दीपावली : जानें, कब और कैसे करें लक्ष्मी पूजन
हर घर में दीप प्रज्वलित करें और लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ सामाजिक समरसता का भी आह्वान करें
दीपावली : दीपावली, जिसे प्रकाश का पर्व कहा जाता है, हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस वर्ष 31 अक्टूबर को यह पर्व पूरे देश में उल्लास और भव्यता के साथ मनाया जाएगा। दीपों से सजी यह रात केवल घरों को रोशन नहीं करती, बल्कि जीवन में खुशहाली और समृद्धि की कामना के साथ जुड़ी होती है। भारतीय परंपराओं में इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है, जो सुख, शांति और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है।
लक्ष्मी पूजन का महत्व और शुभ मुहूर्त
इस पर्व का मुख्य आकर्षण लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन है, जिसे प्रदोष काल में करना अत्यंत शुभ माना जाता है। स्थिर लग्न में पूजन करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में स्थायित्व और समृद्धि लाता है। इस बार लक्ष्मी पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त वृषभ लग्न में सायं 6:27 बजे से रात 8:23 बजे तक रहेगा। यह समय लगभग 1 घंटा 57 मिनट का होगा, जिसमें पूजा संपन्न करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
यदि किसी कारणवश इस समय पूजा न कर पाएं, तो मध्य रात्रि के सिंह स्थिर लग्न में भी पूजा की जा सकती है। सिंह लग्न का यह समय रात 12:53 बजे से लेकर भोर 3:09 बजे तक रहेगा। इस प्रकार, रात्रि के किसी भी समय श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा कर घर-परिवार में सुख और शांति का आह्वान किया जा सकता है।
पूजन की विधि और अनुष्ठान
लक्ष्मी और गणेश पूजन से पहले पूजा स्थल को शुद्ध करना और रंगोली से सजाना विशेष महत्व रखता है। जिस चौकी पर पूजा की जाती है, उसके चारों कोनों पर दीपक जलाना अनिवार्य माना जाता है। प्रतिमा स्थापित करने से पहले उस स्थान पर कच्चे चावल रखे जाते हैं, जो शुभता का प्रतीक माने जाते हैं। गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्तियों को विधिपूर्वक स्थापित करना आवश्यक है। ध्यान देना चाहिए कि लक्ष्मी जी को सदैव गणेश जी के दाहिनी ओर विराजित किया जाए।
लक्ष्मी पूजन के दौरान दीप जलाने की विशेष परंपरा है। पूजा के दौरान देवी के समक्ष दो बड़े दीपक रखे जाते हैं। इनमें से एक दीपक में शुद्ध घी और दूसरे में तेल भरा जाता है। यह प्रथा सुख और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। पूजा के अंत में कुबेर, सरस्वती और काली माता का भी आह्वान करना लाभदायक माना जाता है। यदि इनकी मूर्तियां उपलब्ध हों, तो उन्हें भी पूजा स्थल पर विराजित कर विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
पूजन सामग्री का महत्व
लक्ष्मी पूजन के लिए सामग्री का चयन विशेष ध्यान से किया जाता है, क्योंकि हर वस्तु का एक विशिष्ट महत्व है। पूजन में उपयोग होने वाली वस्तुएं जैसे रोली, कुमकुम, अक्षत, फूल, मिठाई, घी और दीपक, आस्था और शुद्धता का प्रतीक होती हैं। पूजा के दौरान पंचामृत से मूर्तियों का अभिषेक करने और सुगंधित अगरबत्ती से वातावरण को शुद्ध करने की प्रथा है।
घरों और प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी पूजन करने के पीछे यह मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं होने देतीं। इसके साथ ही गणेश जी के आह्वान से सभी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं और घर-परिवार में शांति बनी रहती है।
दीपावली का संदेश
दीपावली केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह पर्व जीवन में सकारात्मकता और सौहार्द का संदेश देता है। इस पर्व के माध्यम से हम अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का उत्सव मनाते हैं। दीपों की पंक्तियों से सजे घर-आंगन समाज में उमंग और उत्साह का वातावरण बनाते हैं, जिससे हर व्यक्ति को नई ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है।
दीपावली पर घरों में दीप जलाने के साथ-साथ यह प्रयास भी होता है कि हर दिशा से खुशहाली और समृद्धि का स्वागत हो। कुबेर और सरस्वती के आह्वान से धन और ज्ञान की प्राप्ति होती है, जबकि काली माता का पूजन हर प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है।
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