दो कमरे का बिजली बिल 6.23 करोड़ रुपए

बिल देख चौंकी महिला, यह मामला न केवल उपभोक्ता के लिए, बल्कि स्मार्ट मीटर की सटीकता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है
पटना (बिहार) : राजधानी पटना से सरकारी सिस्टम की एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। यहां आशियाना नगर में स्मार्ट बिजली मीटर की बिलिंग प्रणाली ने एक अभूतपूर्व गड़बड़ी को जन्म दिया है। यहां एक साधारण दो कमरों के फ्लैट में रहने वाली महिला को बिजली विभाग ने एक महीने का छह करोड़ रुपये से अधिक का बिल भेज दिया। यह मामला न केवल उपभोक्ता के लिए, बल्कि स्मार्ट मीटर की सटीकता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।
शिखा कुमारी, जो आशियाना विद्युत आपूर्ति डिविजन से जुड़ी उपभोक्ता हैं, ने बताया कि उन्हें नवंबर महीने का कुल 6,23,86,690.87 रुपये का बिजली बिल थमाया गया। इस झटके के साथ ही 28 नवंबर को उनके घर की बिजली भी काट दी गई। इस दौरान उनका परिवार बिना बिजली और पानी के घंटों परेशान रहा। हालांकि, शिकायत दर्ज होने के बाद रात करीब आठ बजे बिजली सेवा बहाल की गई।
गृहिणी के फ्लैट का औसत बिल पांच हजार
शिखा कुमारी के फ्लैट में तीन पंखे, तीन एसी, एक फ्रिज और पांच बल्ब चलते हैं। फ्लैट का कुल बिजली लोड तीन किलोवाट है। आमतौर पर गर्मी में उनका मासिक बिल पांच हजार रुपये तक रहता है, जबकि सर्दी में यह घटकर दो हजार तक आ जाता है। बावजूद इसके, इस बार उनका बिल सीधे छह करोड़ रुपये का हो गया।
बिजली विभाग के एक इंजीनियर ने बताया कि यदि तीन एसी, दो पंखे और एक फ्रिज 24 घंटे लगातार चलें, तो भी मासिक बिल 20 हजार रुपये से अधिक नहीं आ सकता। ऐसे में करोड़ों का बिल आना सिस्टम की भारी गड़बड़ी को दर्शाता है।
स्मार्ट मीटर की रीडिंग या तकनीकी खामी?
आशियाना विद्युत आपूर्ति डिविजन के कार्यपालक अभियंता नीरज कुमार ने इस मामले की जांच की बात कही है। उन्होंने बताया कि स्मार्ट मीटर में कभी-कभी रिवर्स रीडिंग हो जाती है, जिससे बिलिंग डेटा विकृत हो सकता है। इस मामले में मीटर लगाने वाली कंपनी ईडीएफ को भी मेल भेजा गया है, ताकि गड़बड़ी की पहचान कर उसे ठीक किया जा सके।
‘स्मार्ट’ सिस्टम ने बढ़ाई समस्या
स्मार्ट मीटर को बिजली बिलिंग में पारदर्शिता और सटीकता के लिए लगाया गया था, लेकिन इस तरह की घटनाएं इसकी विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि यदि तकनीकी खामी से इस तरह के बिल बन सकते हैं, तो आम जनता पर अनावश्यक मानसिक और आर्थिक बोझ क्यों डाला जा रहा है।
शिखा कुमारी का कहना है कि उन्होंने हाल ही में 400 रुपये का रिचार्ज किया था, जो सिस्टम में माइनस में दिखने लगा। उन्हें अब भी डर है कि भविष्य में कोई और गड़बड़ी उनके बिजली उपभोग का हिस्सा न बन जाए।
तकनीकी सुधार की जरूरत
इस घटना ने बिजली विभाग को अपने स्मार्ट मीटर सिस्टम की विश्वसनीयता और गड़बड़ी सुधार तंत्र पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर दिया है। उपभोक्ताओं की सुरक्षा और सही बिलिंग सुनिश्चित करना बिजली विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी है। स्मार्ट मीटर सिस्टम को अधिक पारदर्शी और उपभोक्ता हितैषी बनाना समय की मांग है।
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