उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के नए आयाम, सामाजिक बदलाव की ओर एक सशक्त पहल
महिलाओं की निजता के सम्मान को बनाए रखने की दिशा में उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का महत्वपूर्ण कदम
यूपी। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनज़र कुछ ऐसे महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रस्तावित किए हैं, जो समाज में एक नई सोच और सुरक्षा के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देंगे। ये दिशा-निर्देश केवल कागज़ पर सीमित न होकर समाज में वास्तविक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। चाहे वह पुरुष दर्जियों को महिलाओं का माप लेने से रोकने का प्रस्ताव हो, या फिर जिम और योगा सेंटर में महिला प्रशिक्षकों की अनिवार्यता, ये सभी कदम महिलाओं को एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल देने की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। इन निर्णयों से महिलाओं को यह महसूस होगा कि सार्वजनिक स्थलों पर उनका सम्मान और सुरक्षा सर्वोपरि है और समाज में उनके प्रति सोच में बदलाव का समय आ चुका है।
कोई भी पुरुष दर्जी महिलाओं का माप न ले
महिला आयोग का सुझाव है कि कोई भी पुरुष दर्जी महिलाओं का माप न ले। यह कदम महिलाओं की निजता के सम्मान को बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस प्रस्ताव के अंतर्गत पुरुष दर्जियों को महिलाओं का माप लेने से रोका जाएगा। इस फैसले का आधार यह है कि महिलाओं को माप लेने के दौरान असहजता महसूस न हो। इसके अलावा, महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह दिशा-निर्देश लागू किया जा रहा है, ताकि महिलाएं बिना किसी संकोच के अपने कपड़ों से संबंधित काम करवाने जा सकें।
जिम और योगा सेंटर में महिला ट्रेनर की उपस्थिति अनिवार्य
जिम और योगा सेंटर में महिला ट्रेनर की उपस्थिति अनिवार्य करने का निर्णय नारी सुरक्षा की दृष्टि से एक स्वागतयोग्य कदम है। महिला आयोग ने इस बात पर जोर दिया है कि इन स्थलों पर महिला प्रशिक्षकों की नियुक्ति न केवल महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि उन्हें एक आरामदायक माहौल भी प्रदान करेगी जहाँ वे अपनी फिटनेस के लिए बिना किसी भय के प्रशिक्षण ले सकें। इसके अतिरिक्त, सीसीटीवी कैमरों की अनिवार्यता से इन स्थलों की सुरक्षा को और भी पुख्ता किया जा सकेगा। डीवीआर सहित सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने से संभावित असामाजिक घटनाओं पर भी नजर रखी जा सकेगी, जो सुरक्षा के स्तर को और बढ़ा देगा।
स्कूल बसों में महिला टीचर या सुरक्षाकर्मी की नियुक्ति
आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि स्कूल बसों में महिला सुरक्षाकर्मी या महिला टीचर की नियुक्ति होनी चाहिए। यह निर्णय बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, खासकर स्कूल जाने वाली बच्चियों के लिए यह सुरक्षा का एक अतिरिक्त स्तर प्रदान करता है। महिला सुरक्षाकर्मी या टीचर की उपस्थिति से बच्चों के माता-पिता भी अधिक संतुष्ट महसूस करेंगे और बच्चियों को भी एक सुरक्षित माहौल मिलेगा जहाँ वे बिना किसी डर के स्कूल जा सकेंगी।
उद्देश्य, सुरक्षित और सम्मानजनक समाज का निर्माण
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के इन प्रस्तावित दिशा-निर्देशों का उद्देश्य महिलाओं के लिए अधिक सुरक्षित और सम्मानजनक समाज का निर्माण करना है। ये कदम न केवल महिलाओं की सुरक्षा और उनके प्रति समाज के दृष्टिकोण में सुधार करेंगे, बल्कि सामाजिक ताने-बाने में भी सकारात्मक बदलाव लाएंगे। महिला आयोग का यह कदम अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, जहाँ महिलाओं की सुरक्षा के प्रति गंभीरता और कार्यवाही की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
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