December 4, 2024

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किसान आंदोलन @ दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर क्षेत्रों में प्रदर्शन के चलते सड़कें जाम

किसानों का कहना है कि वे लंबे समय से अपनी जमीन और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है

नई दिल्ली : दिल्ली की ओर बढ़ते किसानों के आंदोलन ने सोमवार की सुबह एनसीआर के प्रमुख मार्गों पर हलचल मचा दी। हजारों किसानों के कूच से डीएनडी फ्लाईवे, चिल्ला बॉर्डर और कालिंदी कुंज मार्गों पर भारी जाम लग गया, जिससे यात्रियों को गहरी परेशानी का सामना करना पड़ा। सुबह से ही वाहनों की लंबी कतारें दिखीं और यातायात व्यवस्था चरमरा गई। किसानों की इस लामबंदी ने सरकार और प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।

किसानों का कहना है कि वे लंबे समय से अपनी जमीन और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है। उनकी प्रमुख मांगें बाजार दर से चार गुना अधिक मुआवजा, 10 प्रतिशत आबादी भूखंड, भूमिहीन किसानों और उनके बच्चों को रोजगार, और 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के सभी लाभों का तत्काल क्रियान्वयन हैं। किसानों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।

प्रशासन की तैयारी और चुनौतियां

दिल्ली और गौतमबुद्धनगर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। बॉर्डर क्षेत्रों में हर वाहन की गहन चेकिंग की जा रही है। यातायात व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए पुलिस ने कई रेड लाइट्स को ग्रीन कर दिया है। अधिकारियों का दावा है कि प्रयासों के बाद स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन किसानों के लगातार बढ़ते दबाव के कारण चुनौती अभी भी बरकरार है।

यातायात बाधित होने से रोजाना यात्रा करने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। डीएनडी फ्लाईवे और चिल्ला बॉर्डर पर कई घंटे तक गाड़ियां फंसी रहीं। अस्पताल जाने वाले मरीज, ऑफिस जाने वाले कर्मचारी और स्कूल के बच्चे सभी इस अव्यवस्था के शिकार बने।

आंदोलन की गूंज और संभावित असर

किसानों के आंदोलन की गूंज अब दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में भी सुनाई देने लगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस स्थिति का जल्द समाधान नहीं हुआ, तो यह प्रशासन और सरकार दोनों के लिए बड़ा संकट बन सकता है। प्रदर्शनकारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और उनका समर्थन अन्य राज्यों से भी मिलने की संभावना है।

किसानों का संदेश और दृढ़ता

प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि उनका आंदोलन केवल उनके अधिकारों की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के किसानों की आवाज़ है। उनका आरोप है कि सरकार उनकी समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो वे दिल्ली के और अंदर तक घुसकर प्रदर्शन करेंगे।

स्थिति पर नजर बनाए हुए प्रशासन

प्रशासन का दावा है कि स्थिति को संभालने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। पुलिस और यातायात विभाग ने आपातकालीन मार्गों को खुला रखने की कोशिश की है। लेकिन किसानों के आक्रोश और उनकी मांगों को देखते हुए यह आंदोलन और अधिक उग्र हो सकता है।

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