को इसकी खासियत को देखते हुए इंटरनेशनल ट्रेड शो में प्रदर्शन के लिए अलग से पवेलियन की व्यवस्था होगी। उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक कुल 75 जीआई टैग वाले उत्पाद हैं, जिसमें 58 हस्तशिल्प और 17 कृषि एवं खाद्य उत्पाद जीआई पंजीकृत हैं। वहीं यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में काशी की समृद्ध हैंडीक्राफ्ट की विरासत और हस्तशिल्पियों के हुनर वाले 23 जीआई टैग वाले उत्पादों की चमक भी दुनिया देखेगी। बता दें कि देश का पहला शहर काशी है, जहां सबसे अधिक जीआई टैग वाले उत्पाद हैं।
जीआई टैग के मामले में यूपी है देश में नंबर वन
जीआई एक्सपर्ट पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने बताया कि योगी सरकार की अगुआई में उत्तर प्रदेश जीआई उत्पाद में भी नंबर वन पर है। जबकि दूसरे नंबर पर तमिलनाडु, तीसरे नंबर पर कर्नाटक, चौथे नंबर पर महाराष्ट्र और पांचवे नंबर पर केरल है। काशी क्षेत्र में 2014 के पहले मात्र 2 जीआई पंजीकृत उत्पाद (बनारस ब्रोकेड एवं साड़ी तथा भदोही का हस्तनिर्मित कालीन) थे। 2017 में यूपी में योगी सरकार द्वारा सत्ता संभालने के बाद जीआई पंजीकरण ने रफ़्तार पकड़ी। अब इनकी संख्या 25 हो गई है। काशी क्षेत्र में जीआई उत्पादों का सालाना कारोबार लगभग 22 हज़ार 500 करोड़ का है। इस कारोबार से लगभग 12 से 15 लाख लोग जुड़े हैं। पूरे कारोबार मे लगभग 30 प्रतिशत के करीब महिलाएं शामिल हैं। दुनिया के प्रमुख देशो में काशी क्षेत्र के जीआई उत्पादों का निर्यात होता है।
सबसे ज्यादा काशी क्षेत्र के जीआई टैग वाले उत्पाद
पांच दिवसीय यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में सबसे ज्यादा काशी क्षेत्र के जीआई टैग वाले उत्पाद देखने को मिलेंगे। जीआई मैन ऑफ़ इंडिया के नाम से जाने जाने वाले जीआई एक्सपर्ट ने बताया कि इंटरनेशनल ट्रेड शो में उत्तर प्रदेश के जीआई उत्पादों के स्टाल के लिए अलग से पवेलियन बनाया गया है। उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेश में कुल 75 जीआई टैग वाले उत्पाद हैं, जिसमें से हैण्डीक्राफ्ट, हैंडलूम और खाद्य उत्पादों के 60 जीआई टैग वाले उत्पाद ट्रेड शो में अपनी चमक विदेशों तक बिखेरेंगे। उत्तर प्रदेश, देश का एकमात्र राज्य है जहां सभी प्रमुख श्रेणी के जीआई उत्पाद हैं और हस्तशिल्प मे सर्वाधिक जीआई भी उत्तर प्रदेश से हैं। 75 में से सबसे ज्यादा 25 जीआई टैग उत्पाद अकेले काशी क्षेत्र के है ,जिसमे 23 जीआई उत्पाद इंटरनेशनल ट्रेड शो में अंतर्राष्ट्रीय उड़ान भरेंगे। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के प्रमुख ओडीओपी उत्पादों को भी जीआई टैग मिल चुका है। और यह भारत की बौद्धिक संपदा अधिकार में शामिल है।
जीआई उत्पादों को मिला अंतरराष्ट्रीय फलक
जीआई एक्सपर्ट ने बताया कि इंटरनेशनल ट्रेड शो के पहले संस्करण की सफलता के बाद दूसरा संस्करण मुख्यमंत्री के नीतियों, पारदर्शी नेतृत्व का परिणाम है। जिससे प्रदेश के जीआई और ओडीओपी उत्पादों को इंटरनेशनल पहचान और बाजार मिल रहा है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की 1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रदेश का जीआई उत्पाद बड़ी भूमिका निभाएगी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, जीआई उत्पाद, समेत सभी क्षेत्र के छोटे बड़े उद्योग को प्लेटफार्म दे रही है। जिससे उद्यमी अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक लेकर जा रहे है। योगी सरकार देश की परंपरागत हुनर और जीआई उत्पादों को पुनर्जीवित कर रही है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीआई उत्पादों और ओडीओपी के ब्रांड एम्बेसडर बनकर ब्रांडिंग और मार्केटिंग कर रहे हैं।
महिलाओं को स्वावलंबी बना रही योगी सरकार
उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन एंड रिसर्च की चेयरमैन शिप्रा शुक्ला ने बताया कि यह योगी का नया उत्तर प्रदेश है, जहां देश की हस्तकला को राज्य सरकार द्वारा संरक्षण देकर पुनर्जीवित किया गया है। देश की पारंपरिक हस्तशिल्प की दम तोड़ती कला में जान फूंकने का काम जीआई व ओडीओपी ने किया है। इससे आज हस्तशिल्पियों के हर हुनरमंद हाथ को काम मिल रहा है। पुरुष प्रधान क्राफ्ट में बड़ी संख्या में महिला शिल्पियों को भी योगी सरकार विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बना रही है। योगी सरकार ने हैंडीक्राफ्ट को दुनिया के क्राफ्ट के मुकाबले खड़ा करने के लिए लगातार नई डिजाइन, पैकेजिंग और मार्केटिंग के प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये हैं। आर्टिजन्स को आर्थिक सहायता, टूलकिट आदि प्रदान करके उनको अपने पैरो पर दुबारा खड़ा कर दिए है। जहां पुरुष प्रधान क्राफ्ट में भी बड़ी संख्या में महिला शिल्पियों को विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बना रही है।
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