November 14, 2024

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मोतिहारी डीएम सौरभ जोरवाल ने खुद की धान की कटनी

बिहार : धान की कटाई करते मोतिहारी डीएम सौरभ जोरवाल।

बिहार : धान की कटाई करते मोतिहारी डीएम सौरभ जोरवाल।

प्रति हेक्टेयर उपज दर का आकलन, किसानों ने आधुनिक तकनीक और खेती के अनुभव साझा किए

बिहार। मोतिहारी डीएम सौरभ जोरवाल की उपस्थिति में मंगलवार को पंचायत स्तरीय धान फसल कटनी प्रयोग का आयोजन किया गया। इस मौके पर डीएम ने खुद धान की कटनी कर प्रति हेक्टेयर उपज दर का आकलन किया। पीपराकोठी प्रखंड के पंडितपुर पंचायत के बेलवतिया गांव में किसान दुर्गा सिंह (पिता-राम अयोध्या सिंह) के प्लॉट नंबर 149 पर क्रॉप कटिंग की गई। धान की किस्म “राजेंद्र मंसूरी” का चयन किया गया, जिसमें 10×5 मीटर के प्लॉट पर 34.6 किलोग्राम धान प्राप्त हुआ। अवशेष पदार्थ और नमी को छांटने के बाद प्रति हेक्टेयर 60.10 क्विंटल की उपज दर अंकित की गई।

किसान दुर्गा सिंह ने बताया कि खेती के दौरान उन्होंने डीएपी, यूरिया, जिंक और पोटाश का संतुलित मात्रा में उपयोग किया। इस अवसर पर उपस्थित अन्य किसानों ने धान की सीधी बुआई, रबी मौसम के फसलों जैसे गेहूं, मसूर और सरसों की जीरोटिलेज तकनीक से बुआई, और लेजर लैंड लेवलर मशीन द्वारा खेत के समतलीकरण की जानकारी साझा की।

कृषि उत्पादकता में सुधार के उद्देश्य से फसल कटनी प्रयोग

जिला सांख्यिकी पदाधिकारी ने बताया कि कृषि में उन्नति के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न फसलों की उत्पादकता का आकलन किया जाता है। इसके तहत कृषि वर्ष 2024-25 के खरीफ मौसम के लिए फसल कटनी प्रयोग आयोजित किया गया, ताकि क्षेत्र में फसल की उत्पादकता का सटीक अनुमान लगाया जा सके।

उपस्थित अधिकारी एवं विशेषज्ञ

फसल कटनी प्रयोग के दौरान जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने जलवायु अनुकूल खेती की जानकारी प्राप्त की। इस अवसर पर जिला कृषि पदाधिकारी मनीष कुमार सिंह, वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान अरविन्द कुमार सिंह, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी प्रभात कुमार, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी अवधेश कुमार श्रीवास्तव, प्रखंड कृषि पदाधिकारी कमलदेव प्रसाद और अन्य किसान उपस्थित थे।

इस फसल कटनी प्रयोग का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए भौतिक संरचनाओं, नई तकनीकों, उन्नत बीजों के प्रयोग और फसल सुधार कार्यक्रमों के अंतर्गत राज्य में कृषि विकास को गति देना है। इसके माध्यम से खरीफ धान की उत्पादकता का सही आकलन किया गया है, जो भविष्य में कृषि नीतियों और संसाधनों के बेहतर वितरण में सहायक होगा।

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