बिहार विधानसभा में गरमाया स्मार्ट मीटर का मुद्दा

विपक्ष के नेताओं ने कहा, स्मार्ट मीटरों से आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा है और इसे अविलंब हटाने की आवश्यकता है
पटना : बिहार में स्मार्ट बिजली मीटरों को लेकर जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन, यह मुद्दा सदन के भीतर और बाहर विरोध का मुख्य केंद्र बन गया। राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वाम दल के विधायकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए स्मार्ट मीटरों की तत्काल रोक की मांग की।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि स्मार्ट मीटरों के कारण आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा है और इसे अविलंब हटाने की आवश्यकता है। सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले, विपक्षी दलों ने सदन के बाहर पोस्टर और बैनर के जरिए विरोध प्रदर्शन किया। उनके अनुसार, स्मार्ट मीटरों ने लोगों की बिजली बिलों में अनियमितता और बढ़ोतरी की है, जिससे लोगों की समस्याएं बढ़ गई हैं।
स्मार्ट मीटर से जनता त्रस्त: विपक्ष का आरोप
विपक्षी दलों का तर्क है कि स्मार्ट मीटरों के जरिए सरकार आम जनता की परेशानियों को नजरअंदाज कर रही है। उनके अनुसार, स्मार्ट मीटर न केवल बिजली के अधिक बिलों का कारण बन रहे हैं, बल्कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में तकनीकी गड़बड़ियों के चलते बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है।
राजद नेता ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “यह स्मार्ट मीटर योजना पूरी तरह से असफल है। सरकार इसे लागू कर लोगों पर अत्याचार कर रही है। आम जनता इन मीटरों के कारण बेहाल हो चुकी है।” विपक्ष ने सरकार से पुरानी बिजली बिल व्यवस्था को तुरंत बहाल करने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर इस मुद्दे को नजरअंदाज किया गया तो सड़क से सदन तक व्यापक आंदोलन किया जाएगा।
सरकार पर जनता की अनदेखी का आरोप
विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार ने स्मार्ट मीटर लगाने से पहले जनता को विश्वास में नहीं लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह योजना निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाई गई है। उनके अनुसार, स्मार्ट मीटर की वजह से हर महीने बिलों में अचानक बढ़ोतरी हो रही है, जिसे गरीब और मध्यम वर्ग के लोग वहन नहीं कर सकते।
स्मार्ट मीटरों की तकनीकी खामियों का भी जिक्र करते हुए, विपक्ष ने कहा कि इनसे बिजली कटौती और डेटा की गलत जानकारी जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। कई क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को बिजली बिल के नाम पर अनावश्यक रूप से ज्यादा रकम चुकानी पड़ी है।
आंदोलन की तैयारी में विपक्ष
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को सत्र के दौरान जोर-शोर से उठाया और सदन में चर्चा की मांग की। हालांकि, सरकार ने इस पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया। इससे नाराज विपक्ष ने सड़क पर उतरकर आंदोलन करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने जल्द इस योजना पर पुनर्विचार नहीं किया तो राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन होंगे।
विपक्ष के इस आक्रामक रुख ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। सरकार ने अब तक अपने फैसले का बचाव करते हुए इसे “जनहितकारी” योजना बताया है, लेकिन बढ़ते विरोध और जनता की नाराजगी को देखते हुए उसे जल्द ही समाधान ढूंढना होगा।
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