मुद्दा : बालकनी सुरक्षा पर कब जागेगी सरकार…?
ऊंची इमारतों में बढ़ते हादसे और सुरक्षा की अनदेखी, जरूरत है कड़े कानूनों और बालकनी सुरक्षा मानकों की
एनके मिश्रा, नई दिल्ली
विकास की दौड़ में देश के महानगरों में ऊंची-ऊंची इमारतों का निर्माण तेज़ी से बढ़ रहा है। नोएडा, बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली और कोलकाता जैसे शहरों में 30 मंजिल से भी ऊंची इमारतें खड़ी हो रही हैं। ये गगनचुंबी इमारतें आधुनिक विकास की मिसाल बनती जा रही हैं, लेकिन इनकी सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी खामियां भी नजर आ रही हैं। ऊंची इमारतों में रहने वाले लोगों के लिए ओपन बालकनी का प्रचलन, जानलेवा हादसों का बड़ा कारण बन रहा है। हर रोज़ कहीं न कहीं किसी के गिरकर घायल या मौत की खबरें सामने आ रही हैं। इस संदर्भ में सरकार ने अब तक कोई ठोस कानून नहीं बनाया है, जिससे बिल्डरों पर बालकनी की सुरक्षा को सुनिश्चित करने का दबाव बने।
बालकनी सुरक्षा की अनदेखी
ऊंचाई पर बनी इमारतों में ओपन बालकनी का निर्माण, दुर्घटनाओं के खतरे को और बढ़ा देता है। 20 मंजिल और उससे ऊपर की इमारतों में बिना किसी सुरक्षा के खुले बालकनी में रहना जोखिमभरा साबित हो रहा है। बालकनी की रेलिंग के बावजूद छोटी-छोटी चूकें भारी हादसों का कारण बन सकती हैं। बालकनी से गिरने की घटनाएं अक्सर बच्चों और बुजुर्गों के साथ ज्यादा होती हैं, जो संतुलन बनाए रखने में मुश्किल का सामना करते हैं। आधुनिक रहन-सहन में लोग ज्यादा ऊंचाई वाले फ्लैट्स को तरजीह दे रहे हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में, बिल्डरों को बालकनी के डिजाइन में सुधार करना और अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करना आवश्यक है।
सरकारी पहल और कानून का अभाव
दुर्भाग्यवश, अभी तक ऊंची इमारतों में बालकनी सुरक्षा को लेकर कोई ठोस सरकारी नियम या कानून लागू नहीं किया गया है। बिल्डर अपनी मर्जी से डिजाइन तैयार करते हैं, और अधिकतर ओपन बालकनी का प्रावधान कर देते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर गहराई से विचार नहीं किया है। विदेशों में ऊंची इमारतों के निर्माण में बालकनी के लिए कड़े सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य होता है। भारत में भी इस दिशा में कड़े नियम लागू करने की आवश्यकता है ताकि ऊंची इमारतों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
बिल्डरों की जिम्मेदारी
बिल्डरों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फ्लैट्स का निर्माण करें। बालकनी को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के लिए मजबूत रेलिंग, ग्रिल या सुरक्षित ग्लास बैरियर जैसी व्यवस्थाओं का होना आवश्यक है। साथ ही, बालकनी की ऊंचाई और बनावट ऐसी होनी चाहिए कि किसी भी तरह का हादसा रोका जा सके। बालकनी का डिजाइन करते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि छोटे बच्चों या पालतू जानवरों के गिरने का खतरा कम से कम हो। इसके अलावा, ऊंचाई पर रहने वाले लोगों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी जानी चाहिए।
समाज की भूमिका और जागरूकता
सुरक्षा की इस गंभीर समस्या पर समाज और स्थानीय प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। लोगों को अपने फ्लैट की बालकनी की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहना चाहिए और यदि बिल्डर ने सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया है, तो संबंधित विभागों से शिकायत करनी चाहिए। साथ ही, इस तरह की दुर्घटनाओं के प्रति जागरूकता अभियान भी चलाए जाने चाहिए ताकि लोग इस जोखिम को गंभीरता से लें और सुरक्षा के प्रति सचेत हों।
भारत में ऊंची इमारतों में रहने का चलन जितना बढ़ा है, बालकनी सुरक्षा को नजरअंदाज करना उतना ही खतरनाक साबित हो रहा है। हादसों से बचाव के लिए सरकार को जल्द ही बालकनी सुरक्षा के मानकों को लेकर कड़े कानून बनाने चाहिए, ताकि बिल्डर मजबूर हों कि वे फ्लैट्स को पूरी तरह सुरक्षित बनाकर ही बेचें। हर नागरिक की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, और इस दिशा में ठोस कदम उठाकर ही महानगरों की गगनचुंबी इमारतों में रहने वाले लोगों को एक सुरक्षित जीवन दिया जा सकता है।
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