हर दिन सड़क दुर्घटनाओं में बुझ रहे परिवारों के चिराग
मुजफ्फरपुर : इन दिनों सड़क दुर्घटनाएं एक गहरी चिंता का विषय बन चुकी हैं। नित्य दिन सड़क पर होने वाले हादसों में दर्जनों लोगों की जान जा रही है। बिहार के एसकेएमसीएच के एफएमडी विभाग (पोस्टमार्टम) के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विश्व ज्योति के अनुसार, प्रतिदिन 6-7 मृतकों के शव सड़क दुर्घटनाओं के कारण पोस्टमार्टम के लिए आते हैं। इनमें से अधिकांश युवा वर्ग के होते हैं, जिनकी अकाल मृत्यु न केवल उनके परिवार के लिए असहनीय है, बल्कि समाज के लिए भी बड़ा नुकसान है।
दुर्घटनाओं के कारण
सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण अनियंत्रित वाहन संचालन है। सड़कों पर ऑटो और टेंपो चालकों द्वारा मनमाने तरीके से रेसिंग और यात्रियों को बीच सड़क पर चढ़ाने-उतारने की प्रक्रिया दुर्घटनाओं को बढ़ा रही है। इसके अलावा सड़क के दोनों ओर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और अव्यवस्थित यातायात प्रणाली से सड़कें अत्यधिक संकरी हो गई हैं। पिछले 5 वर्षों में वाहनों की संख्या में 5 से 6 गुना बढ़ोतरी हुई है, जिससे सड़क पर दबाव असहनीय हो चुका है। तेज गति से वाहन चलाना, हेलमेट का उपयोग न करना, और सड़क पर लापरवाही से चलने जैसी प्रवृत्तियां भी हादसों को बढ़ावा दे रही हैं।
समस्या का सामाजिक और प्रशासनिक पहलू
सड़क दुर्घटनाओं के खिलाफ जागरूकता की कमी एक गंभीर चुनौती है। प्रशासनिक स्तर पर यातायात नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता महसूस की जा रही है। ऑटो और टेंपो के लिए निश्चित पड़ाव स्थलों और यात्री शेड की व्यवस्था नहीं होना भी एक बड़ी समस्या है। कई बार प्रशासन की लापरवाही और आम जनता की उदासीनता के कारण इन दुर्घटनाओं पर रोक लगाना मुश्किल हो जाता है।
समाधान के सुझाव
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले, महानगरों की तर्ज पर रिंग सर्विस इलेक्ट्रिक बसों को शुरू किया जाना चाहिए। इसका निश्चित समय निर्धारण करने से छोटे वाहनों पर निर्भरता कम होगी। छोटे वाहनों के लिए अलग से सर्विस रोड बनाकर मुख्य सड़क पर दबाव कम किया जा सकता है। रेस ड्राइविंग पर सख्त रोक लगाने और वाहनों की अधिकतम गति सीमा तय करने के लिए नए नियम बनाए जाने चाहिए। बाइक खरीदने के लिए विशेष मानदंड तय किए जाएं, जिससे केवल जरूरतमंद लोग ही इसका उपयोग कर सकें। सड़कों को अतिक्रमण मुक्त कर यातायात व्यवस्था को सुचारू किया जाए। इसके अलावा, हर चौराहे पर यातायात पुलिस की उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि यातायात नियमों का पालन सख्ती से हो।
सड़क दुर्घटनाओं का बढ़ता आंकड़ा न केवल मानव जीवन की हानि है, बल्कि यह समाज और अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक है। इसके लिए प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर समाधान निकालने की आवश्यकता है। सही नीति और सख्त नियमों के जरिए इन हादसों को कम किया जा सकता है। सड़क पर अनुशासन और जिम्मेदारी का पालन ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।
यह भी पढ़िए…
- ब्राउन शुगर और चरस के साथ तस्कर गिरफ्तार, 12 करोड़ का माल बरामद
- सरदार पटेल की 11 फुट ऊंची प्रतिमा का जोधपुर में अनावरण
- बिहार प्रशासनिक सेवा में बड़ा फेरबदल
- ग्रहों की चाल बदलेंगे आपके जीवन का हाल
- “विकसित भारत के निर्माण के लिए सबका योगदान जरूरी”
आगे की खबरों के लिए आप हमारी वेबसाइट पर बने रहें..