November 21, 2024

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राष्ट्रपति ने कहा-आईआईटी भिलाई से निकलेंगे भविष्य के नवप्रवर्तक

आईआईटी भिलाई के दीक्षांत समारोह को संबोधित करतीं भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु।

आईआईटी भिलाई के दीक्षांत समारोह को संबोधित करतीं भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु।

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आईआईटी भिलाई के दीक्षांत समारोह को किया संबोधित,  कहा-“जोखिम नहीं तो लाभ नहीं,” स्वरोजगार में सफलता पाने के लिए जोखिम उठाना आवश्यक है

छत्तीसगढ़। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज छत्तीसगढ़ के भिलाई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। अपने संबोधन में उन्होंने छात्रों और संकाय को प्रेरित करते हुए कहा कि आईआईटी के स्नातक न केवल देश के तकनीकी विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी के पूर्व छात्रों ने अपनी उद्यमशीलता और नवीन दृष्टिकोण से स्टार्ट-अप संस्कृति को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं, जो भारत के डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ा रहे हैं।

नवाचार और नेतृत्व पर जोर

राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईटी के छात्रों ने अपनी अग्रणी सोच, प्रयोगात्मक दृष्टिकोण, और दूरदर्शी मानसिकता से देश और विश्व की प्रगति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि कई पूर्व छात्र वैश्विक कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं और तकनीकी व विश्लेषणात्मक कौशल से 21वीं सदी के विश्व को आकार दे रहे हैं। आईआईटी से निकले कई पूर्व छात्रों ने उद्यमिता का मार्ग चुना है और स्टार्ट-अप्स के जरिए नए रोजगार सृजित किए हैं, जिससे देश के डिजिटल परिवर्तन और स्टार्ट-अप संस्कृति को बढ़ावा मिला है।

जोखिम लेने की प्रेरणा

राष्ट्रपति ने कहा, “जोखिम नहीं तो लाभ नहीं,” और बताया कि स्वरोजगार में सफलता पाने के लिए जोखिम उठाना आवश्यक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि स्नातक छात्र जोखिम लेने की क्षमता के साथ नई तकनीकें विकसित करेंगे और समाज को एक बेहतर स्थान बनाने की दिशा में आगे बढ़ते रहेंगे।

छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति का सम्मान

राष्ट्रपति मुर्मु ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध आदिवासी संस्कृति और परंपराओं की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोग प्रकृति के साथ सदियों से सामंजस्य में रहते आए हैं और उनके जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। राष्ट्रपति ने जोर दिया कि देश का समावेशी विकास तभी संभव होगा, जब आदिवासी समुदाय की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने आदिवासी समाज की प्रगति के लिए आईआईटी भिलाई के प्रयासों की सराहना की।

एग्री-टेक, हेल्थ-टेक और फिन-टेक में योगदान

राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आईआईटी भिलाई एग्री-टेक, हेल्थ-टेक और फिन-टेक जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। संस्थान ने एम्स रायपुर के साथ मिलकर ऐसे मोबाइल ऐप्स तैयार किए हैं, जो ग्रामीणों को घर बैठे चिकित्सा सहायता प्रदान करते हैं। साथ ही, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर किसानों के लिए तकनीकी समाधान विकसित किए गए हैं, जिससे वे अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकते हैं।

लघु वन उत्पादों और समावेशी शिक्षा की दिशा में प्रयास

संस्थान के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति ने महुआ जैसे लघु वन उत्पादों पर आदिवासी समुदायों के विकास के लिए किए जा रहे कार्यों का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि आईआईटी भिलाई वंचित और पिछड़े वर्गों के युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ छात्राओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठा रहा है।

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