महाराष्ट्र में महायुद्ध : महायुति को बड़ी बढ़त, महाविकास अघाड़ी का संघर्ष

बीजेपी+ 210 सीटों पर आगे, कांग्रेस+ 70 पर सिमटी; बहुमत के लिए चाहिए 145 सीटें
चुनाव डेस्क : महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर मतगणना के शुरुआती रुझानों ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। महायुति (बीजेपी, शिवसेना – एकनाथ शिंदे गुट, और एनसीपी – अजित पवार गुट) ने 210 सीटों पर बढ़त के साथ मजबूत पकड़ बना ली है। वहीं, महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना – उद्धव ठाकरे गुट, और एनसीपी – शरद पवार गुट) सिर्फ 70 सीटों पर आगे है, जिससे उसका संघर्ष साफ नजर आ रहा है। अन्य 8 सीटों पर निर्दलीय और छोटे दल अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं।
इस बार के चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। 20 नवंबर को हुए मतदान में 65.11% वोटिंग दर्ज हुई, जो 2019 के मुकाबले 4% ज्यादा है। यह बढ़ती वोटिंग महायुति के लिए फायदेमंद साबित होती दिख रही है। एग्जिट पोल्स में जिस तरह से महायुति की जीत का अनुमान लगाया गया था, वह अब साकार होता नजर आ रहा है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम अजित पवार अपनी-अपनी सीटों पर आगे चल रहे हैं। इस गठबंधन की बढ़त ने महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति को एक मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है। महाविकास अघाड़ी, जो पिछले चुनाव में सत्ता में थी, इस बार बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) का प्रदर्शन कमजोर होता नजर आ रहा है, जबकि बीजेपी और उसके सहयोगी पार्टियों का गठबंधन 2019 के मुकाबले तीन अतिरिक्त सीटों के साथ मजबूत स्थिति में दिख रहा है।
रुझानों से साफ है कि महायुति बहुमत से कहीं आगे बढ़ती दिख रही है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि 4% ज्यादा मतदान का सीधा लाभ बीजेपी+ को मिला है। कांग्रेस+ गठबंधन 8 सीटों का नुकसान झेलते हुए बहुमत के करीब भी नहीं दिख रहा है। निर्दलीय और छोटे दलों ने भी 4 सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत की है, जिससे यह साफ है कि कुछ क्षेत्रों में स्थानीय मुद्दों और व्यक्तित्व की राजनीति ने अहम भूमिका निभाई है।
महाराष्ट्र का यह चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि गठबंधन की राजनीति के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। जहां महायुति का नेतृत्व सीएम शिंदे और अजित पवार कर रहे हैं, वहीं महाविकास अघाड़ी के सामने अपनी साख बचाने की चुनौती है। इन रुझानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महाराष्ट्र की जनता ने इस बार सत्ता के समीकरण को नया आयाम देने का मन बना लिया है।
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