July 23, 2025

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सावधान : डर, धमकी और फरेब का नया ‘खेल’

डिजिटल अरेस्ट का जाल : साइबर ठगों ने 11,333 करोड़ की ठगी से देश को हिलाया, जागरूकता ही है बचाव का रास्ता

अरुण शाहीकी रिपोर्ट, नई दिल्ली

कल्पना कीजिए, आपके फोन पर अचानक एक अंजान नंबर से कॉल आती है। दूसरी तरफ से गंभीर आवाज में कोई खुद को पुलिस अधिकारी बताता है और कहता है कि आपका नाम मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग्स जैसे गंभीर अपराधों में सामने आया है। आपको बताया जाता है कि आपके पार्सल में अवैध सामान मिला है या आपके आधार नंबर का इस्तेमाल किसी अपराध में हुआ है। इसके बाद शुरू होता है डराने-धमकाने का सिलसिला।

वीडियो कॉल पर आपको पुलिस स्टेशन जैसा माहौल दिखाया जाता है, जिससे आप पूरी तरह से यकीन कर लें कि यह असली पुलिस की कार्रवाई है। कॉलर आपसे आपकी निजी जानकारी मांगता है और गिरफ्तार करने या केस खत्म करने के बदले मोटी रकम की मांग करता है। आप डर के मारे उसके निर्देशों का पालन करने लगते हैं। यह पूरा घटनाक्रम आपको मानसिक और आर्थिक रूप से हिलाकर रख देता है।

देशभर में तेजी से फैल रहा साइबर अपराध

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल सितंबर तक साइबर ठगों ने 11,333 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी कर ली है। विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है। ठग अब ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे नए हथकंडों का इस्तेमाल कर लोगों को फंसा रहे हैं।

यह समस्या सिर्फ आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं है। ठगी का यह नया तरीका लोगों की मानसिक शांति को भी छीन रहा है। ठग जिस पेशेवर तरीके से खुद को पुलिस अधिकारी के रूप में पेश करते हैं और पूरी कहानी गढ़ते हैं, वह इतनी वास्तविक लगती है कि लोग उनके झांसे में आ जाते हैं।

डिजिटल अरेस्ट का भयावह सच

साइबर अपराधियों के ये हथकंडे एक नई चुनौती पेश कर रहे हैं। वे तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों को अपनी बातों में उलझाते हैं। झूठे आरोप लगाकर और गिरफ्तारी का डर दिखाकर वे पीड़ितों से उनकी निजी जानकारी हासिल करते हैं। यह ठगी न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रही है।

जागरूकता ही है बचाव का रास्ता

ऐसे जाल से बचने का एकमात्र उपाय है सतर्कता और जागरूकता। यह समझना जरूरी है कि भारत में पुलिस कभी वॉयस या वीडियो कॉल के जरिए पूछताछ नहीं करती। किसी भी प्रकार की निजी जानकारी मांगने के लिए एप्लिकेशन डाउनलोड करने का निर्देश देना, डराने-धमकाने की कोशिश करना या गिरफ्तारी वारंट भेजने जैसे झूठे दावे करना पुलिस की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है।

यदि किसी को ऐसा कोई कॉल या संदेश प्राप्त होता है, तो उसे तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करनी चाहिए। साथ ही किसी भी संदिग्ध कॉल पर प्रतिक्रिया देने से पहले तथ्यों की जांच करें। साइबर अपराधियों से बचने का सबसे मजबूत हथियार आपकी सतर्कता है।

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