सीतामढ़ी : शुभम झा हत्याकांड सच या साजिश…?, हत्या के पीछे कौन…?, जानिए पूरी कहानी

भूमि विवाद की आड़ में छिपा खौफनाक सच, रानी पुल पर बरामद लाश से खुला रहस्यमय हत्याकांड
सीतामढ़ी (बिहार) से निखिल सिंह की रिपोर्ट…
सीतामढ़ी का भैरो कोठी गांव के 19 वर्षीय शुभम झा की बेरहमी से हत्या के बाद हर तरफ एक ही सवाल गूंज रहा है-यह हत्या प्रेम प्रसंग का नतीजा था या फिर भूमि विवाद का खतरनाक अंजाम…?, यह सवाल घूम रहा है…। शुभम झा हत्याकांड सच है या साजिश…?, आखिर इस हत्या के पीछे कौन है…?, फिलहाल सीतामढ़ी के भैरो कोठी गांव की गलियों में पिछले कुछ दिनों से सन्नाटा है। पुलिस की तफ्तीश चल रही है, पुलिस इस हत्याकांड के सूत्रधार की तलाश में है।
घटना 19 दिसंबर की है। शुभम झा, जो गांव में अपनी सादगी और मिलनसार स्वभाव के लिए जाना जाता था, अचानक लापता हो गया। उसका शव अगले दिन बथनाहा और कुमा के बीच रानी पुल के पास मिला। शव पर पांच गोलियों के निशान थे, जो हत्या की क्रूरता को बयां कर रहे थे। गांव के हर घर में मातम था, और शुभम के माता-पिता, मीना देवी और मुकेश झा, यह यकीन नहीं कर पा रहे थे कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं है।
शुभम की मां ने सीतामढ़ी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। एफआईआर संख्या 877/24 के तहत यह मामला दर्ज हुआ, जिसमें उन्होंने दो लोगों—जीतेश झा और अभिलाषा झा को नामजद किया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन व्यक्तियों-अंकित झा, आदित्य झा और सुरज कुमार को गिरफ्तार किया। उनकी निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथियार और एक जैकेट भी बरामद किए गए।
हालांकि, यहां से कहानी ने एक नया मोड़ लिया। पुलिस ने इसे प्रेम प्रसंग का मामला बताया, जबकि शुभम के माता-पिता का दावा है कि हत्या का असली वजह भूमि विवाद है। मीना देवी और मुकेश झा के अनुसार, यह मामला लंबे समय से चल रहे जमीन विवाद से जुड़ा है, जिसे छिपाने के लिए प्रेम प्रसंग का बहाना बनाया जा रहा है।
शुभम के पिता ने 20 दिसंबर को एक आवेदन देकर जीतेश झा और अभिलाषा झा को नामजद आरोपी बनाने की मांग की। लेकिन अब तक इन दोनों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह सवाल शुभम के माता-पिता के दिल में टीस बनकर उठ रहा है कि उनके बेटे के हत्यारों को कब सजा मिलेगी।
गांव के लोग भी इस घटना से हतप्रभ हैं। कोई इसे भूमि विवाद मान रहा है तो कोई इसे प्रेम प्रसंग का नतीजा। शुभम के परिवार का कहना है कि उनका बेटा एक सीधा-साधा युवक था, जो अपने सपनों के लिए संघर्ष कर रहा था। उन्हें यकीन है कि यह हत्या उनकी जमीन पर कब्जा करने की साजिश का हिस्सा है।
पीड़ित परिवार का दावा है कि उन्हें अब भी धमकियां मिल रही हैं। वे भय के साये में जीने को मजबूर हैं। मीना देवी कहती हैं, “हमने अपना बेटा खो दिया। अब हमें न्याय चाहिए। क्या हमारे देश में एक गरीब किसान का परिवार न्याय पाने का हकदार नहीं है?”
इस घटना ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर क्यों अब तक जीतेश झा और अभिलाषा झा पर कार्रवाई नहीं हुई? शुभम के माता-पिता और गांव के लोग न्याय की उम्मीद में हर दिन इंतजार कर रहे हैं।
शुभम की कहानी सिर्फ एक हत्या की घटना नहीं, बल्कि न्याय और सुरक्षा के संघर्ष की गाथा बन गई है। यह एक सवाल भी है, जो न केवल सीतामढ़ी बल्कि पूरे समाज से पूछता है-क्या एक गरीब परिवार की आवाज को हमेशा अनसुना किया जाएगा?
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