May 30, 2025

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काफी इंतजार के बाद देशव्यापी जनगणना की तैयारियां तेज

यह जनगणना 2021 में आयोजित किया जाना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा था

नई दिल्ली। काफी इंतजार और कई बाधाओं के बाद अब सरकार ने देशव्यापी जनगणना की तैयारियां तेज कर दी है। यह जनगणना 2025 में शुरू होकर 2026 तक चलेगी। यह जनगणना इसलिए भी अहम है, क्योंकि इसे 2021 में आयोजित किया जाना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा था। इस बार सरकार ने इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने की योजना बनाई है, जिससे देश के जनसंख्या आंकड़ों का सटीक और त्वरित विश्लेषण संभव हो सकेगा।

इस जनगणना के साथ देश का जनगणना चक्र भी बदल जाएगा। अब अगली जनगणना 2035 में आयोजित की जाएगी, जो हर 10 साल पर जनगणना के परंपरागत ढांचे में बदलाव का संकेत देती है। इस परिवर्तन का असर योजनाओं के क्रियान्वयन और प्रशासनिक ढांचे पर पड़ सकता है, क्योंकि अब जनसंख्या के अद्यतित आंकड़े पहले की तरह हर दशक में नहीं, बल्कि 12 साल के अंतराल पर उपलब्ध होंगे।

सरकार ने जुलाई 2022 में लोकसभा में बताया था कि 2021 की जनगणना के लिए अधिसूचना 28 मार्च 2019 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित की गई थी, लेकिन महामारी की चुनौती के कारण इसे टालना पड़ा। इस बार की जनगणना भारत की पहली डिजिटल जनगणना होगी। डेटा संग्रह के लिए विशेष मोबाइल ऐप्स और प्रबंधन व निगरानी के लिए एक जनगणना पोर्टल विकसित किया गया है, जिससे आंकड़ों का संग्रहण अधिक पारदर्शी और सुगम हो सकेगा।

हालांकि, यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि इस बार की जनगणना में जातिगत आंकड़े शामिल होंगे या नहीं। कई विपक्षी दल, विशेषकर कांग्रेस, लगातार देशव्यापी जाति जनगणना की मांग कर रही है। वे तर्क दे रहे हैं कि जातिगत आंकड़े सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को और प्रभावी बना सकते हैं। इस साल की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जनगणना जल्द आयोजित की जाएगी, लेकिन जाति डेटा को लेकर स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है।

महामारी के कारण जनगणना में आई इस देरी का असर कई नीतियों और योजनाओं पर पड़ा है। कई सरकारी योजनाओं के लिए ज़मीनी आँकड़े न होने से लाभार्थियों की सही पहचान करना मुश्किल हुआ। आगामी डिजिटल जनगणना से उम्मीद की जा रही है कि डेटा संग्रह में तेजी आएगी और सरकार को नीतिगत निर्णय लेने में अधिक सटीकता मिलेगी।

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस डिजिटल जनगणना को पारदर्शिता के साथ पूरा करती है या नहीं, और क्या विपक्ष की मांगों के अनुरूप जातिगत आंकड़ों को भी शामिल किया जाएगा। जनगणना के इन नए स्वरूपों से भारत का प्रशासनिक और सामाजिक ढ़ांचा कैसा रूप लेगा, यह भविष्य के लिए अहम सवाल होगा।

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