July 23, 2025

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देवेंद्र फडणवीस फिर सीएम, शिंदे की भूमिका पर सवाल

देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे

देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे

  • यदि शिंदे सरकार में शामिल नहीं होते हैं, तो यह महायुति में नई चुनौतियों को जन्म दे सकता है।

महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से चला आ रहा सस्पेंस आखिरकार खत्म हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। बुधवार को बीजेपी के विधायक दल की बैठक में फडणवीस को सर्वसम्मति से नेता चुना गया, जिसके बाद उन्होंने राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा पेश किया। महायुति गठबंधन की इस नई सरकार के गठन को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, खासकर एकनाथ शिंदे की भूमिका को लेकर।

फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा के बाद महायुति के तीन प्रमुख नेता-देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस दौरान जहां नई सरकार की प्राथमिकताओं पर चर्चा होनी चाहिए थी, माहौल हल्का-फुल्का और मजाकिया होता गया। हालांकि, इस हास्यपूर्ण माहौल के पीछे गंभीर राजनीतिक संदेश भी छिपा हुआ था।

शिंदे की भूमिका पर संशय: गठबंधन में अनिश्चितता

एकनाथ शिंदे, जो पिछली सरकार में मुख्यमंत्री थे, अब महायुति गठबंधन में उनकी भूमिका को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में फडणवीस ने कहा कि उन्होंने शिंदे से सरकार में शामिल होने का आग्रह किया है।

यह अनिश्चितता महायुति गठबंधन के भीतर सत्ता के समीकरणों और संतुलन को लेकर संभावित खींचतान का संकेत देती है। शिंदे खेमे ने 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद सरकार बनाई थी और अब उनके समर्पित वोट बैंक और विधायकों की भूमिका को लेकर चर्चाएं तेज हैं। यदि शिंदे सरकार में शामिल नहीं होते हैं, तो यह महायुति में नई चुनौतियों को जन्म दे सकता है।

नई सरकार की प्राथमिकताएं और चुनौतियां

महायुति सरकार के गठन के साथ ही महाराष्ट्र के सामने कई बड़ी चुनौतियां खड़ी हैं। किसानों की समस्याएं, बेरोजगारी, निवेश बढ़ाने के मुद्दे और विकास कार्यों में तेजी लाना नई सरकार की प्राथमिकताओं में होगा। फडणवीस, जो पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं, इन समस्याओं से निपटने के लिए अपनी पिछली नीतियों और अनुभव का सहारा ले सकते हैं।

वहीं, एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल होने की अनिश्चितता महायुति गठबंधन की स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। अगर शिंदे सरकार में शामिल होते हैं, तो यह गठबंधन के लिए मजबूती का संकेत होगा। अन्यथा, विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।

महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर चर्चा में है, और आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि महायुति सरकार किस तरह से अपनी प्राथमिकताओं को साधती है और सियासी संतुलन बनाए रखती है।

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