May 31, 2025

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दिल्ली विधानसभा चुनाव : कांग्रेस की पहली सूची से नए समीकरणों का संकेत।

  • केजरीवाल के गढ़ में दीक्षित की वापसी, बड़े नामों पर दांव

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों की तैयारियों में कांग्रेस ने 21 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। सूची में खासतौर पर नई दिल्ली सीट से संदीप दीक्षित का नाम प्रमुखता से उभरकर आया है। यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल वर्तमान विधायक हैं। दिलचस्प है कि 2013 में केजरीवाल ने इसी सीट पर शीला दीक्षित को हराकर बड़ा उलटफेर किया था। अब शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को मैदान में उतारकर कांग्रेस ने सीधा संदेश दिया है कि वह केजरीवाल को उनके गढ़ में चुनौती देने के लिए तैयार है।

नई दिल्ली सीट पर सीधा मुकाबला

नई दिल्ली विधानसभा सीट हमेशा से हाई-प्रोफाइल रही है। 2013 में अरविंद केजरीवाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर राजनीति का नया अध्याय लिखा था। अब कांग्रेस ने इस सीट पर शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को उतारकर सीधा मुकाबला बनाने की रणनीति अपनाई है। यह कांग्रेस के लिए अपनी खोई साख वापस पाने का एक सुनहरा मौका हो सकता है।

कांग्रेस ने दिए मजबूत उम्मीदवार

कांग्रेस की सूची में कई अनुभवी और प्रभावशाली चेहरों को जगह दी गई है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव को बादली से टिकट दिया गया है। वह पहले भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं और पार्टी संगठन में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। इसी तरह, वजीरपुर से रागिनी नायक और कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त जैसे युवा चेहरों पर भरोसा जताकर कांग्रेस ने युवाओं को संदेश देने की कोशिश की है। वहीं, बल्लीमरान से हारून यूसुफ और शालीमार बाग से प्रवीण जैन जैसे नाम पार्टी के पुराने और भरोसेमंद चेहरों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

राजनीतिक समीकरण और चुनौतियां

कांग्रेस की यह सूची यह भी बताती है कि पार्टी ने जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है। सूची में दलित और मुस्लिम उम्मीदवारों को भी जगह दी गई है, जो दिल्ली के मतदाताओं के बड़े वर्ग को आकर्षित करने की कोशिश है। जयप्रकाश को अंबेडकर नगर (एससी) और अली मेहंदी को मुस्तफाबाद से टिकट देकर कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह हर वर्ग को साथ लेकर चलने का संदेश देना चाहती है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि पार्टी आम आदमी पार्टी और बीजेपी के मजबूत संगठन और चुनावी मशीनरी के सामने कितना प्रभाव डाल पाती है।

शीला दीक्षित की विरासत और कांग्रेस की उम्मीदें

संदीप दीक्षित को टिकट देना केवल एक चुनावी रणनीति नहीं बल्कि कांग्रेस की तरफ से शीला दीक्षित की राजनीतिक विरासत को पुनर्जीवित करने की कोशिश भी है। शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने दिल्ली में तीन बार सरकार बनाई थी। उनकी यह छवि आज भी कई मतदाताओं के बीच प्रभावशाली है। कांग्रेस की कोशिश होगी कि इस भावनात्मक जुड़ाव को वोट में तब्दील किया जाए।

संभावनाओं का चुनावी दांव

कांग्रेस ने अपनी पहली सूची में अनुभवी और युवा नेताओं का मिश्रण पेश किया है। यह सूची पार्टी के आत्मविश्वास और चुनावी तैयारियों को दिखाती है। हालांकि, अरविंद केजरीवाल की मजबूत पकड़ और बीजेपी की आक्रामक रणनीति के बीच कांग्रेस को अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। नई दिल्ली सीट पर संदीप दीक्षित की उम्मीदवारी ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि यह चुनाव न केवल राजनीतिक बल्कि व्यक्तिगत दावों और विरासत की लड़ाई भी होगी।

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