महाराष्ट्र-राजनीति : फडणवीस की तीसरी पारी, सत्ता का बंटवारा तय

ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री रहेंगे और इसके बाद शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी
महाराष्ट्र-राजनीति : महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाले देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्य में सत्ता के बंटवारे का खाका तैयार कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक, पहले ढाई साल फडणवीस मुख्यमंत्री रहेंगे और इसके बाद शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
राष्ट्रीय राजनीति में नई भूमिका के संकेत
देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की योजना है। यह फैसला बीजेपी और संघ के शीर्ष नेतृत्व के बीच सहमति से हुआ है। सूत्र बताते हैं कि फडणवीस की राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका पहले से ही तय है, और ढाई साल का यह कार्यकाल उनकी मजबूत पकड़ को और बढ़ाने का जरिया बनेगा।
सत्ता समीकरण और संभावित बदलाव
यदि किसी कारणवश फडणवीस को तय समय से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है, तो मुख्यमंत्री पद के लिए अन्य नामों पर विचार हो सकता है। संभावित उम्मीदवारों में बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का नाम प्रमुखता से सामने आया है। हालांकि, यह तय है कि अगले ढाई साल तक मुख्यमंत्री पद पर एकनाथ शिंदे का दावा नहीं बन पाएगा।
BJP और शिवसेना के बीच तालमेल
बीजेपी और शिवसेना के बीच सत्ता साझेदारी का यह फॉर्मूला राज्य की राजनीति में स्थिरता लाने के लिए तैयार किया गया है। यह मॉडल दोनों दलों के बीच बेहतर तालमेल का संकेत देता है। शिवसेना, जो पहले महाविकास अघाड़ी का हिस्सा थी, अब बीजेपी के साथ सत्ता में हिस्सेदारी कर रही है।
राष्ट्रीय और राज्य राजनीति का असर
फडणवीस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावना से पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूती मिलेगी। यह कदम न केवल महाराष्ट्र बल्कि देशभर में बीजेपी की रणनीतिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास होगा। दूसरी ओर, शिवसेना को मुख्यमंत्री पद देकर राज्य में पार्टी के जनाधार को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है।
सत्ता का नया समीकरण
RSS और बीजेपी का यह फॉर्मूला महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लेकर आ सकता है। सत्ता का यह बंटवारा राज्य में स्थिरता और दोनों दलों के बीच लंबे समय तक तालमेल बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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