विश्व मधुमेह दिवस : देश में हर 100 में नौ लोग डायबिटीज से प्रभावित
अत्यधिक आरामदायक जीवनशैली, फास्ट फूड और फिजिकल एक्टिविटी की कमी इस बीमारी के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण है
अरुण शाही, नई दिल्ली
डायबिटीज आज हमारे जीवन का एक अनचाहा हिस्सा बन गया है, जिसे हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन इसका असर हमारी सेहत पर धीरे-धीरे गहरा होता जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हमारी बदलती जीवनशैली और खान-पान की अनियमितताएं इस बीमारी के प्रमुख कारण हैं। चिकित्सक डॉ. एके दास के अनुसार, देश में हर 100 में 9 लोग डायबिटीज से प्रभावित हैं। उनके अनुसार, आज लोगों का जीवन अधिक सुविधाजनक होते हुए भी स्वास्थ्य के लिए चुनौतियों से भरा हुआ है। अत्यधिक आरामदायक जीवनशैली, फास्ट फूड और फिजिकल एक्टिविटी की कमी इस बीमारी के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण है।
14 नवंबर को ‘विश्व मधुमेह दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय “बाधाओं को तोड़ना, अंतरालों को पाटना” है, जिसका उद्देश्य है कि डायबिटीज के हर मरीज को समान और सुलभ उपचार मिले। मधुमेह के प्रति जागरूकता बढ़ाने और बेहतर उपचार सुविधाओं के लक्ष्य से इस दिवस का आयोजन 1991 में अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ (IDF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा किया गया। यह अभियान अब विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों में से एक बन चुका है, और 2006 से इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा आधिकारिक दिवस के रूप में मान्यता प्राप्त है।
डायबिटीज एक ऐसा रोग है, जो शरीर के विभिन्न अंगों पर गंभीर असर डाल सकता है। यह रोग धीरे-धीरे, बिना किसी स्पष्ट संकेत के शरीर को प्रभावित करता है, इसलिए इसे “साइलेंट किलर” भी कहा जाता है। लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर जितने लापरवाह हैं, उतना ही यह बीमारी उनकी जि़ंदगी में गहराई से अपनी पकड़ बनाती जा रही है। खराब जीवनशैली और असंतुलित खान-पान से हर उम्र का व्यक्ति इसका शिकार बन रहा है। डायबिटीज एक बार हो जाने पर जीवनभर परेशान कर सकती है, इसलिए यह जरूरी है कि लोग अपनी आदतों में सुधार लाएं और स्वास्थ्य के प्रति सजग हों।
डायबिटीज तीन प्रकार का होता है। टाइप 1 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन का बनना बंद हो जाता है, जिससे शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। टाइप 2 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम होने के कारण ब्लड शुगर लेवल असंतुलित हो जाता है। गर्भकालीन मधुमेह महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होता है, जिससे माँ और शिशु दोनों को भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी खतरे हो सकते हैं।
डायबिटीज में इंसुलिन का मुख्य रोल होता है, जो शरीर में ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। जब शरीर इंसुलिन का ठीक से उत्पादन या उपयोग नहीं कर पाता है, तो ब्लड शुगर बढ़ने लगता है और डायबिटीज की समस्या उत्पन्न होती है। यह स्थिति हृदय, गुर्दे, आंख और तंत्रिका तंत्र जैसे कई महत्वपूर्ण अंगों पर बुरा प्रभाव डाल सकती है, जिससे लंबे समय में शरीर की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।
लाइफस्टाइल डायबिटीज का बढ़ता खतरा मुख्यतः खराब जीवनशैली से जुड़ा है। अत्यधिक वजन, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल की समस्या और गर्भावस्था में मधुमेह का इतिहास, सभी ऐसे कारक हैं जो डायबिटीज के खतरे को और बढ़ाते हैं। इसके अलावा, 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में, जो सक्रिय जीवनशैली का पालन नहीं करते, इस बीमारी का जोखिम अधिक होता है।
डायबिटीज से बचाव के लिए फिजिकल एक्टिविटी को दिनचर्या का हिस्सा बनाना जरूरी है। व्यायाम और संतुलित आहार ही इसके मुख्य उपाय हैं। रोजाना कम से कम 30-40 मिनट की एक्सरसाइज जैसे पैदल चलना, जॉगिंग या हल्का व्यायाम करना, जीवनशैली में सुधार ला सकता है। अधिक से अधिक पानी पीने की आदत, नींद की सही मात्रा और तनाव कम करने के प्रयास भी इस बीमारी से बचने में सहायक हो सकते हैं।
डायबिटीज से बचाव और इसे नियंत्रित करने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है जागरूकता और सावधानी। लोग अपनी जीवनशैली में थोड़े बदलाव कर इस बीमारी से बच सकते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि लोग अपनी आदतों को संतुलित करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, तो वे डायबिटीज जैसे गंभीर रोगों से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
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