April 12, 2025

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BIHAR : CRIME FILE SITAMARHI, बैरगनिया थानेदार कुंदन कुमार की मौत, आत्महत्या या हत्या…?

थानेदार कुंदन कुमार की फाइल फोटो।

थानेदार कुंदन कुमार की फाइल फोटो।

पुलिस की तफ्तीश के बाद ही सामने आएगा सच, क्योंकि शव के पास पड़ी कुर्सी और दोनों पैरों का जमीन से संपर्क में होना इस मामले को आत्महत्या की सामान्य परिभाषा से अलग करता है, एसपी ने जाबांज पुलिसवाले की मौत को आत्महत्या करार दिया है पर यह स्पष्ट किया है कि मामले की गहराई से जांच की जा रही है

CRIME FILE SITAMARHI (BIHAR) : आज के क्राइम फाइल में हम आपको ऐसी खबर से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो अपराधी या अपराध से जुड़े व्यक्ति की दास्तां नहीं है, बल्कि एक ऐसे जाबांज पुलिसवाले सख्श की मिस्ट्री बताने जा रहे हैं, जो कानून का रखवाला था। अपनी ईमानदारी और साफगोई के लिए जाना और पहचाना जाता था, इसे खबर समझिए या मिस्ट्री पूरी पढ़ने के बाद आप खुद उस नतीजे पर पहुंच जाएंगे।

हम बात सीतामढ़ी जनपद के बैरगनिया थानेदार कुंदन कुमार की मौत के खबर की कर रहे हैं, जिस पुलिस फिलहाल आत्महत्या करार दे रही है। इस पूरे मामले में एसपी मनोज कुमार तिवारी ने जो बयान दिया है उससे कहीं न कहीं इशारा कुछ और ही है, लेकिन फिलहाल उन्होंने अपने बयान में थानेदार कुंदन कुमार की मौत को आत्महत्या करार दिया है पर अपने दूसरे बयान में यह स्पष्ट किया है कि मामले की गहराई से जांच की जा रही है। यानी दाल में कुछ काला है। दाल काली होनी भी चाहिए, क्योंकि मामला एक जाबांज पुलिसवाले की मौत से जुड़ा है।

बैरगनिया थानेदार कुंदन कुमार ने आत्महत्या कर ली या उन्हें आत्महत्या करने के लिए विवश किया गया या फिर उनकी हत्या कर दी गई, यह सब बातें पुलिस की तफ्तीश में छिपी है। पुलिस की तफ्तीश के बाद ही सच सामने आएगा। वैसे, मामला जो भी हो, हकीकत जो भी हो पर हम आपको बता दें कि बैरगनिया थाना परिसर में थानाध्यक्ष कुंदन कुमार का शव फंदे से लटका हुआ मिला। उनके पैरों का जमीन से सटा होना और पास में पड़ी कुर्सी ने इस मौत को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

कुंदन कुमार 2009 बैच के इंस्पेक्टर थे और फरवरी 2024 में उन्हें बैरगनिया थाने की जिम्मेदारी दी गई थी। इससे पहले वह मुजफ्फरपुर के कांटी और सदर थानों में तैनात थे, जहां उन्होंने अपने काम से प्रतिष्ठा अर्जित की थी।

बुधवार की सुबह ही उन्होंने एक बड़ी सफलता हासिल की थी, जब बैरगनिया में चोरी के 30 लाख रुपए से अधिक के 59 मोबाइल और दो लैपटॉप के साथ एक शातिर बदमाश को गिरफ्तार किया गया था। बरामद सामान में 24 iPhone भी शामिल थे, जो इस छापेमारी की अहमियत को दर्शाते हैं।

बताया जाता है कि कुंदन कुमार का शव उनके सरकारी आवास में मिला। शव के पास पड़ी कुर्सी और दोनों पैरों का जमीन से संपर्क में होना इस मामले को आत्महत्या की सामान्य परिभाषा से अलग करता है। अब यह सवाल उठता है कि क्या यह वास्तव में आत्महत्या थी, या फिर कोई साजिश रची गई है? एक कुशल और सख्त पुलिस अधिकारी का इस प्रकार जान गंवा देना कई संदेहों को जन्म देता है।

कुंदन कुमार के बारे यह भी बताया जाता है कि पटना के विक्रम से उनका ताल्लुक था और उनकी तैनाती के दौरान कोई विवाद या तनावपूर्ण घटना का रिकॉर्ड सामने नहीं आया है। इसके बावजूद, पुलिस सेवा में रहते हुए अधिकारियों को प्रायः मानसिक तनाव और राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ता था। गिरफ्तारी की सुबह मिली सफलता से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह अपने कर्तव्यों के प्रति सक्रिय और सजग थे।

इस घटना ने न केवल बैरगनिया, बल्कि पूरे पुलिस महकमे को झकझोर दिया है। पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच की बात कही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह महज आत्महत्या है, या फिर किसी ने कुंदन कुमार को इस स्थिति में पहुंचाने के लिए मजबूर किया…?

आत्महत्या का यह मामला कई सवाल खड़े करता है, जिनके जवाब जिला प्रशासन और पुलिस जांच पर निर्भर करेंगे। कुंदन कुमार की मौत का सही कारण क्या था, यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा, लेकिन एक होनहार पुलिस अधिकारी का इस तरह जाना पूरे सिस्टम के लिए एक गहरी चोट है।

अभी तक की जांच आत्महत्या की ओर इशारा कर रही है, लेकिन परिस्थितिजन्य सबूतों को देखते हुए हत्या की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। थानेदार की यह मौत न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि एक ऐसी घटना है, जो पूरे तंत्र की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर सवाल खड़े करती है। क्या कुंदन कुमार दबावों के चलते टूट गए, या यह कोई गहरी साजिश थी? जांच का परिणाम ही इन सवालों का सही उत्तर दे पाएगा।

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