अमित शाह ने कहा-आतंकवाद एक अदृश्य दुश्मन बन चुका है, इसे हराना ही होगा

नई दिल्ली में 'आतंकवाद निरोधी सम्मेलन-2024' के उद्घाटन सत्र पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह।
आतंकवाद निरोधी सम्मेलन-2024′ के उद्घाटन सत्र पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए ‘पुलिस थानों से लेकर NIA तक’ हर स्तर पर जागरूकता फैलाने की जरूरत है”
नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘आतंकवाद निरोधी सम्मेलन-2024’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलेरेंस’ की नीति को रेखांकित करते हुए कहा कि इसे केवल भारत ने ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व ने स्वीकारा है।
गृह मंत्री ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत सरकार ने आतंकवाद विरोधी एक मज़बूत इकोसिस्टम तैयार किया है और गृह मंत्रालय जल्द ही एक राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी नीति और रणनीति लेकर आएगा, ताकि आतंकवाद के पूरे ‘इकोसिस्टम’ को जड़ से समाप्त किया जा सके। उन्होंने NIA को केवल एक जांच एजेंसी ही नहीं, बल्कि देशभर में आतंकवाद विरोधी प्रयासों का संकलन और संवर्धन करने वाला मंच बताया।
अमित शाह ने यह भी बताया कि सम्मेलन में आतंकवाद से लड़ने वाले पुलिस और सुरक्षा बलों के अधिकारियों को आधुनिक तकनीकी संसाधनों से लैस करने पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक सीमाहीन और अदृश्य दुश्मन बन चुका है, और इसे हराने के लिए युवा अधिकारियों को तकनीक संपन्न करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। गृह मंत्री ने कहा कि UAPA (गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के मामलों में NIA ने लगभग 95% दोष सिद्धि दर प्राप्त की है, जो आतंकवाद के खिलाफ उनकी दृढ़ता को दर्शाता है।
तकनीक और समन्वित अप्रोच से आतंकवाद पर प्रहार
अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद के वित्तपोषण और क्रिप्टोकरेंसी जैसी नई चुनौतियों से निपटने के लिए पुलिस थानों से लेकर पुलिस महानिदेशक कार्यालय तक समन्वित दृष्टिकोण अपनाना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि 2020 में एक 25 सूत्री समग्र योजना बनाई गई थी, जिसके तहत जिहादी आतंकवाद से लेकर उत्तर-पूर्व के उग्रवाद, वामपंथी उग्रवाद, फेक करेंसी, और नारकोटिक्स जैसे मुद्दों पर कार्य किया जा रहा है। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए ‘पुलिस थानों से लेकर NIA तक’ हर स्तर पर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि Multi Agency Centre (MAC) में बड़े बदलाव लाए गए हैं और National Memory Bank के माध्यम से आतंकवाद से संबंधित सेंट्रल डेटाबेस का निर्माण किया गया है, जिससे जांच में सहूलियत हो रही है।
अमित शाह ने सभी राज्यों से आग्रह किया कि वे आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई को केवल केंद्र की नहीं बल्कि अपनी जिम्मेदारी समझें। उन्होंने कहा कि इस तरह के सम्मेलन से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने वाले अनेक ‘एक्शनेबल पॉइंट्स’ सामने आएंगे। इसके साथ ही, उन्होंने NIA के 11 पदक विजेताओं को भी सम्मानित किया और बताया कि भारत में पिछले एक दशक में आतंकवादी घटनाओं में 70% की कमी आई है।
आतंकवाद निरोधक कानूनों में बदलाव
अमित शाह ने यह भी बताया कि 2019 में NIA अधिनियम में संशोधन किया गया था, जिससे NIA को विदेश में भी जांच करने का अधिकार मिला है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने De-radicalisation के प्रयासों को समन्वित किया और विभिन्न एजेंसियों को इसमें शामिल किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लड़ने के लिए तकनीकी डेटाबेस जैसे नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID), नार्को कोऑर्डिनेशन सेंटर (NCORD), और National Integrated Database on Arrested Narco Offenders (NIDAAN) का उपयोग बढ़ाया गया है। गृह मंत्री ने सभी राज्यों को सलाह दी कि वे इन डेटाबेस का उपयोग करें और आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में इसे एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में अपनाएं।
यह भी पढ़ें…
महाराष्ट्र और झारखंड में हुई 558 करोड़ रुपए की जब्ती
फिल्म बाजार में चमकेंगे भारतीय और दक्षिण एशियाई सिनेमा के सितारे
पूर्वांचल की राजनीति में हलचल पैदा कर गया अपना दल का 29वां स्थापना दिवस
आगे की खबरों के लिए आप हमारी वेबसाइट पर बने रहें