सही मार्ग अपनाएं और एड्स को हराएं
विश्व एड्स दिवस : जागरूकता, सही जानकारी और सतर्कता से न केवल हम खुद को सुरक्षित रख सकते, बल्कि दूसरों की जिंदगी को भी बचा सकते हैं…
✍अरुण शाही✍, बिहार
“सही मार्ग अपनाएं”-विश्व एड्स दिवस 2024 की थीम केवल एक संदेश नहीं, बल्कि लोगों को उनकी जीवनशैली और स्वास्थ्य पर ध्यान देने का आह्वान है। 1 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि जागरूकता, सही जानकारी और सतर्कता से न केवल हम खुद को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि दूसरों की जिंदगी को भी बचा सकते हैं।
आज भी लाखों लोग एचआइवी-एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण अशिक्षा, जागरूकता की कमी और सामाजिक रूढ़िवादी सोच है। असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त का चढ़ाना या दूषित सुइयों का उपयोग, यह सब एचआइवी-एड्स के फैलने के प्रमुख कारण हैं। बावजूद इसके, समाज में इस बीमारी को लेकर कई गलतफहमियां और मिथक मौजूद हैं, जो लोगों को इस गंभीर समस्या के प्रति सजग होने से रोकते हैं।
मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल की स्थिति को देखें तो यह उत्तर बिहार के मरीजों के लिए सबसे बड़ा उपचार केंद्र है। यहां केवल मुजफ्फरपुर ही नहीं, बल्कि सीतामढ़ी, शिवहर, गोपालगंज, वैशाली, समस्तीपुर और चंपारण जैसे जिलों से भी मरीज आते हैं। दर्जनों मरीजों ने माना कि जानकारी के अभाव में की गई छोटी-सी भूल ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। उनके पास अब न तो स्वास्थ्य बचा है, न ही सम्मान। परिवार आर्थिक और मानसिक संकट से गुजर रहा है, और वे खुद समाज के तिरस्कार के शिकार हो रहे हैं।
एचआइवी-एड्स के शुरुआती लक्षणों की बात करें तो लगातार बुखार, सर्दी-खांसी, त्वचा पर दाग-धब्बे, मुंह में छाले और पेट की समस्याएं शामिल हैं। यह लक्षण दिखने में मामूली लग सकते हैं, लेकिन समय पर इलाज न मिलने पर यह बीमारी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह खत्म कर देती है। मरीज को सामान्य बीमारियां भी जानलेवा लगने लगती हैं। जांच और इलाज की प्रक्रिया में सबसे पहले मरीज को काउंसलिंग दी जाती है। इसके बाद परीक्षण के जरिए यदि संक्रमण की पुष्टि होती है तो उसे एआरटी केंद्र पर भेजा जाता है, जहां सीडी-4 काउंट के आधार पर दवा शुरू की जाती है।
हालांकि, एचआइवी-एड्स को लेकर समाज में यह धारणा है कि यह एक लाइलाज बीमारी है और इसका अंत केवल मौत के साथ होता है। लेकिन सच्चाई यह है कि सही दवा और देखभाल से मरीज एक सामान्य जीवन जी सकते हैं। यह बीमारी छूने, साथ खाना खाने या सामाजिक मेलजोल से नहीं फैलती। इसलिए समाज में इस बीमारी को लेकर फैले डर और भेदभाव को दूर करने की जरूरत है।
“सही मार्ग अपनाएं” केवल बचाव का संदेश नहीं है, बल्कि यह लोगों को अपनी सोच और आदतों को बदलने की प्रेरणा भी देता है। समाज को चाहिए कि वह इस बीमारी से पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति और सहयोग का भाव दिखाए। जागरूकता फैलाने के लिए शिक्षा को सबसे बड़े माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को एचआइवी-एड्स के कारणों और बचाव के तरीकों के बारे में समझाया जा सकता है।
1988 से मनाया जा रहा विश्व एड्स दिवस हर साल एक नई थीम के साथ लोगों को इस बीमारी के खिलाफ लड़ने का हौसला देता है। इस साल की थीम “सही मार्ग अपनाएं” हमें यह सिखाती है कि एचआइवी-एड्स से बचाव केवल दवाओं या इलाज तक सीमित नहीं है। यह लड़ाई समाज की सोच बदलने और लोगों को जागरूक करने से ही जीती जा सकती है।
इस विश्व एड्स दिवस पर आइए संकल्प लें कि हम खुद को और अपने आसपास के लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करेंगे। सही जानकारी और सतर्कता से हम न केवल अपने जीवन को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी एक सकारात्मक उदाहरण बन सकते हैं। “सही मार्ग अपनाएं”-यह केवल एक थीम नहीं, बल्कि जिंदगी बचाने का मंत्र है।
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