नेहरू के ऐतिहासिक पत्रों की वापसी पर विवाद, सोनिया गांधी से लौटाने की मांग

प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी में ऐतिहासिक दस्तावेजों को लेकर उठे सवाल
नई दिल्ली : पंडित जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक पत्रों की वापसी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी (PMML) के एक सदस्य ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर इन दस्तावेजों को लौटाने की मांग की है, जो कथित तौर पर सोनिया गांधी की कस्टडी में हैं।
नेहरू के दस्तावेजों का महत्व
इतिहासकार रिज़वान कादरी ने अपने पत्र में बताया कि इन दस्तावेजों में नेहरू के एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, जयप्रकाश नारायण, विजयलक्ष्मी पंडित और अन्य प्रमुख हस्तियों के साथ हुए पत्राचार शामिल हैं। 2008 में, सोनिया गांधी ने इन दस्तावेजों को नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम और लाइब्रेरी (अब PMML) से हटवा दिया था।
कादरी ने सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में इन दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की अपील की, ताकि देश के इतिहास को सही तरीके से समझा जा सके। उन्होंने दस्तावेजों को लौटाने, उनकी प्रतिलिपियां साझा करने, या उन्हें डिजिटल रूप में उपलब्ध कराने की मांग की।
बीजेपी का कांग्रेस पर हमला
बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने इस मामले को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। पात्रा ने सवाल किया, “ऐसा क्या है इन पत्रों में जिसे गांधी परिवार जनता से छिपाना चाहता है? जब 2010 में इन दस्तावेजों को डिजिटल बनाने का निर्णय लिया गया, तब सोनिया गांधी ने इन्हें क्यों हटवा दिया?”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 51 कार्टन दस्तावेज़, जिनमें नेहरू के एडविना माउंटबेटन और अन्य नेताओं को लिखे पत्र शामिल थे, सोनिया गांधी ने UPA शासन के दौरान हटा दिए। पात्रा ने इसे देश के इतिहास से छेड़छाड़ बताया।
PMML का नामकरण और इतिहास
2023 में नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम और लाइब्रेरी सोसायटी का नाम बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी सोसायटी कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित संग्रहालय बनाने का प्रस्ताव रखा था। 2022 में यह संग्रहालय जनता के लिए खोल दिया गया।
यह विवाद नेहरू के ऐतिहासिक पत्रों को लेकर पारदर्शिता और सार्वजनिक उपलब्धता के मुद्दों पर जोर देता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि गांधी परिवार इस मामले पर क्या रुख अपनाता है।
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