राजधानी दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण, जीवन पर मंडराता खतरा
घना कोहरा और जहरीली हवा का असर, दिल्ली की हवा गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में, ओखला में AQI 551 तक पहुंचा
राजधानी दिल्ली : दिल्ली, जहां सुबह-सवेरे एक समय चहल-पहल और हल्की ठंड की शुरुआत का अनुभव होता था, अब धुएं और जहरीली हवा की चपेट में है। इस बदलती सर्दी के साथ, प्रदूषण का स्तर इस कदर खतरनाक हो गया है कि शहर में सांस लेना मुश्किल हो चला है। लोग अब ठंड के एहसास के बजाय भारीपन और दम घुटने जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। गुरुवार की सुबह, ओखला क्षेत्र का AQI 551 दर्ज किया गया, जो इस मौसम का सबसे खराब स्तर है, और राजधानी के विभिन्न इलाकों में भी हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में आ गई है।
पिछले दो दिनों से दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है। गुरुवार को औसत AQI 432 रहा, जो एक दिन पहले के 418 से भी अधिक था। सुबह-सुबह घने कोहरे की चादर से ढके शहर में जहरीली हवा के साथ दृश्यता घट गई और उत्तरी भारत के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के हालात नजर आए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे प्रदूषण स्तर पर बाहर रहना जीवन के लिए गंभीर खतरा है, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा या हृदय रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए।
दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि सुबह-सुबह बाहर निकलना भी भारी स्वास्थ्य जोखिम बन गया है। आनंद विहार का AQI 473, आयानगर, अशोक विहार, और वजीरपुर जैसे क्षेत्रों में AQI 400 के पार जाने से हालात और गंभीर हो गए हैं।
बुधवार को इस सीजन में पहली बार AQI 418 तक पहुंचा, जो शाम तक 454 पर आ गया। यह बढ़ता हुआ स्तर साफ संकेत है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो राजधानी में रहने वाले करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। लगातार बढ़ते प्रदूषण का असर दिल और फेफड़ों पर भारी पड़ रहा है, जिससे सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं और अस्पतालों में मरीजों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है।
AQI के पैमाने के अनुसार, 0-50 को ‘अच्छा’, 51-100 को ‘संतोषजनक’, 101-200 को ‘मध्यम’, 201-300 को ‘खराब’, 301-400 को ‘बहुत खराब’, और 401-450 को ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा गया है। 450 से ऊपर का स्तर ‘अत्यंत गंभीर’ श्रेणी में आता है, जो जीवन के लिए बेहद हानिकारक है।
प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर ने दिल्लीवासियों को न केवल सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि यह उनके जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रहा है। ऐसे में स्कूलों में बच्चों का जाना और बुजुर्गों का बाहर निकलना जोखिम से भरा हुआ है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इस स्तर पर प्रदूषित हवा में रहना ऐसा है मानो रोजाना सिगरेट के धुएं में जीना।
दिल्ली के इन हालातों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सरकार की ओर से अब और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है ताकि इस गंभीर स्वास्थ्य संकट से निपटा जा सके और लाखों लोगों की जान को बचाया जा सके।
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