April 5, 2025

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कोर्ट कचहरी के चक्कर में फंसा दिव्यांग पति का जीवन

498A के दुरुपयोग ने बढ़ाई समस्याएं, पुरुष आयोग की मांग हुई प्रबल, पतियों पर बढ़ते उत्पीड़न के मामले

नई दिल्ली : समाज में लंबे समय से यह धारणा रही है कि पत्नी पति के जीवन को दिशा देने वाली होती है। परंतु इक्कीसवीं सदी में यह तस्वीर बदलती नजर आ रही है। अब पत्नियों से परेशान पतियों की संख्या बढ़ती जा रही है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि पति-पत्नी के विवादों में अधिकांश मामलों में पतियों पर झूठे मुकदमे दर्ज होते हैं। बेंगलुरु के आईटी इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या और पटना के आईटी इंजीनियर कुमार अपूर्व की त्रासदी, दोनों मामले इस गंभीर सामाजिक समस्या को सामने लाते हैं।

कुमार अपूर्व की दर्दनाक दास्तां

कुमार अपूर्व, बेंगलुरु की एक प्रतिष्ठित आईटी कंपनी में काम करते थे। बारह साल पहले एक सड़क दुर्घटना में उनका दाहिना पैर काटना पड़ा, और उनका दाहिना हाथ भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना के बाद उन्हें 70% विकलांग घोषित कर दिया गया। 2016 में उनके माता-पिता ने उनका विवाह जमशेदपुर की तलाकशुदा महिला निकिता सिन्हा से करवा दिया। शादी के बाद ही निकिता ने ससुराल और पति को अनदेखा करना शुरू कर दिया। वह अक्सर ससुराल छोड़कर मायके चली जाती थी।

निकिता की गैरजिम्मेदारी

शादी के कुछ महीनों बाद ही निकिता का व्यवहार असामान्य हो गया। वह देर रात तक मोबाइल पर व्यस्त रहती और पति अपूर्व से झगड़ती थी। बार-बार मायके जाने और ससुराल में न रहने की आदत ने अपूर्व और उनके परिवार को परेशान कर दिया। 2020 में कोरोना महामारी के दौरान अपूर्व की मां का निधन हो गया। इसके कुछ समय बाद, निकिता ने ससुराल में हंगामा किया और पुलिस को बुला लिया। पुलिस की सलाह पर अपूर्व के पिता ने निकिता को जमशेदपुर भेज दिया।

अदालती लड़ाई और उत्पीड़न

निकिता ने दिसंबर 2021 में कोलकाता के अलीपुर कोर्ट में भरण-पोषण के लिए मुकदमा दायर किया। सुप्रीम कोर्ट ने भरण-पोषण के रूप में 50,000 रुपये मासिक भुगतान का आदेश दिया, जबकि अपूर्व की दिव्यांगता और निकिता की खुद की आय को नजरअंदाज कर दिया गया।

बेटे की कस्टडी का मामला

अपूर्व ने बेटे की कस्टडी के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की। अदालत ने प्रत्येक महीने के तीसरे रविवार को चार घंटे बेटे से मिलने की अनुमति दी। इसके लिए अपूर्व को पटना से जमशेदपुर तक यात्रा करनी पड़ती है, जो उनकी विकलांगता के कारण कठिन है।

498A का दुरुपयोग और पुरुष आयोग की मांग

इसी प्रकार के मामलों में आईपीसी की धारा 498A के दुरुपयोग की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर चिंता जताई है। वरिष्ठ अधिवक्ता एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में पुरुष आयोग के गठन की मांग की है, ताकि उत्पीड़ित पुरुषों को न्याय मिल सके।

न्याय की उम्मीद में कुमार अपूर्व

कुमार अपूर्व आज भी न्याय की प्रतीक्षा में कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं। निकिता सिन्हा द्वारा झूठे आरोपों और भरण-पोषण की भारी मांग ने उनके जीवन को कठिन बना दिया है।

सामाजिक और कानूनी पहल की जरूरत

अतुल सुभाष और कुमार अपूर्व जैसे मामलों से यह स्पष्ट है कि न्याय प्रणाली में सुधार और पुरुषों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए नई नीतियों की आवश्यकता है। समाज को भी यह समझने की जरूरत है कि पुरुष भी उत्पीड़न का शिकार हो सकते हैं।

उम्मीद की किरण

कुमार अपूर्व की कहानी उन लाखों पुरुषों की आवाज है जो सामाजिक और कानूनी उत्पीड़न के शिकार हैं। उन्हें न्याय मिलना केवल उनका अधिकार नहीं, बल्कि समाज की जिम्मेदारी भी है।

ज्ञात हो कि इस मामले में जब कुमार अपूर्व से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि वह समय आने पर ही इस विषय में कोई बात करेंगे। दूसरी ओर, निकिता ने फोन रिसीव करने के बाद तुरंत काट दिया। जानकारों का मानना है कि कुमार अपूर्व इस मामले में पीड़ित हो सकते हैं। हालांकि, यह जांच का विषय है कि निर्दोष कौन है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, निकिता की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होती है।

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