October 23, 2025

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एक युग का अंत, धर्म और समाज सेवा के पुंज का अवसान, पूर्व आईपीएस अधिकारी ने 74 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस ली

आचार्य किशोर कुणाल की फाइल फोटो।

आचार्य किशोर कुणाल की फाइल फोटो।

सकारात्मक बदलाव के नायक आचार्य किशोर कुणाल का असमय निधन

Khabari Chiraiya Desk : रविवार की सुबह पटना से आई खबर ने पूरे बिहार को शोक में डाल दिया। महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव और अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख सदस्य आचार्य किशोर कुणाल का 74 वर्ष की आयु में हृदय गति रुकने से निधन हो गया। उनके निधन से समाज, धर्म और प्रशासनिक क्षेत्र को ऐसा झटका लगा है, जिसे लंबे समय तक भुलाया नहीं जा सकेगा। कार्डियक अरेस्ट के बाद उन्हें तुरंत महावीर वत्सला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके। उनके निधन के साथ ही एक ऐसा अध्याय समाप्त हो गया जो समाज सेवा, धर्म सुधार और प्रशासनिक कुशलता का उदाहरण था।

10 अगस्त 1950 को मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गांव में जन्मे आचार्य किशोर कुणाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से की। इसके बाद पटना विश्वविद्यालय से इतिहास और संस्कृत में स्नातक करते हुए अपनी बौद्धिक कुशाग्रता का परिचय दिया। 1972 में गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने करियर की शुरुआत करते हुए उन्होंने कानून और व्यवस्था को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई। आनंद और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में उनकी कार्यशैली की प्रशंसा हुई।

सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने खुद को समाज सेवा और धार्मिक सुधारों के लिए समर्पित कर दिया। महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव रहते हुए उन्होंने न केवल महावीर मंदिर को एक प्रमुख धार्मिक स्थल बनाया, बल्कि इसके जरिए समाज कल्याण के कई कार्यों को बढ़ावा दिया। उनकी अगुवाई में महावीर कैंसर संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान और महावीर नेत्रालय जैसे संस्थानों की स्थापना हुई, जो आज हजारों लोगों के जीवन में नई रोशनी ला रहे हैं।

आचार्य किशोर कुणाल सिर्फ एक धर्मसेवी नहीं, बल्कि सामाजिक सुधारक भी थे। उन्होंने जातिवाद और धार्मिक रूढ़ियों के खिलाफ कई बार आवाज उठाई। उनके प्रयासों से महावीर मंदिर में जाति और धर्म के बंधनों को तोड़ते हुए सभी वर्गों को समान रूप से पूजा का अधिकार मिला। उनके निधन की खबर से राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “आचार्य किशोर कुणाल का जाना एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने समाज, प्रशासन और धर्म के क्षेत्र में जो योगदान दिया है, वह हमेशा याद रखा जाएगा।” भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और अन्य नेताओं ने भी गहरा दुख व्यक्त किया।

ज्ञान निकेतन स्कूल के संस्थापक के रूप में उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए। उनका मानना था कि शिक्षा के बिना समाज का उत्थान संभव नहीं। उनके द्वारा स्थापित स्कूल आज भी इस सोच को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके पार्थिव शरीर को जब उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, तो वहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि देने लगे। हर आंख नम और हर दिल भारी था।

आचार्य किशोर कुणाल का जीवन हमें दिखाता है कि धर्म और समाज सेवा को एक साथ कैसे जोड़ा जा सकता है। उनके योगदान हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे और उनका व्यक्तित्व इतिहास के पन्नों में अमर रहेगा।

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