November 24, 2024

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पराली के धुएं में घुट रहा है शहर, प्रशासन सख्त

मोतिहारी पराली

मोतिहारी पराली

बिहार। मोतिहारी के आसमान में इन दिनों पराली जलाने से उठता धुआं छाया हुआ है। खेतों में आग की लपटें और उससे निकलता काला धुआं न सिर्फ पर्यावरण, बल्कि लोगों की सांसों पर भी भारी पड़ रहा है। बढ़ते प्रदूषण ने हवा को जहरीला बना दिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट में मोतिहारी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 तक पहुंच चुका है। ये आंकड़ा ‘खराब’ श्रेणी में आता है और यह इशारा करता है कि शहर में हर सांस लेना अब खतरनाक हो चुका है।

जिला प्रशासन का कड़ा संदेश: पराली जलाने वालों पर होगी कार्रवाई

पूर्वी चंपारण के जिला अधिकारी सौरभ जोरवाल ने सख्त लहजे में कहा है कि पराली जलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारियों को आदेश दिया गया है कि पराली जलाने वाले किसानों की पहचान कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। इन किसानों को सरकारी कृषि योजनाओं के लाभ से वंचित करने के साथ उनके नाम ब्लैक बोर्ड पर प्रकाशित किए जाएंगे।

पराली जलाने पर जिम्मेदारी तय, किसान और अधिकारी निशाने पर

सरकार ने साफ कर दिया है कि पराली जलाने की घटनाओं के लिए संबंधित क्षेत्र के किसान सलाहकार और कृषि समन्वयक भी जिम्मेदार होंगे। ऐसे में कृषि विभाग के अधिकारियों को अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहकर किसानों को इस नुकसानदायक प्रक्रिया के प्रति जागरूक करना होगा।

पराली जलाने का प्रभाव: मिट्टी से लेकर हवा तक हो रही बर्बादी

जानकारों का कहना है कि 1 टन पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद 5.5 किग्रा नाइट्रोजन, 2.3 किग्रा फास्फोरस, 25 किग्रा पोटेशियम और 1.2 किग्रा सल्फर जैसे पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा, पराली जलाने से मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी खतरनाक गैसें निकलती हैं, जो सांस की बीमारियों और कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म देती हैं।

सुप्रीम कोर्ट और राज्य सरकार का रुख: सख्ती के आदेश

सुप्रीम कोर्ट पहले ही पराली जलाने को रोकने के लिए राज्य सरकारों को सख्त कदम उठाने के निर्देश दे चुका है। बिहार सरकार ने भी चेतावनी दी है कि दोषी किसानों पर CRPC की धारा 133 के तहत कार्रवाई की जाएगी। उनके नाम सार्वजनिक कर उन्हें सामाजिक शर्मिंदगी का सामना करना होगा।

किसानों के लिए सुझाव: पराली का करें वैकल्पिक उपयोग

सरकार और कृषि वैज्ञानिकों का सुझाव है कि पराली को जलाने के बजाय जैविक खाद बनाने या ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग करें। इससे न केवल पर्यावरण का संरक्षण होगा, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी।

प्रदूषण का बढ़ता खतरा: क्या मोतिहारी बच पाएगा?

पराली से निकलने वाले धुएं ने मोतिहारी की हवा को जहरीला बना दिया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स की मौजूदा स्थिति ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ की तरफ बढ़ रही है। अगर जल्द ही इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह शहर के पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है।

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