क्रिसमस की तैयारियों ने पकड़ी रफ्तार

क्रिसमस
- यह त्योहार न केवल ईसाई समुदाय के लिए बल्कि हर धर्म और उम्र के लोगों के लिए एक उत्सव है
बिहार : सर्द हवाओं के बीच रंग-बिरंगी रोशनियों से सजे घर, चर्च और बाजार क्रिसमस के आगमन की दस्तक दे रहे हैं। क्रिसमस को लेकर तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं। चाहे बड़े शहर हों या छोटे गांव, हर जगह एक खास रौनक और उत्साह देखने को मिल रहा है। यह त्योहार न केवल ईसाई समुदाय के लिए बल्कि हर धर्म और उम्र के लोगों के लिए एक उत्सव है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी इस त्योहार को मनाने में जुटे हुए हैं।
क्रिसमस का ऐतिहासिक महत्व
क्रिसमस, ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इतिहास के अनुसार, यीशु का जन्म 7 से 2 ईसवी पूर्व हुआ था। हालांकि इसकी सटीक तिथि पर विद्वानों की राय अलग हो सकती है, लेकिन 25 दिसंबर को इसे मान्यता मिली। ईसा मसीह को ‘ईश्वर की संतान’ कहा जाता है, जिन्होंने प्रेम, करुणा और सद्भाव का संदेश पूरी दुनिया को दिया। उनके उपदेशों ने न केवल उनके अनुयायियों का बल्कि मानवता का भी मार्गदर्शन किया।
तैयारियों में जुटे लोग
देशभर में चर्चों को सजाने का काम शुरू हो चुका है। बाजारों में रंग-बिरंगे क्रिसमस ट्री, सितारे, घंटियां, और सांताक्लॉज की टोपी बिक रही हैं। मिठाइयों और केक की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है। स्कूलों और कॉलोनियों में क्रिसमस से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में बच्चों को यीशु की कहानी पर आधारित नाटकों और गीतों में भाग लेते देखा जा रहा है।
क्रिसमस का संदेश
इस त्योहार का मूल उद्देश्य प्रेम, क्षमा और भाईचारे को बढ़ावा देना है। यीशु मसीह ने अपने जीवनकाल में ईश्वर के प्रति निष्ठा, सहनशीलता और मानवता की सेवा का संदेश दिया। यह त्योहार हमें उन्हीं मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देता है।
क्रिसमस की रोशनी में डूबा हर दिल
रात में जब चर्चों और घरों की रोशनी जगमगाने लगती है, तो ऐसा लगता है जैसे पूरा आसमान पृथ्वी पर उतर आया हो। चर्च में मध्यरात्रि की प्रार्थना के दौरान लोग यीशु के जन्म की खुशियां साझा करते हैं। सड़कों पर लोग एक-दूसरे को ‘मेरी क्रिसमस’ कहकर शुभकामनाएं देते हैं।
सांता क्लॉज का आकर्षण
बच्चों के लिए सांता क्लॉज का इंतजार इस त्योहार को और खास बना देता है। वे रात में अपने जूते और मोजे सजाकर उपहार पाने की उम्मीद में सोते हैं। यह परंपरा बच्चों के मन में दया और उपहार बांटने का महत्व जगाती है।
समाज में नया संदेश
क्रिसमस केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि मानवता के लिए एक संदेश है। आज के समय में, जब समाज में भेदभाव और संघर्ष बढ़ रहे हैं, यह त्योहार हमें ईसा मसीह के प्रेम और क्षमा के आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा देता है।
इस तरह, क्रिसमस न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी बन गया है। हर दिल को जोड़ने वाला यह त्योहार प्रेम और शांति का प्रतीक है, जो दुनिया को एक नई रोशनी से भर देता है।
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