“विकसित भारत के निर्माण के लिए सबका योगदान जरूरी”
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति का राष्ट्र निर्माण का आह्वान, कार्यक्रम में 121 स्नातक, 265 स्नातकोत्तर और 47 पीएचडी छात्रों को प्रदान की गईं उपाधियां
मोतिहारी (बिहार) से नीरज कुमार की रिपोर्ट…
मोतिहारी की ऐतिहासिक भूमि पर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह का आयोजन, राष्ट्र निर्माण के एक संकल्प और शिक्षा के नवयुग का संदेश लेकर संपन्न हुआ। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और सांसद राधा मोहन सिंह ने अपनी उपस्थिति से इस ऐतिहासिक अवसर को गौरवान्वित किया। कार्यक्रम में 121 स्नातक, 265 स्नातकोत्तर और 47 पीएचडी छात्रों को उपाधियां प्रदान की गईं।
उपराष्ट्रपति ने जहां छात्रों को विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रेरित किया, वहीं राज्यपाल ने शिक्षा को जीवन का अंतहीन सफर बताया। समारोह में राष्ट्रवाद, सामाजिक न्याय और तकनीकी प्रगति जैसे विषयों पर जोर दिया गया। दीक्षांत समारोह केवल शैक्षणिक यात्रा का समापन नहीं, बल्कि एक नए भारत के निर्माण की शुरुआत का प्रतीक बना। यह आयोजन गांधी जी की कर्मभूमि पर राष्ट्रीय चेतना को फिर से जगाने का आह्वान करता है, जहां युवा शक्ति के दम पर विकसित भारत 2047 का सपना साकार होगा।
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने मोतिहारी की ऐतिहासिक धरोहर और विश्वविद्यालय के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय चेतना की अद्वितीय भूमि बताया। उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय का नाम, स्थान और गांधी जी की ऐतिहासिक विरासत इसे विशेष बनाती है। सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांत यहीं से प्रकट हुए, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। इस भूमि पर शिक्षा लेने वाले हर छात्र में राष्ट्र सेवा और सामाजिक न्याय की भावना स्वतः जाग्रत होगी।”
विकसित भारत 2047: सपना नहीं, साझा लक्ष्य
उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा, “2047 तक भारत को विकसित देशों की सूची में शामिल करना सिर्फ सरकार का नहीं, हर नागरिक का दायित्व है। यह कोई सपना नहीं बल्कि साझा लक्ष्य है। इसे पाने के लिए हमें एकजुट होकर कार्य करना होगा।”
उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति की ओर इशारा करते हुए कहा, “हमने उन देशों को पीछे छोड़ा जिन्होंने सदियों तक हम पर शासन किया। अब भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही जर्मनी व जापान को भी पीछे छोड़ देगा। यह छलांग असंभव लगती थी, लेकिन भारत के युवा, टेक्नोलॉजी और संकल्प ने इसे संभव बना दिया।”
“हार से मत डरें, सीखना जारी रखें”
छात्रों को प्रेरित करते हुए उपराष्ट्रपति ने शिक्षा और चुनौतियों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “जीवन में हार को अवसर के रूप में देखना चाहिए। जैसे बच्चा गिरकर चलना सीखता है, वैसे ही जीवन में भी असफलताएं हमें मजबूत बनाती हैं। आज का भारत युवाओं को अपार अवसर दे रहा है। यहां से जो शिक्षा आपने प्राप्त की है, वह आपकी योग्यता को निखारकर विश्व मंच पर पहचान दिलाएगी। अब कोई आपकी प्रतिभा को ठुकरा नहीं सकता, क्योंकि भारत में अब समान अवसर और पारदर्शिता की व्यवस्था है।” उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता को भी रेखांकित किया और छात्रों से “एक पेड़ मां के नाम” का आह्वान करते हुए कहा कि छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।
राज्यपाल का संदेश: “शिक्षा का अंत नहीं, शुरुआत है”
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने दीक्षांत समारोह में छात्रों को बधाई देते हुए कहा, “यह दीक्षांत है, शिक्षांत नहीं। यहां से शुरू हुई आपकी यात्रा शिक्षा के नए आयाम खोलेगी। सीखने की प्रक्रिया जीवन भर चलती है। आजकल युवा सरकारी नौकरी की ओर आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में सोचना चाहिए। हमारा उद्देश्य नौकरी लेने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनना होना चाहिए।”
सांसद का धन्यवाद और मुख्यमंत्री की भूमिका
सांसद राधा मोहन सिंह ने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “गांधी जी की कर्मभूमि पर इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सभी दलों ने एकजुट होकर आंदोलन किया। नीतीश कुमार ने दिल्ली तक आवाज उठाकर इसे साकार किया। इसके लिए उन्हें धन्यवाद और बधाई।”
छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया
दीक्षांत समारोह में 121 स्नातक, 265 स्नातकोत्तर और 47 पीएचडी छात्रों को उपाधियां प्रदान की गईं। उपराष्ट्रपति ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। सम्मानित छात्रों में अंजली सिंह, सुनीधी, श्वेता सिंह, द्विज्यपाल, राहुल राजेश गुप्ता, हेमंत वर्मन, हिमांशु रंजन, नवीन कुमार और मानवी भार्गव शामिल थे।
कुलपति का संदेश: “देश के हित में करें योग्यता का उपयोग”
कुलपति संजय श्रीवास्तव ने छात्रों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा, “आपने यहां से जो शिक्षा प्राप्त की है, उसका उपयोग देशहित में करें। आपकी सफलता विश्वविद्यालय की गरिमा को बढ़ाएगी।”
गांधी को श्रद्धांजलि और सुरक्षा प्रबंध
कार्यक्रम के आरंभ में उपराष्ट्रपति और राज्यपाल ने ऐतिहासिक चरखा पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस उप महानिरीक्षक जयंत कांत, प्रभारी जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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