December 3, 2024

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दिग्गज अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का निधन

बिबेक देबरॉय

बिबेक देबरॉय

भारतीय बौद्धिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ने वाले विद्वान

भारतीय अर्थशास्त्र, संस्कृति, और प्राचीन साहित्य के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान देने वाले बिबेक देबरॉय का 69 वर्ष की आयु में दिल्ली एम्स में निधन हो गया। वे न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष थे, बल्कि भारतीय संस्कृति के अनन्य प्रेमी और प्राचीन ग्रंथों के अद्भुत अनुवादक भी थे। एक ऐसा व्यक्तित्व, जिसने भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक समाज के सामने एक नई रोशनी में प्रस्तुत किया, देबरॉय का जाना भारत के ज्ञान-क्षेत्र में एक गहरी क्षति के समान है।

आर्थिक और शैक्षिक योगदान में अद्वितीय भूमिका

बिबेक देबरॉय भारतीय अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्तंभ थे। गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स, पुणे के कुलपति के रूप में उन्होंने शैक्षणिक जगत में उल्लेखनीय योगदान दिया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने नीतिगत सुझावों से देश की आर्थिक दिशा को स्थिरता प्रदान की। वर्ष 2015 में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया। देबरॉय की दूरदृष्टि और आर्थिक सुधार के विचारों का प्रभाव आज भी नीतिगत निर्णयों में परिलक्षित होता है।

प्राचीन भारतीय ग्रंथों का पुनर्जीवन

बिबेक देबरॉय का नाम केवल आर्थिक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण के लिए भी जाना जाता है। उन्हें प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अनुवाद में विशेष रुचि थी। उन्होंने महाभारत, रामायण, भगवद गीता सहित कई प्रमुख ग्रंथों का अंग्रेजी अनुवाद किया, जिससे भारतीय संस्कृति की गहराई को आधुनिक पीढ़ी और वैश्विक दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके। उनके इस कार्य ने युवा पीढ़ी को भारतीय शास्त्रों के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रधानमंत्री की संवेदना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिबेक देबरॉय के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. देबरॉय ने भारत के बौद्धिक परिदृश्य को समृद्ध किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “डॉ. बिबेक देबरॉय जी एक महान विद्वान थे, जो अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, आध्यात्मिकता और अन्य विविध क्षेत्रों में पारंगत थे। अपने कार्यों के ज़रिए उन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी। सार्वजनिक नीति में योगदान के अलावा, उन्होंने हमारे प्राचीन ग्रंथों पर काम किया और उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाने का आनंद लिया।”

देबरॉय की धरोहर

बिबेक देबरॉय का निधन भारतीय बौद्धिक परंपरा के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके कार्यों और विचारों से प्रेरणा लेते हुए, नई पीढ़ी भारतीय संस्कृति, इतिहास और अर्थशास्त्र को समृद्ध करने का प्रयास करेगी। देबरॉय का जीवन भारतीय समाज के लिए एक प्रकाशस्तंभ के रूप में सदैव याद किया जाएगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करेगा।

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