सहारनपुर में आवारा कुत्तों का कहर, मासूम बच्चियों पर हमला
सांगाठेडा गांव की यह घटना एक चेतावनी है कि आवारा कुत्तों के खतरे को नजरअंदाज करना किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं है, यह घटना एक बड़ा सवाल छोड़ गई है कि आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे से कैसे बचा जाए…?
यूपी। खबर सहारनपुर जनपद के गंगोह क्षेत्र के सांगाठेडा गांव की है। यहां एक ऐसी घटना घटी, जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया। गुरुवार की सुबह चार मासूम बच्चियां, जैनब (6), सुमैया (4), सादाना (5) और नबिया (6), जब मदरसे से लौट रही थीं, तभी उन पर कुत्तों के एक आक्रामक झुंड ने हमला कर दिया। यह हमला इतना अचानक और भयावह था कि बच्चियों को बचने का मौका ही नहीं मिला। एक अकेला कुत्ता उनके सामने भौंकते हुए आया और देखते ही देखते कई कुत्तों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया।
बच्चियों ने अपनी पूरी कोशिश की कि किसी तरह वहां से भाग निकलें, लेकिन कुत्तों ने पीछा करते हुए उन पर हमला कर दिया। दो बच्चियों के चेहरे तथा शरीर पर गंभीर घाव कर दिए। गांव के लोगों ने उनकी चीखें सुनते ही लाठी-डंडों से कुत्तों को भगाया और उन्हें अस्पताल पहुंचाया। प्राथमिक उपचार के बाद बच्चियों को बेहतर उपचार के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।
गांववालों ने उनकी चीख-पुकार सुनकर किसी तरह उन्हें बचाया, लेकिन यह घटना एक बड़ा सवाल छोड़ गई है कि आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे से कैसे बचा जाए…?….आवारा कुत्तों के हमले से बचने के लिए जरूरी है कि हम सतर्क रहें। जब भी कोई कुत्ता भौंकता दिखे तो घबराने के बजाय शांत रहकर धीरे-धीरे पीछे हटें। कुत्तों के झुंड के पास से गुजरने से बचें, खासकर बच्चों को समझाएं कि कुत्तों को देखकर दौड़ें नहीं, क्योंकि इससे कुत्ते अधिक आक्रामक हो सकते हैं। यदि किसी इलाके में कुत्तों का झुंड सक्रिय है, तो उन रास्तों से बचकर निकलना ही सही रहता है। ऐसी जगहों पर किसी चीज का सहारा लेकर खुद को बचाने की कोशिश करें और जरूरत पड़े तो आसपास के लोगों से मदद के लिए पुकारें।
कुत्ता काटने पर तुरंत प्राथमिक उपचार बेहद जरूरी है। काटने के स्थान को बहते पानी से साफ करना चाहिए और उसके बाद जीवाणु-रोधी साबुन से घाव को अच्छी तरह धोना चाहिए। संक्रमण रोकने के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और रेबीज का टीका लगवाएं। यह टीका संक्रमण के खतरे से बचाता है। डॉक्टर से संपर्क करने में देरी न करें, क्योंकि कुत्तों के काटने से होने वाला संक्रमण घातक हो सकता है।
इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन और समाज के सामने आवारा कुत्तों के नियंत्रण का मुद्दा खड़ा कर दिया है। आवारा कुत्तों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। प्रशासन के लिए आवश्यक है कि आवारा कुत्तों के खिलाफ उचित कदम उठाए जाएं और इनके खतरे से बचने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए।
सांगाठेडा गांव की यह घटना एक चेतावनी है कि आवारा कुत्तों के खतरे को नजरअंदाज करना किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं है। ऐसी घटनाओं से सीख लेकर हर नागरिक को सतर्क रहना चाहिए और बचाव के तरीके सीखने चाहिए। जागरूकता, सतर्कता और समय पर उचित कदम ही ऐसी घटनाओं को रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं।
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