May 31, 2025

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बिहार विधानसभा उपचुनाव : प्रशांत किशोर ने जन सुराज को 10% वोट मिलने को बताया “बेहतर शुरुआत”

“जन सुराज को बिहार में लोगों ने मौका दिया, लेकिन अभी लंबा सफर तय करना है”- प्रशांत किशोर

पटना : बिहार विधानसभा उपचुनाव के परिणामों पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पटना में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने विजयी उम्मीदवारों को बधाई देते हुए कहा कि जनता ने भाजपा और जेडीयू के गठबंधन को समर्थन दिया है। उन्होंने जन सुराज को 10% वोट मिलने को एक बेहतर शुरुआत बताया और भविष्य में और अधिक मेहनत करने की बात कही।

“10% वोट एक बड़ी शुरुआत, लेकिन सफर लंबा है”

प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज अभियान को खड़ा करने में दो साल का समय लगा और एक महीने पुराने दल को उपचुनाव में 10% वोट मिलना उल्लेखनीय है। उन्होंने स्वीकार किया कि यह बहुत बड़ा आंकड़ा नहीं है, लेकिन इसे शुरुआती सफलता मानते हुए आगे के प्रयासों की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

उन्होंने कहा, “बिहार में भाजपा जैसी सबसे बड़ी पार्टी को 21%, राजद को 20%, जेडीयू को 11%, और जन सुराज को 10% वोट मिला। यह प्रदर्शन और बेहतर हो सकता था, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारा दल अभी नया है और चुनाव चिन्ह भी हाल में ही मिला है।”

“बेलागंज के मुस्लिम वोटरों ने BJP-जेडीयू को किया समर्थन”

प्रशांत किशोर ने बेलागंज सीट के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के नतीजों पर सवाल उठाते हुए कहा कि वहां के अधिकांश मुस्लिम वोट भाजपा और जेडीयू के उम्मीदवारों को गए हैं। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि बूथ स्तर के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाए तो यह साफ हो जाएगा कि मुस्लिम समुदाय ने जन सुराज की जगह गठबंधन को प्राथमिकता दी। उन्होंने यह भी कहा कि इमामगंज में जन सुराज को मिले वोटों में दो-तिहाई हिस्सा एनडीए का है, और अगर वहां जन सुराज चुनाव नहीं लड़ता तो राजद को और बड़ी हार का सामना करना पड़ता।

“अगर 1% भी वोट मिलता, तो भी प्रतिबद्धता कायम रहती”

प्रशांत किशोर ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वह इस अभियान से पीछे नहीं हटने वाले हैं। उन्होंने कहा, “10% वोट मिला है, लेकिन अगर 1% भी आता, तो भी हमारे प्रयास और प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आती। अगर जन सुराज को सफल बनाने में 10 साल भी लगते हैं, तो भी मैं पीछे नहीं हटूंगा।” जन सुराज ने भले ही इस चुनाव में अपेक्षित सफलता न पाई हो, लेकिन प्रशांत किशोर इसे बिहार में नए राजनीतिक विकल्प की शुरुआत के तौर पर देख रहे हैं।

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