April 20, 2025

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बलूचिस्तान में बम विस्फोट, 21 की मौत, 30 से अधिक लोग घायल

क्वेटा के व्यस्त रेलवे स्टेशन पर हुआ बम धमाका , एक बार फिर सवालों के घेरे में शांति और सुरक्षा

नई दिल्ली। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक बार फिर हिंसा का दौर शुरू हुआ है। इस बार यह घटना क्वेटा के व्यस्त रेलवे स्टेशन पर हुई, जहां बम धमाके में 21 लोगों की जान चली गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए। रेलवे स्टेशन पर हुए इस हमले ने बलूचिस्तान की शांति और सुरक्षा को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। स्थानीय पुलिस और बचावकर्मी घटनास्थल पर तुरंत पहुंच गए और घायलों को क्वेटा के सिविल अस्पताल में पहुंचाया गया। इस बीच, अस्पताल में आपातकालीन स्थिति लागू कर दी गई और अतिरिक्त डॉक्टरों एवं सहायक कर्मचारियों को सेवा के लिए बुला लिया गया।

धमाका रेलवे स्टेशन के बुकिंग कार्यालय में उस समय हुआ, जब ट्रेन प्लेटफॉर्म पर पहुंचने ही वाली थी। इस समय स्टेशन पर भीड़भाड़ होने के कारण हताहतों की संख्या बढ़ गई। जाफर एक्सप्रेस जो कि सुबह 9 बजे पेशावर के लिए रवाना होने वाली थी, अब इसका प्रस्थान रद्द कर दिया गया। आतंकवादियों द्वारा भीड़भाड़ वाले स्थानों पर हमला करने की यह पुरानी रणनीति है। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को नुकसान पहुंचाना और भय का माहौल बनाना होता है।

बलूचिस्तान में लंबे समय से सक्रिय उग्रवादी गुटों ने विभिन्न मौकों पर इस तरह की हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिया है। माना जा रहा है कि यह धमाका भी उन्हीं गुटों का कार्य है। इससे पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठते हैं, विशेषकर बलूचिस्तान में जहां सेना और सुरक्षा बलों की बड़ी संख्या में मौजूदगी के बावजूद आए दिन ऐसे हमले होते हैं।

धमाके के तुरंत बाद प्रशासन ने क्वेटा के सिविल अस्पताल में आपातकाल घोषित कर दिया और डॉक्टरों एवं कर्मचारियों को विशेष रूप से बुलाया गया। इस कदम ने घायलों को त्वरित चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने में मदद की, लेकिन वहां पर घायल लोगों की बढ़ती संख्या और गंभीर स्थिति के चलते चिकित्सा संसाधनों पर अत्यधिक दबाव देखा गया। स्थानीय प्रशासन का मानना है कि ऐसे घटनाओं के लिए उन्हें बेहतर तैयारियों की आवश्यकता है, जिससे की जानमाल की हानि को न्यूनतम किया जा सके।

बलूचिस्तान लंबे समय से विद्रोहियों और आतंकवादी गुटों का गढ़ रहा है। यहां पर अक्सर बम धमाकों और अन्य हिंसात्मक गतिविधियों की घटनाएं होती रहती हैं। सरकार और सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए कई अभियान चलाए हैं, लेकिन अभी तक अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस क्षेत्र में उग्रवादियों का प्रभाव तब तक समाप्त नहीं होगा, जब तक कि बलूचिस्तान के निवासियों की आर्थिक और सामाजिक जरूरतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता।

बलूचिस्तान में सुरक्षा और विकास के बीच संतुलन स्थापित करना पाकिस्तानी सरकार के लिए एक चुनौती बना हुआ है। यहां की जनता लंबे समय से उपेक्षा की शिकार रही है और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन बिता रही है। इसी कारण से यहां पर स्थानीय समर्थन उग्रवादी गुटों को मिलता रहता है, जो स्थिति को और अधिक जटिल बना देता है।

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