November 21, 2024

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इजरायल ने तीन घंटे में ईरान के 20 ठिकानों पर किया बड़ा हमला

हवाई हमले के बाद सीरिया-इराक ने एयरस्पेस बंद किया, अमेरिका ने किया समर्थन

इजरायल का पलटवार : शनिवार की सुबह इजरायल ने दर्जनों लड़ाकू विमानों से ईरान के 20 से अधिक ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए। यह कार्रवाई 1 अक्टूबर को ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए बैलिस्टिक मिसाइल हमले के जवाब में की गई। इजरायली सेना ने इस ऑपरेशन को “ईरान में सैन्य ठिकानों पर सटीक हमला” बताया है, जिसमें मिसाइल फैक्ट्रियों और अन्य प्रमुख सैन्य परिसरों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया।

हालांकि, ईरान में हुए नुकसान की विस्तृत जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। इस हमले का उद्देश्य ईरान की सैन्य क्षमता को कमजोर करना और भविष्य में संभावित हमलों को रोकना है। रिपोर्टों के अनुसार, इजरायल ने तीन घंटे में यह कार्रवाई पूरी की, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा में अचानक तनाव बढ़ गया है।

क्षेत्रीय तनाव और हवाई यातायात पर असर

यह हमला इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से जारी तनाव का नया अध्याय है। पिछले छह महीनों में ईरान ने दो बार इजरायल पर मिसाइल हमले किए हैं। इस हमले के बाद सीरिया, इराक और ईरान ने तुरंत अपनी हवाई सीमाएं बंद कर दीं और अगली सूचना तक सभी वाणिज्यिक उड़ानों को स्थगित कर दिया है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय हवाई यातायात में गंभीर व्यवधान उत्पन्न हो गया है, जिसका असर व्यापार और पर्यटन पर भी पड़ेगा।

इजरायल का यह हमला सैन्य और रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम है क्योंकि यह सिर्फ जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी है कि इजरायल भविष्य में किसी भी हमले को अनदेखा नहीं करेगा। यह अभियान ऐसे समय में हुआ है जब पश्चिम एशिया पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है। इस हमले ने क्षेत्रीय सुरक्षा को और अधिक जटिल बना दिया है।

अमेरिका का समर्थन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अमेरिका ने इस हवाई हमले पर इजरायल का समर्थन करते हुए इसे “ईरान की आक्रामकता का उचित जवाब” बताया है। इस समर्थन से इजरायल और अमेरिका के बीच सैन्य सहयोग और गहरा हो गया है। हालांकि, इससे ईरान और अमेरिका के बीच पहले से तनावपूर्ण संबंधों में और अधिक कटुता आने की आशंका है। अमेरिका का यह रुख इस क्षेत्र में ईरान के प्रभाव को रोकने के प्रयास का हिस्सा माना जा रहा है।

दूसरी ओर, इराक और सीरिया जैसे पड़ोसी देशों ने भी इस टकराव के कारण अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है। हवाई सीमा बंद करने के फैसले से इन देशों के बीच अनिश्चितता और भय का माहौल पैदा हो गया है। अगर स्थिति और बिगड़ती है, तो यह संघर्ष क्षेत्रीय शांति और कूटनीति के प्रयासों पर गहरा असर डाल सकता है।

भविष्य की दिशा और संभावित परिणाम

इजरायल और ईरान के बीच यह ताजा टकराव सिर्फ सैन्य संघर्ष तक सीमित नहीं रहेगा। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव नए स्तर पर पहुँच सकता है, जिससे पूरे पश्चिम एशिया में अस्थिरता का खतरा बढ़ गया है। अगर ईरान इस हमले का जवाब देने का प्रयास करता है, तो यह टकराव और गहरा सकता है।

सवाल यह है कि क्या दोनों पक्ष आगे कोई सामरिक समझौता कर पाएंगे या यह संघर्ष और बढ़ेगा। कूटनीतिक समाधान की संभावना धूमिल दिखती है, खासकर जब क्षेत्रीय ताकतें इस टकराव में सीधे या परोक्ष रूप से शामिल होंगी। आने वाले दिनों में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया यह तय करेगी कि क्या यह संघर्ष रुकता है या इसके और अधिक गंभीर परिणाम सामने आते हैं।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह समय संवेदनशील है, क्योंकि इस टकराव से वैश्विक राजनीति और आर्थिक गतिविधियों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि इजरायल और ईरान अपने अगले कदम क्या उठाते हैं और क्या कूटनीति के जरिये इस बढ़ते संघर्ष को रोका जा सकेगा।

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