बिहार उपचुनाव : शुरुआती रुझानों में एनडीए हावी, बसपा ने किया चौंकाने वाला प्रदर्शन

एनडीए ने बनाई बढ़त, आरजेडी-महागठबंधन पिछड़ा, बसपा ने दिखाया दम
पटना : बिहार की चार विधानसभा सीटों रामगढ़, तरारी, इमामगंज और बेलागंज में हुए उपचुनावों की मतगणना के शुरुआती रुझानों में एनडीए ने मजबूत प्रदर्शन किया है। तीन सीटों पर एनडीए आगे चल रही है, जबकि रामगढ़ में बसपा ने अप्रत्याशित बढ़त बनाकर सबको चौंका दिया है। आरजेडी-महागठबंधन इन सभी सीटों पर पीछे है। जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन अब तक कमजोर नजर आया है, और स्थानीय मुद्दे इस बार वोटिंग में बड़ी भूमिका निभाते दिख रहे हैं।
रामगढ़ में बसपा ने मारी बाजी, एनडीए और आरजेडी में कड़ी टक्कर
कैमूर जिले की रामगढ़ सीट पर बसपा के सतीश यादव ने शुरू से बढ़त बनाकर सभी को हैरान कर दिया है। दूसरे नंबर पर बीजेपी के अशोक सिंह चल रहे हैं, जबकि आरजेडी के अजीत सिंह तीसरे स्थान पर हैं। यह सीट आरजेडी का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन इस बार के रुझानों ने दिखाया है कि क्षेत्रीय मुद्दों और व्यक्तिगत लोकप्रियता ने बड़ी भूमिका निभाई है।
तरारी और इमामगंज में एनडीए का वर्चस्व
भोजपुर जिले की तरारी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार विशाल प्रशांत, जो बाहुबली सुनील पांडेय के बेटे हैं, बढ़त बनाए हुए हैं। सीपीआई माले के राजू यादव दूसरे स्थान पर हैं। इमामगंज में जीतनराम मांझी की बहू दीपा मांझी ने एनडीए की तरफ से बढ़त बनाई है, जबकि आरजेडी के रौशन मांझी उनसे पीछे चल रहे हैं। इमामगंज में एनडीए की शुरुआती लड़खड़ाहट के बाद स्थिति मजबूत हुई है, जो गठबंधन के लिए राहत की बात है। तरारी की बढ़त ने भी एनडीए के आत्मविश्वास को बढ़ाया है।
बेलागंज में जेडीयू आगे, आरजेडी संघर्षरत
बेलागंज सीट पर जेडीयू की मनोरमा देवी बढ़त बनाए हुए हैं। वहीं, आरजेडी सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव दूसरे नंबर पर हैं। यह सीट आरजेडी के लिए अहम थी, लेकिन शुरुआती रुझानों ने महागठबंधन को निराश किया है।
महागठबंधन की रणनीति पर सवाल
आरजेडी और महागठबंधन के लिए यह उपचुनाव एक बड़ा झटका साबित हो रहा है। चारों सीटों पर महागठबंधन पिछड़ रहा है, और उनकी पारंपरिक पकड़ वाली सीटों पर भी एनडीए ने सेंध लगा दी है। रामगढ़, जो आरजेडी का मजबूत गढ़ माना जाता था, वहां तीसरे स्थान पर जाना उनके लिए गंभीर चिंता का विषय है।
प्रशांत किशोर की पार्टी का प्रदर्शन फीका
बिहार की राजनीति में बदलाव का वादा करने वाली जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन इन उपचुनावों में निराशाजनक रहा है। शुरुआती रुझानों में उनकी मौजूदगी नगण्य दिखी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशांत किशोर को अभी जमीनी स्तर पर अपनी पहचान मजबूत करने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे।
राजनीति के नए समीकरण और बदलती प्राथमिकताएं
इन रुझानों से साफ संकेत मिलता है कि बिहार के मतदाता अब राष्ट्रीय दलों की बजाय स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवारों की साख पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टी का रामगढ़ में बढ़त बनाना इस बदलाव का स्पष्ट उदाहरण है।
आगे की रणनीति पर सभी की नजरें
शुरुआती बढ़त एनडीए के पक्ष में है, लेकिन अंतिम परिणाम आने तक स्थिति बदल भी सकती है। हालांकि, इस चुनाव ने स्पष्ट कर दिया है कि महागठबंधन को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। वहीं, एनडीए और बसपा के लिए यह नतीजे आगामी चुनावों के लिए प्रेरणा साबित हो सकते हैं।
बिहार के उपचुनावों ने इस बार राजनीतिक संतुलन को हिलाकर रख दिया है। अब देखना यह होगा कि अंतिम नतीजे क्या संकेत देते हैं और कौन सी पार्टी आगामी चुनावों के लिए नई दिशा तय करेगी।
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