स्वास्थ्य सेवा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से नई क्रांति

अनुप्रिया पटेल ने कहा-जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद भारत एशिया का चौथा सबसे बड़ा चिकित्सा उपकरण बाजार है
नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के 21वें स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। “विकसित भारत 2047 के लिए स्वास्थ्य सेवा में बदलाव” थीम के तहत आयोजित इस कार्यक्रम ने भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नवाचार, आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के महत्व पर गहन चर्चा की। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक प्रभावशाली बनाया।
मेडटेक: भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की रीढ़
अपने संबोधन में अनुप्रिया पटेल ने भारतीय चिकित्सा उपकरण उद्योग को देश का उभरता हुआ क्षेत्र बताते हुए कहा कि इसकी प्रगति भारत की बढ़ती स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं, तकनीकी नवाचार, और सरकारी सहयोग पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि भारत का चिकित्सा उपकरण बाजार वर्तमान में 14 बिलियन डॉलर का है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद भारत एशिया का चौथा सबसे बड़ा चिकित्सा उपकरण बाजार है और यह दुनिया के शीर्ष 20 बाजारों में अपनी जगह बनाए हुए है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: स्वास्थ्य सेवा का अगला बड़ा कदम
स्वास्थ्य सेवा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भूमिका पर जोर देते हुए अनुप्रिया पटेल ने कहा कि यह तकनीक न केवल मौजूदा स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों को हल करने में मददगार है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुसंगत और सुलभ बनाती है। एआई के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नवाचारों और नई खोजों का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे मरीजों और सेवा प्रदाताओं के लिए बेहतर समाधान तैयार किए जा सकेंगे।
सरकार के ठोस प्रयास: आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम
केंद्र सरकार ने चिकित्सा उपकरण उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सा उपकरणों के लिए निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएमडी) का गठन किया गया है। राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 लागू करके विनिर्माण, अनुसंधान और विकास को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लिए गए हैं।
सरकार ने उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में चिकित्सा उपकरण पार्कों के निर्माण के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसके साथ ही, फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना शुरू की गई है। इन पहलों का उद्देश्य उद्योग की उत्पादन क्षमता बढ़ाना, कौशल विकास को मजबूत करना, और वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी को बढ़ाना है।
स्वास्थ्य सचिव का संदेश: स्वस्थ और समृद्ध भारत की ओर
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा केवल एक सामाजिक अनिवार्यता नहीं, बल्कि आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत, पीएम-जेएवाई, और डिजिटल मिशन जैसी योजनाओं के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और अधिक समावेशी हुई है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि निजी क्षेत्र स्वास्थ्य सेवा के विकास में एक महत्वपूर्ण भागीदार है। खासकर दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में निजी क्षेत्र के नवाचार और मॉडल स्वास्थ्य सेवाओं ने उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं।
2047 का लक्ष्य: भारत को वैश्विक स्वास्थ्य सेवा नेता बनाना
2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की परिकल्पना में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की प्रमुख भूमिका है। स्वास्थ्य सचिव ने तपेदिक उन्मूलन और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज जैसे लक्ष्यों की दिशा में उठाए गए ठोस कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के सहयोग को इस दृष्टिकोण को साकार करने में महत्वपूर्ण बताया।
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