ममता का सौदा : एक मां ने 9000 रुपये में बेचा मासूम को

ममता का सौदा
अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड की पचीरा पंचायत से एक दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ आर्थिक तंगी और मजबूरी ने ममता को भी व्यापार बना दिया। इस दुखद घटना में एक मां, जो अपने बेटे के उज्जवल भविष्य का सपना देखती है, अपने डेढ़ साल के मासूम को मात्र 9000 रुपये में बेचने पर मजबूर हो गई। मासूम गुफरान का यह सौदा उस दर्दनाक हकीकत को उजागर करता है, जहाँ गरीबी और लाचारी रिश्तों को भी बाजार में सजा देती है।
सौदा बना इंसानियत पर सवाल
पचीरा पंचायत के वार्ड छह के मोहम्मद हारून और उनकी पत्नी रेहाना खातून का डेढ़ साल का बेटा गुफरान जब उनके पास था, तो उनकी तंगहाली का सहारा बना हुआ था। लेकिन गरीबी का फायदा उठाते हुए विस्टोरिया पंचायत के डुमरिया गांव के मोहम्मद आरिफ ने 9000 रुपये देकर इस मासूम को खरीद लिया। यह खबर जब मोहल्ले में फैली तो लोगों में खलबली मच गई। गुफरान की बुआ अरसदी ने इस सौदे की भनक लगते ही अपने भतीजे को वापस लाने का प्रयास किया। उन्होंने अगल-बगल के लोगों से 9000 रुपये उधार लेकर अपनी भाभी रेहाना के साथ आरिफ के घर तक पहुंचीं, ताकि गुफरान को वापस ले सकें।
45000 रुपये का दावा और असहाय परिजन
जब अरसदी और रेहाना ने गुफरान को वापस लेने का आग्रह किया तो आरिफ और उसके घर वालों ने उन्हें लौटा दिया। आरिफ के परिजनों का कहना था कि उन्होंने गुफरान के लिए 45000 रुपये दिए हैं, जिससे उन्हें इस मासूम को वापस नहीं लौटाने का हक है। यह सुनकर अरसदी और रेहाना के पास कोई जवाब नहीं बचा और वे मजबूरी में खाली हाथ लौट आईं। इस घटना ने समाज में गहरी चिंता और दुख की लहर फैला दी।
पुलिस का हस्तक्षेप और गुफरान की बरामदगी
इस घटना की सूचना जब पुलिस को मिली तो रानीगंज थाना की पुलिस तुरंत हरकत में आई। पुलिस टीम ने डुमरिया गांव पहुंचकर गुफरान को आरिफ के घर से बरामद किया। इसके बाद बच्चे को बाल कल्याण समिति (CWC) को सौंप दिया गया, ताकि उसकी उचित देखभाल हो सके। पुलिस और CWC ने इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और आरोपी मोहम्मद आरिफ व गुफरान की मां रेहाना खातून से पूछताछ जारी है।
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ममता का सौदा: समाज के लिए एक बड़ा सवाल
यह घटना केवल एक गरीब परिवार की मजबूरी नहीं, बल्कि समाज के उस अंधेरे कोने की कहानी है जहाँ आर्थिक अभाव माता-पिता को अपने ही बच्चों का सौदा करने पर मजबूर कर देता है। गुफरान की इस करुण कथा ने यह सवाल उठाया है कि क्या हमारे समाज में इतनी व्यवस्था नहीं कि कोई भी मां अपने बच्चे को महज चंद रुपयों के लिए बेचने पर मजबूर न हो? इस मामले ने प्रशासन को भी झकझोर दिया है और यह संदेश दिया है कि ऐसी घटनाएं रोकने के लिए ठोस उपायों की जरूरत है।
सरकारी सहायता और समाज की भूमिका
इस घटना ने समाज के प्रति एक बड़ी जिम्मेदारी का एहसास कराया है। क्या हमारे समाज में ऐसी कोई व्यवस्था हो सकती है, जिससे गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता मिले और वे ऐसी कठोर परिस्थितियों से उबर सकें? ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन को भी सजग होना होगा और ऐसे परिवारों के लिए विशेष योजनाओं का निर्माण करना होगा।
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