October 22, 2025

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बिहार उपचुनाव : भाजपा-जेडीयू का जलवा, जन सुराज ने विपक्ष की नींव हिला दी

राजनीतिक समीकरणों में बदलाव का संकेत, विपक्ष पर जनादेश की चोट

बिहार उपचुनाव : बिहार के चार प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों-तरारी, इमामगंज, रामगढ़ और बेलागंज में हुए उपचुनावों ने राज्य की राजनीति में नए संकेत दिए हैं। सत्ताधारी गठबंधन भाजपा, जेडीयू और हम ने न सिर्फ अपनी पकड़ मजबूत की, बल्कि विपक्ष की कमजोर रणनीतियों और वंशवाद की राजनीति को जनता ने पूरी तरह खारिज कर दिया।

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने पहली बार चुनावी अखाड़े में उतरकर न सिर्फ अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, बल्कि विपक्षी दलों के वोट बैंक में सेंध लगाकर परिणामों को अप्रत्याशित बना दिया।

तरारी विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी विशाल प्रशांत ने सीपीआई (ML) के राजू यादव को 10,612 वोटों से हराकर एक बड़ी जीत दर्ज की। इस सीट पर जन सुराज की किरण सिंह ने भी प्रभाव छोड़ा और तीसरे स्थान पर रहीं। वामपंथ के गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में भाजपा की जीत न सिर्फ उनकी जमीनी पकड़ को दिखाती है, बल्कि वामपंथी राजनीति के कमजोर होते प्रभाव का भी प्रतीक है।

बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू प्रत्याशी मनोरमा देवी ने राजद के विश्वनाथ कुमार सिंह को 21,391 वोटों के भारी अंतर से हराया। उन्होंने 73,334 वोट हासिल कर सत्ताधारी गठबंधन की ताकत को फिर से साबित किया। यहां जन सुराज के प्रत्याशी मोहम्मद अमजद ने 17,285 वोट पाकर विपक्षी दलों के बीच मतों का बंटवारा कर दिया।

इमामगंज सीट इस चुनाव की सबसे चर्चित और रोमांचक सीट रही। यहां प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने 37,106 वोट पाकर विपक्षी दल राजद के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। राजद प्रत्याशी को 47,490 वोट मिले, लेकिन जन सुराज की वजह से उनकी हार सुनिश्चित हो गई। हम प्रत्याशी दीपा मांझी ने इस सीट पर 5,945 वोटों से जीत दर्ज की। यह परिणाम राजद के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।

रामगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा ने कांटे की टक्कर में बसपा को हराकर 1,362 वोटों से जीत हासिल की। इस सीट पर बसपा ने 60,895 वोट पाकर भाजपा को कड़ी चुनौती दी, लेकिन अंततः बाजी भाजपा के हाथ लगी। राजद यहां तीसरे स्थान पर पहुंच गई, जबकि जन सुराज ने 6,513 वोट हासिल कर विपक्षी वोट बैंक में सेंधमारी की।

इन उपचुनावों ने बिहार की राजनीति में एक स्पष्ट संदेश दिया है। मतदाताओं ने सत्ताधारी दलों को समर्थन देकर यह साबित किया कि मजबूत संगठन और गठबंधन की राजनीति अभी भी प्रासंगिक है। हालांकि, विपक्षी दलों के वंशवादी उम्मीदवारों और कमजोर रणनीतियों को जनता ने पूरी तरह नकार दिया।

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने एक नई ताकत के रूप में उभरकर विपक्षी दलों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। रामगढ़ से इमामगंज तक हर सीट पर जन सुराज की भूमिका ने विपक्ष की कमजोरियों को उजागर कर दिया। इन परिणामों से साफ है कि बिहार की राजनीति में नए समीकरण बन रहे हैं और विपक्ष को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।

यह चुनाव सत्ताधारी दलों के लिए न सिर्फ एक बड़ी जीत है, बल्कि विपक्ष के लिए एक चेतावनी भी है कि जनता अब केवल नारों और वंशवाद से संतुष्ट नहीं होगी।

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