भारत का टीकाकरण अभियान, स्वास्थ्य समानता की ओर एक कदम

विश्व टीकाकरण दिवस : 10 नवंबर को मनाए जाने वाले विश्व टीकाकरण दिवस का उद्देश्य समाज में टीकाकरण की महत्ता को स्थापित करना और लोगों को इस दिशा में जागरूक बनाना है
नई दिल्ली। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में संक्रामक रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण का अभियान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। 10 नवंबर को मनाए जाने वाले विश्व टीकाकरण दिवस का उद्देश्य समाज में टीकाकरण की महत्ता को स्थापित करना और लोगों को इस दिशा में जागरूक बनाना है। टीके न केवल खसरा, पोलियो, तपेदिक जैसे रोगों से बचाते हैं, बल्कि कोविड-19 जैसी महामारी को भी नियंत्रित करते हैं। इस प्रकार, टीकाकरण न केवल व्यक्ति को बल्कि समाज को भी स्वस्थ रखने में सहायक है। यह सरकारों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और समुदायों के बीच टीकों की आवश्यकता पर चर्चा को भी प्रोत्साहित करता है।
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भारत में टीकाकरण की चुनौती
भारत में टीकाकरण अभियान को सुचारु रूप से चलाने में भौगोलिक और सामाजिक चुनौतियाँ हैं। विशेष रूप से बच्चों पर जोखिम अधिक होता है, क्योंकि दूरदराज के क्षेत्रों में टीकाकरण का आंशिक कवरेज उनके स्वास्थ्य को खतरे में डालता है। देश में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से कई बीमारियों के खिलाफ लड़ाई जारी है, जिसने बाल मृत्यु दर और संक्रामक रोगों के प्रकोप को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है।
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सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) की भूमिका
1978 में स्थापित किया गया यह कार्यक्रम, भारत में नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए एक रक्षा कवच है। 1985 में यूआईपी के रूप में शुरू किए जाने के बाद, इसने न केवल शहरों में बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों तक अपनी पहुँच बढ़ाई। हर साल लाखों बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीके दिए जाते हैं, जिससे बाल मृत्यु दर में भारी कमी देखी गई है। वित्त वर्ष 2023-24 में, देश का पूर्ण टीकाकरण कवरेज 93.23% तक पहुँच चुका है, जो इस कार्यक्रम की सफलता को रेखांकित करता है।
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मिशन इंद्रधनुष: हर बच्चे को सुरक्षा की गारंटी
भारत सरकार का मिशन इंद्रधनुष, टीकाकरण कवरेज को और मजबूत करने की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल है। 2014 में शुरू हुआ यह मिशन उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देता है जहाँ टीकाकरण की दरें कम हैं। इसके तहत देश के 554 जिलों में बारह चरणों में टीकाकरण अभियान चलाया गया। ग्राम स्वराज अभियान और विस्तारित ग्राम स्वराज अभियान जैसे कार्यक्रमों के तहत इस मिशन की पहुँच बढ़ाई गई है, जिससे कम टीकाकरण दर वाले क्षेत्रों में भी बच्चों को टीके मिल सके।
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यू-विन पोर्टल: डिजिटल स्वास्थ्य का नया आयाम
भारत के टीकाकरण अभियान में यू-विन पोर्टल एक क्रांतिकारी कदम है, जो सभी टीकाकरण डेटा को डिजिटल रूप में सहेजता है। यह प्लेटफ़ॉर्म लाभार्थियों को टीकाकरण रिकॉर्ड की जानकारी देता है और प्रत्येक खुराक के लिए रिमाइंडर एसएमएस भेजता है। यह प्लेटफ़ॉर्म देश भर में टीकाकरण डेटा को संरक्षित और सुलभ बनाने में प्रभावी है। 16 सितंबर, 2024 तक इस प्लेटफॉर्म पर 6.46 करोड़ लाभार्थी पंजीकृत हो चुके हैं।
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भारत की प्रमुख स्वास्थ्य उपलब्धियां
भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य यात्रा में कई प्रमुख उपलब्धियाँ शामिल हैं। पोलियो मुक्त होने से लेकर मातृ और नवजात टेटनस के उन्मूलन तक, भारत ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय मानकों को स्थापित किया है। टीकाकरण अभियान में उसकी सफलता, स्वास्थ्य सेवा की पहुँच बढ़ाने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
भारत का कोविड टीकाकरण अभियान
2021 में शुरू किया गया कोविड-19 टीकाकरण अभियान, भारत की एक और सफलता की कहानी है। 2023 तक 220 करोड़ खुराकें वितरित की जा चुकी हैं, जिससे लगभग सभी पात्र नागरिकों को टीका दिया गया है। भारत ने इस प्रक्रिया को न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक टीकाकरण प्रयासों के तहत ‘वैक्सीन मैत्री’ कार्यक्रम के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लागू किया।
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पोलियो मुक्त भारत
2014 में, भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया गया। 2011 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा में दर्ज किए गए अंतिम मामले के बाद से, भारत ने पोलियो से लड़ाई में प्रभावी कदम उठाए हैं। यह प्रयास देश के टीकाकरण कार्यक्रमों को भी मजबूती प्रदान करता है, जिससे अन्य रोगों का भी सफलतापूर्वक उन्मूलन किया जा सके।
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